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तालिबान ने अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर पर कब्जा किया

तालिबान ने बृहस्पतिवार को काबुल के निकट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और प्रांतीय राजधानी तथा देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया.

तालिबान
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Published : Aug 13, 2021, 6:05 AM IST

Updated : Aug 13, 2021, 9:03 AM IST

काबुल : अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने बृहस्पतिवार को काबुल के निकट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और प्रांतीय राजधानी तथा देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया. इसे मिलाकर तालिबान अब तक 34 प्रांतीय राजधानियों में से 11 पर कब्जा कर चुका है.

हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक सरकारी इमारत से भीषण गोलीबारी की आवाजें आयी जबकि तालिबान के कब्जे में आने के बाद से शहर के बाकी हिस्से में शांति है. वहीं, गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है.

अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था. अब अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं.

फिलहाल प्रत्यक्ष रूप से काबुल पर कोई खतरा नहीं है लेकिन तालिबान की देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर पकड़ मजबूत होती दिख रही है. हजारों लोग घर छोड़कर जा चुके हैं क्योंकि उन्हें डर है कि एक बार फिर तालिबान का दमनकारी शासन आ सकता है.

अमेरिकी सेना का ताजा खुफिया आकलन बताता है कि काबुल 30 दिन के अंदर चरमपंथियों के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है.

संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं.

पढ़ें - अफगानिस्तान की पामीर आर्मी कोर ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण किया

दक्षिणी अफगानिस्तान के लश्कर गाह में भी भीषण जंग चल रही है. अगर तालिबान का हमला जारी रहा तो अफगानिस्तान सरकार को आने वाले दिनों में राजधानी और कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

काबुल : अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने बृहस्पतिवार को काबुल के निकट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और प्रांतीय राजधानी तथा देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया. इसे मिलाकर तालिबान अब तक 34 प्रांतीय राजधानियों में से 11 पर कब्जा कर चुका है.

हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक सरकारी इमारत से भीषण गोलीबारी की आवाजें आयी जबकि तालिबान के कब्जे में आने के बाद से शहर के बाकी हिस्से में शांति है. वहीं, गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है.

अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था. अब अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं.

फिलहाल प्रत्यक्ष रूप से काबुल पर कोई खतरा नहीं है लेकिन तालिबान की देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर पकड़ मजबूत होती दिख रही है. हजारों लोग घर छोड़कर जा चुके हैं क्योंकि उन्हें डर है कि एक बार फिर तालिबान का दमनकारी शासन आ सकता है.

अमेरिकी सेना का ताजा खुफिया आकलन बताता है कि काबुल 30 दिन के अंदर चरमपंथियों के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है.

संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं.

पढ़ें - अफगानिस्तान की पामीर आर्मी कोर ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण किया

दक्षिणी अफगानिस्तान के लश्कर गाह में भी भीषण जंग चल रही है. अगर तालिबान का हमला जारी रहा तो अफगानिस्तान सरकार को आने वाले दिनों में राजधानी और कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

Last Updated : Aug 13, 2021, 9:03 AM IST
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