पिछले कुछ महीनों से राज्य के विपक्षी दलों को महागठबंधन के प्लेटफार्म पर एकजुट लाने की कवायद अब काफी तेज हो रही है. इसे लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी समेत पूरे राजग गठबंधन में खलबली मची हुई है. इसकी वजह है कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग इलेक्शन लड़कर विपक्षी दलों ने इस बात को भांप लिया है कि 'एंटी बीजेपी' वोट को एकजुट करने के लिए उन्हें हर हाल में एक प्लेटफार्म पर आना होगा.
प्रयोग के तौर पर पिछले साल राज्य की 3 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में यह फार्मूला अपनाया गया. सिल्ली और गोमिया विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के दौरान अपोजिशन पार्टियां 'इंटैक्ट' रहीं जिसका नतीजा हुआ कि दोनों विधानसभा सीट के उपचुनाव का नतीजा उनके फेवर में गया. हालांकि, कोलेबिरा सीट पर कांग्रेस ने मोर्चे से का नेतृत्व किया और काफी हद तक अपोजिशन एकजुट रहा लेकिन झामुमो ने अलग उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी. बावजूद इसके जेएमएम इलेक्शन कैंपेन में एक्टिव नहीं रहा था.
नतीजा यह हुआ कि वहां कांग्रेस के उम्मीदवार ने विजय पताका लहराया. इन तीनों उपचुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी के अंदरखाने यह भी स्ट्रेटजी बनी कि एक तरफ जहां पार्टी अपनी जड़ और लोगों तक पहुंच मजबूत करें वहीं, दूसरी तरफ अपोजिशन को एकजुट होने से रोके.
इसके लिए बकायदा राज्य के एक सांसद को 'टास्क' दिया गया है. बीजेपी हाई लेवल से दिए गए टास्क में पक्ष और विपक्ष दोनों खेमे में अपनी पहुंच रखने वाले इस राज्यसभा सांसद के प्रतिनिधि हर संभव प्रयास कर रहे हैं. पिछले दिनों आजसू पार्टी के पार्लियामेंट इलेक्शन लड़ने को लेकर बुलाई बैठक के दौरान सांसद के प्रतिनिधियों ने जाकर वहां अपनी बात तक रखी.
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से आजसू पार्टी सत्ता में बीजेपी के साथ रह कर उसकी खिलाफत कर रहा है और पार्टी लोकसभा इलेक्शन लड़ने के भी मूड में है. इसी तरह राज्यसभा सांसद के प्रतिनिधि विपक्षी पार्टियों में भी अपनी आवाजाही बढ़ा रहे हैं. दूसरी बार राज्यसभा में झारखंड से जीत कर गए यह सांसद आजसू और कुछ विपक्षी दलों के 'प्रिय' भी हैं.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता शमशेर आलम कहते हैं कि पिछले चुनाव के नतीजों को केवल जोड़कर देखें तो दूसरे और तीसरे स्थान पर कांग्रेस और जेएमएम जैसे दलों के उम्मीदवार रहे. ऐसे में अगर सभी एकजुट हो जाएंगे तो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को काफी मुश्किल हो सकती. यही वजह है कि बीजेपी हर तरह का हथकंडा अपना रही है और यह भी उसमें से एक है. वहीं, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि महागठबंधन की कवायद पिछले कई महीनों से चल रही है और यह बन नहीं पाएगा.