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स्कूल के नाम दान की गई जमीन पर हो रहा दोबारा कब्जा, प्रशासन दिखा रही सुस्ती

बोकारो में एक व्यक्ति ने स्कूल की जमीन को अपना बताकर उस पर हल चला दिया. इस को लेकर स्कूली बच्चे एसडीओ ऑफिस पहुंचे और अपने भविष्य को लेकर न्याय की गुहार लगाई.

स्कूल के जमीन पर दोबारा कब्जा
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Published : Jul 11, 2019, 10:03 PM IST

बोकारो: जिले के गोमिया प्रखंड के चुट्टे पंचायत में कभी नक्सलियों की तूती बोला करती थी. आम इनसान तो छोड़िए पुलिस वाले भी यहां जाने से कतराते थे और इस इलाके में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा था. स्कूल तो थे लेकिन वहां शिक्षक जाने से कतराते थे.

देखें पूरी खबर

युवक ने ठाना कि बच्चों को शिक्षा से नहीं होने देंगे दूर
एक मैट्रिक फेल युवक में शिक्षा बांटने की ललक जगी. खुद शिक्षकों के अभाव के चलते मैट्रिक पास नहीं कर पाए. इस युवक ने ठाना यहां के बच्चों को शिक्षा से दूर नहीं रहने देंगे. उसने टूटे-फूटे स्वास्थ्य विभाग के बेकार पड़े भवन को गांव वालों की सहायता से मरम्मत कराया और उसमें ज्ञान की ज्योत जलाने के लिए ज्योति पब्लिक स्कूल शुरू की. उस समय इस क्षेत्र में अंग्रेजी मीडियम स्कूल किसी बड़े अजूबे से कम नहीं था. इस युवक का नाम भुनेश्वर महतो था. धीरे-धीरे गांव के कई युवक उनके साथ आए और स्कूल चलने लगा.

2011 से लगातार चल रहा है स्कूल
स्वास्थ्य विभाग के बगल में एक गैरमजरूआ जमीन था जिस पर बालेश्वर महतो का आधिपत्य था. बालेश्वर महतो भी गांव के बच्चों को पढ़ते देख खुश हुए और उस जमीन को स्कूल के नाम दान कर दिया. यह स्कूल 2011 से लगातार चल रही है और 250 से ज्यादा बच्चे अभी यहां पढ़ रहे हैं. कई बच्चों ने तो राज्य स्तर पर दसवीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाकर खुद को साबित किया है. वह भी तब जब स्कूल में संसाधनों का घोर अभाव था.

100 से ज्यादा बच्चे नहीं दे सकते हैं फीस
बता दें कि इस स्कूल में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों में 100 से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता स्कूल की फीस भरने के लायक नहीं हैं, लेकिन सरकार की योजनाओं के चलते क्षेत्र से नक्सलवाद समाप्ति की ओर है. क्षेत्र में विकास की बयार बह रही है. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं यहां पहुंच रहे हैं. स्कूल के दोनों तरफ से चमचमाती पक्की सड़कें बन गई है. इस वजह से बालेश्वर महतो द्वारा स्कूल को दान दिए जमीन की कीमत एकाएक बढ़ गई और उसने दान दिए जमीन पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया है और उस जमीन को अपना जमीन बताकर इस पर हल चला दिया.

ये भी देखें-नवविवाहित दंपत्ति ने पेड़ लगाकर की नए जीवन की शुरुआत, हर शुभ अवसर पर पेड़ लगाने का लिया संकल्प

स्कूली बच्चे अपनी गुहार लेकर पहुंचे एसडीओ ऑफिस
स्कूल के मैदान में हल जोतने के बाद बच्चों को भारी परेशानी हो रही है. इसके बाद यहां के बच्चे अपनी गुहार लेकर एसडीओ ऑफिस पहुंचे और उन से गुहार लगाई कि उनके स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण होने से बचाया जाए. मामला सामने आने के बाद एसडीओ प्रेम रंजन ने जांच का आदेश दिया है, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, बोकारो के डीसी ने कहा कि वह इस मामले की जांच की जा रही हैं और जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.

बोकारो: जिले के गोमिया प्रखंड के चुट्टे पंचायत में कभी नक्सलियों की तूती बोला करती थी. आम इनसान तो छोड़िए पुलिस वाले भी यहां जाने से कतराते थे और इस इलाके में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा था. स्कूल तो थे लेकिन वहां शिक्षक जाने से कतराते थे.

देखें पूरी खबर

युवक ने ठाना कि बच्चों को शिक्षा से नहीं होने देंगे दूर
एक मैट्रिक फेल युवक में शिक्षा बांटने की ललक जगी. खुद शिक्षकों के अभाव के चलते मैट्रिक पास नहीं कर पाए. इस युवक ने ठाना यहां के बच्चों को शिक्षा से दूर नहीं रहने देंगे. उसने टूटे-फूटे स्वास्थ्य विभाग के बेकार पड़े भवन को गांव वालों की सहायता से मरम्मत कराया और उसमें ज्ञान की ज्योत जलाने के लिए ज्योति पब्लिक स्कूल शुरू की. उस समय इस क्षेत्र में अंग्रेजी मीडियम स्कूल किसी बड़े अजूबे से कम नहीं था. इस युवक का नाम भुनेश्वर महतो था. धीरे-धीरे गांव के कई युवक उनके साथ आए और स्कूल चलने लगा.

2011 से लगातार चल रहा है स्कूल
स्वास्थ्य विभाग के बगल में एक गैरमजरूआ जमीन था जिस पर बालेश्वर महतो का आधिपत्य था. बालेश्वर महतो भी गांव के बच्चों को पढ़ते देख खुश हुए और उस जमीन को स्कूल के नाम दान कर दिया. यह स्कूल 2011 से लगातार चल रही है और 250 से ज्यादा बच्चे अभी यहां पढ़ रहे हैं. कई बच्चों ने तो राज्य स्तर पर दसवीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाकर खुद को साबित किया है. वह भी तब जब स्कूल में संसाधनों का घोर अभाव था.

100 से ज्यादा बच्चे नहीं दे सकते हैं फीस
बता दें कि इस स्कूल में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों में 100 से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता स्कूल की फीस भरने के लायक नहीं हैं, लेकिन सरकार की योजनाओं के चलते क्षेत्र से नक्सलवाद समाप्ति की ओर है. क्षेत्र में विकास की बयार बह रही है. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं यहां पहुंच रहे हैं. स्कूल के दोनों तरफ से चमचमाती पक्की सड़कें बन गई है. इस वजह से बालेश्वर महतो द्वारा स्कूल को दान दिए जमीन की कीमत एकाएक बढ़ गई और उसने दान दिए जमीन पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया है और उस जमीन को अपना जमीन बताकर इस पर हल चला दिया.

ये भी देखें-नवविवाहित दंपत्ति ने पेड़ लगाकर की नए जीवन की शुरुआत, हर शुभ अवसर पर पेड़ लगाने का लिया संकल्प

स्कूली बच्चे अपनी गुहार लेकर पहुंचे एसडीओ ऑफिस
स्कूल के मैदान में हल जोतने के बाद बच्चों को भारी परेशानी हो रही है. इसके बाद यहां के बच्चे अपनी गुहार लेकर एसडीओ ऑफिस पहुंचे और उन से गुहार लगाई कि उनके स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण होने से बचाया जाए. मामला सामने आने के बाद एसडीओ प्रेम रंजन ने जांच का आदेश दिया है, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, बोकारो के डीसी ने कहा कि वह इस मामले की जांच की जा रही हैं और जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:बोकारो से करीब 100 किलोमीटर दूर गोमिया प्रखंड में है चुट्टे पंचायत। झुमरा पहाड़ के नीचे घने जंगलों के बीच बसा है चुट्टे पंचायत। कभी यहां नक्सलियों की तूती बोला करती थी। लाल आबोहवा चरम पर था। तब आम इंसान तो छोड़िए पुलिस वाले भी यहां जाने से कतराते थे। ऐसे में आदिवासी बहुल इस इलाके में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा था। स्कूल थे लेकिन वहां शिक्षक जाने से कतराते थे। ऐसे में एक मैट्रिक फेल युवक को शिक्षा बांटने की ललक लगी। खुद अभाव के चलते मैट्रिक पास नहीं कर पाए इस युवक ने ठाना यहां के बच्चों को शिक्षा से मरहूम नहीं रहने देंगे। फिर क्या। टूटे-फूटे स्वास्थ्य विभाग के बेकार पड़े भवन को गांव वालों की सहायता से ही किया और उसमें ज्ञान की ज्योत जलाने के लिए ज्योति पब्लिक स्कूल शुरू किया यह समय था 2011 का। क्षेत्र में अंग्रेजी मीडियम स्कूल किसी बड़े अजूबे से कम नहीं था। इस युवक का नाम था भुनेश्वर महतो। भुनेश्वर महतो के साथ गांव के कई और युवक आ गए धीरे-धीरे स्कूल चलने लगा।


Body:जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के बगल वाली जमीन को जो गैरमजरूआ थी। और उस पर बालेश्वर महतो का आधिपत्य था। बालेश्वर महतो भी गांव के बच्चों को पढ़ते देख बढ़ते देख खुश हुए। और सारी गैरमजरूआ जमीन स्कूल के नाम दान कर दिया। अब ये स्कूल 2011 से लगातार चल रहा है ढाई सौ से ज्यादा बच्चे यहां पढ़ रहे हैं। कई बच्चों ने तो राज्य स्तर पर दसवीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाकर खुद को साबित किया है। और वह भी तब जब स्कूल में संसाधनों का घोर अभाव है। यहां पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों में 100 से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता स्कूल की फीस भी नहीं भर पाते हैं। अब जब झुमरा एक्शन प्लान और सरकार की दूसरी योजनाओं के चलते क्षेत्र से नक्सलवाद समाप्ति की ओर है विकास की बयार बह रही है। सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं यहां पहुंच रहे हैं। स्कूल के दोनों तरफ से चमचमाती पक्की सड़कें बन गई है। जिसके बाद स्कूल के आगे की जमीन जिसे बालेश्वर महतो स्कूल को दान दिया था। उसकी कीमत एकाएक बढ़ गई है। इसके बाद बालेश्वर महतो ने दान दिए जमीन पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया है। और उस जमीन को अपनी जमीन बताकर इस पर हल चला दिया।


Conclusion:स्कूल के मैदान में हल जोतने के बाद बच्चों को भारी परेशानी हो रही है। कल तक बच्चे स्कूल के आगे जिस मैदान में प्रार्थना करते थे खेलते थे आज वहां हल जोतने और गिरने से उन्हें परेशानी हो रही है। जिसके बाद यहां के बच्चे अपनी गुहार लेकर एसडीओ ऑफिस पहुंच गए। और उन से गुहार लगाई उनके स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण होने से बचाया जाए। मामला सामने आने के बाद एसडीओ प्रेम रंजन ने जांच सौंप दिया है। लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं बोकारो के डीसी ने कहा कि वह इस मामले को देखते हैं और जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। स्कूल के छात्र स्कूल की शिक्षिका भुनेश्वर महतो, स्कूल चलाने वाले कृपानंद झा उपायुक्त बोकारो
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