रांची: रघुवर सरकार के कल्याण विभाग की लापरवाही से एक ओर 360 छात्राओं की जान सांसत में है. दूसरी ओर विभागीय मंत्री अपने क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए लोगों के बीच वादों की पोटली लिए घूम रही हैं. मामला है राजधानी रांची के बीचों बीच संचालित राजकीय पिछड़ी जाति प्लस टू आवासीय बालिका उच्च विद्यालय का. देखिए हमारे संवाददाता चंदन भट्टाचार्य की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
टापू में तब्दील हो चुका है राजधानी रांची में कल्याण विभाग की ओर से संचालित राजकीय पिछड़ी जाति प्लस टू आवासीय बालिका उच्च विद्यालय. छात्राएं पिछले सात दिन से इसी हाल में हैं. क्लास रूम में घुटना भर पानी, लाईब्रेरी में पानी, बेडरूम में पानी, किचन में पानी. चारों तरफ पानी ही पानी. कोई व्यवस्था नहीं हुई तो लाचार छात्राओं ने खुद मिलकर एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए चौकियां बिछा दी है. हालांकि एक चौकी से दूसरी चौकी फांदने के दौरान गिरने से एक छात्रा का पैर टूट चुका है.
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बिस्तर तक पहुंचा सांप
लंबे समय से जमे पानी में सांप भी डेरा जमा चुके हैं. यानी हर कदम पर खतरा ही खतरा. छात्राओं ने बताया कि पिछले दिनों एक सांप उनकी बेड पर भी चढ़ने की कोशिश कर रहा था. आप समझ सकते हैं तब बच्चियों पर क्या बीती होगी. फिर भी जाबांज बच्चियों ने खुद मोर्चा संभाला और लाठी डंडे से सांप को मार भगाया. हालांकि अब भी खतरा जस का तस बना हुआ है. चारों तरफ पानी भरा हुआ है लिहाजा कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
वार्डन को नहीं सूझा जवाब
हद तो यह है कि सात दिन बीत जाने के बाद भी स्कूल परिसर में भरे पानी को निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. जब हमारे संवाददाता चंदन भट्टाचार्य, इस स्कूल की हालत को अपने कैमरे में कैद करने लगे तो वहां मौजूद वार्डन अंजना मिश्रा की सांस फूलने लगी. उनको जब हमारे संवाददाता के सवालों का जवाब नहीं सूझा तो उल्टा यह कहने लगीं कि आप किसके परमिशन से स्कूल में दाखिल हुए. वहीं, दूसरी तरफ ईटीवी भारत की टीम को देखते ही टापू रूपी स्कूल में फंसी छात्राएं तनाव और खौफ के बावजूद चहक उठीं. छात्राओं ने एक सुर में कहा, पढ़ेंगे क्या, खाएंगे क्या, छुट्टी दे दे सरकार. हद तो यह कि स्कूल में भारी जलजमाव के कारण पढ़ाई ठप हो चुकी है फिर भी इस गंभीर मामले पर पर्दा डाला जा रहा है.
मंत्रीजी को चुनाव की चिंता
इस बाबत कल्याण मंत्री लुईस मरांडी को फोन किया गया तो उनके पीए ने कहा - मैडम अभी क्षेत्र में भ्रमण पर हैं. जाहिर है मंत्री मैडम को आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की चिंता ज्यादा है. क्योंकि यह बच्चियां उनकी वोटर जो नहीं ठहरीं. रही बात विभागीय सचिव की तो उन्होंने इतना जरूर कहा कि 'देखते हैं.'
अव्वल तो ये कि इस टाटमटोल वाले रवैये के चक्कर में 360 छात्राओं की जान सांसत में फंसी हुई है. रही बात इस स्कूल के प्रिंसिपल वीणा अंजना लकड़ा की तो पता चला कि मैडम छुट्टी पर हैं. आकर करतीं भी क्या . स्कूल परिसर में भरे पानी को निकलवाना उनका काम तो है नहीं. अब रांची नगर निगम को भी कोसने का क्या फायदा. यहां का निगम तो शहर में जानलेवा बन चुके मच्छरों को नहीं मार पा रहा है फिर भला मोटर और पाइप की व्यवस्था करने की जहमत कौन उठाए. अब सवाल है कि इस गंभीर सवाल का जवाब देगा कौन.
सवाल यह भी है कि इस लचर व्यवस्था के लिए किसको जिम्मेवार ठहराना चाहिए. मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनके राज्य में सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो चुका है. उनका दावा है कि आने वाले समय में राज्य के सरकारी स्कूल महंगे निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ देंगे. लेकिन वही बात हो गई. कहने में क्या जाता है. स्कूल में पानी भरा है फिर भी ठीक है. किचन में पानी भरा है फिर भी ठीक है. लाइब्रेरी में पानी भरा है फिर भी ठीक है, बेडरूम में पानी भरा है फिर भी ठीक है.