रांचीः राजधानी में इन दिनों सब्जियों की कीमत आसमान छू रही है, जिसका सीधा असर सामान्य और मध्यम परिवार के लोगों की जेब पर पड़ने लगा है. रांची की सब्जी मंडियों में पहुंचने वाले लोग इस बात से परेशान हैं कि आखिर वो क्या खरीदें. उनकी परेशानी लाजमी है क्योंकि हर सब्जी की कीमत अर्धशतक के करीब पहुंच चुकी है. आमतौर पर एक किलो सब्जी खरीदने वाले लोग पाव भर सब्जी खरीद कर काम चला रहे हैं. उनकी मानें तो सब्जियों की बढ़ी कीमतों से रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है. खाने की थाली से सब्जियां गायब होने लगी हैं और महंगी सब्जी से जायका भी खराब हो रहा है!
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महंगाई से दुकानदार भी परेशान
ऐसा नहीं है कि बढ़ी कीमतों से दुकानदार मालामाल हो रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि ज्यादा दाम होने से लोग कम सब्जी खरीद रहे हैं, जिससे उनके मुनाफे का मार्जिन कम हो गया है. खराब मौसम में सब्जियां सड़-गल न जाएं, इसलिए कई बार औने-पौने दाम में भी बेचने की नौबत आ जाती है. खुदरा दुकानदारों की तरह सब्जी के थोक विक्रेताओं का हाल भी इससे अलग नहीं है.
किसानों को भी नहीं लाभ
रांची के प्रगतिशील किसान नकुल महतो ने ईटीवी भारत को बताया कि बाजार में लगातार सब्जी की कीमतों में आई उछाल का मुख्य कारण किसानों की सब्जी खेतों में बर्बाद होने से है. हरी सब्जियों की कीमतों में इस बार थोड़ी उछाल आई है. लेकिन किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा क्योंकि बिचौलिए कम दाम में किसान से सब्जी खरीद कर बाजार ले जाते हैं और अधिक दाम में उन्हें मंडियों तक पहुंचा रहे हैं.
एक तरफ बेमौसम बारिश से खेतों में पानी लगा हुआ है और सब्जी की पैदावार पर इसका बुरा असर पड़ा है. दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों ने सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन को महंगा कर दिया है. यही वजह है कि सब्जियों की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है.
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राजधानी रांची सब्जी उत्पादन के लिए काफी मशहूर है. सबसे ज्यादा सब्जी का उत्पादन रांची से सटे कृषि क्षेत्र इलाका पिठोरिया, इटकी, नगड़ी, ओरमांझी में होता है. लेकिन बारिश के कारण फसल बर्बाद हो चुकी है, जिसका सीधा असर राजधानी के सब्जी बाजारों पर दिख रहा है. अब आसपास के जिलों और पड़ोसी राज्यों से सब्जियां की आवक हो रही है. ऐसे में बिचौलिए कम दाम में किसान से सब्जी खरीद कर बाजार ले जाते हैं और अधिक दाम में उन्हें मंडियों तक पहुंचा रहे हैं.