नई दिल्ली: टाइटैनिक के मलबे को लोगों को दिखाने के लिए निकली एक पर्यटक पनडुब्बी लापता हो गई है. यह घटना रविवार की है. पनडुब्बी का संचालन करने वाली निजी कंपनी ओशनगेट ने बताया कि पनडुब्बी दक्षिण-पूर्वी कनाडा के तट से लापता हो गई है. हालांकि इस घटना के बाद लापता लोगों को बचाने के लिए ओशनगेट कंपनी पूरी कोशिश कर रही है. वह अपने सभी ऑप्शन का इस्तेमाल कर रही है. बता दें कि पनडुब्बी में एक ही समय में करीब पांच लोग ही सवार हो सकते हैं.
राहत बचाव कार्य में कई एजेंसियों की ली जा रही मदद
पनडुब्बी में सवार लापता लोगों को बचाने के लिए कॉस्टगार्ड फोर्स ने खोज और बचाव अभियान शुरू कर दिया है. इस काम के लिए कई एजेंसियों की मदद ली जा रही है. ओशनगेट ने सरकारी एजेंसियों और डीप सी कंपनियों से मिली सहायता के लिए आभार व्यक्त किया है. एक बयान में कंपनी ने कहा कि पनडुब्बी के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने के हमारे प्रयासों में कई सरकारी एजेंसियों और डीप सी कंपनियों से मिली व्यापक सहायता के लिए हम आभारी हैं.
कंपनी का पांचवा टाइटैनिक मिशन
यह पहली बार नहीं है जब ओशनेट कंपनी लोगों को टाइटैनिक का मलवा दिखाने ले गई हो, इससे पहले कंपनी यह काम चार बार कर चुकी है. कंपनी के ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार यह पांचवां Taitnic Mission है, पिछले सप्ताह से शुरू होकर गुरुवार को समाप्त होने वाली थी. 8 दिनों की इस यात्रा के लिए कंपनी प्रति व्यक्ति 2,50,000 डॉलर लेती है. यह जर्नी सेंट जॉन, न्यूफाउंडलैंड से शुरू होती है और अटलांटिक में लगभग 400 मील की दूरी तय करती है. जिसमें 2 घंटे का समय लगता है. इसके बाद 12,500 फीट की गहराई में जाने पर टाइटैनिक का मलबा दिखता है.
1912 में डूबी थी टाइटैनिक
टाइटैनिक, जो अपने समय का सबसे बड़ा जहाज था, 1912 में साउथेम्प्टन से न्यूयॉर्क तक की अपनी पहली यात्रा में डूब गया. ये घटना एक बड़े हिमखंड के टकराने से हुई थी. इस हादसे में जहाज पर सवार 2,200 यात्रियों और चालक दल में से 1,500 से अधिक की लोगों की मौत हो गई थी. इसके मलबे की खोज 1985 में हुई थी. जहाज का मलबा दो हिस्सों में बंटा हुआ है, धनुष और कड़ी को लगभग 2,600 फीट अलग किया गया है. टूटे हुए जहाज के चारों ओर एक विशाल मलबे का मैदान है.