ETV Bharat / city

पौधारोपण अभियान के नाम पर बड़ी राशि लुटाती रही सरकारें, हेमंत सोरेन के कार्यकाल की पोल खोलती रिपोर्ट

बारिश के पानी को रोकने के लिए सरकार जल शक्ति अभियान चला रही है. इसके लिए कई जगह पौधे लगाएं जा रहे हैं. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्याकल में लगाए गए पौधों की हकीकत क्या है इस रिपोर्ट में जानिए.

author img

By

Published : Aug 1, 2019, 2:40 PM IST

Updated : Aug 1, 2019, 2:58 PM IST

लगाए गए पौधों की स्थिति

रांची: झारखंड में अगस्त माह के शुरू होने के बावजूद औसत से काफी कम बारिश ने किसानों के साथ-साथ सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. वर्षा जल को बर्बाद होने से बचाने के लिए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया है जिसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ओरमांझी प्रखंड के आरा और केरम गांव में ग्रामीणों की ओर से पहाड़ के पानी को रोकने के लिए उठाए गए कदम की सराहना की थी.

पौधारोपण अभियान की सच्चाई बताते वरिष्ठ सहयोगी राजेश सिंह

सरकार भी वर्षा जल को रोकने के लिए जगह-जगह जागरूकता अभियान चला रही है. इसके लिए जोर-शोर से वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. कुछ इसी तरह की मुहिम तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शुरू की थी. 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने रांची के नामकुम प्रखंड स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क के पास खाली पड़े एक बड़े वन क्षेत्र में 30 अगस्त 2013 को हजारों की संख्या में वृक्ष लगाने का अभियान शुरू किया था. इस इलाके में हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए थे और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी पास के ही गांव के सुमंत नायक और राजू नायक को दी गई थी.

ये भी पढ़ें- इस पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल, मान्यता पर लटकी AICTE की तलवार

20 से 25 पौधे ही ले पाए वृक्ष का रूप

वन विभाग की ओर से सुमंत और राजू को करीब एक साल तक 4100 रूपए प्रतिमाह दिए भी गए. लेकिन एक साल होते ही उनको पैसे देने बंद कर दिए गए. इसके बाद पौधारोपण अभियान की हवा निकल गई. हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने उस क्षेत्र का मुआयना किया और पौधों की देख-रेख के लिए तैनात सुमंत नायक से भी बात की. ये जानकर आश्चर्य होंगे कि जहां हजारों पौधे लगाए गए थे उनमें से महज 20 से 25 पौधे ही वृक्ष की शक्ल ले पाए हैं. शेष पौधों को देखरेख के अभाव में जानवर चट कर गए. इस लापरवाही के बाबत वन विभाग के कई अधिकारियों से संपर्क किया गया लेकिन सभी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ें- आखिर क्यों एक कमरे में कैद हैं 'गौरी शंकर', पुरोहित भी नही उठाते इस रहस्य से पर्दा

28 दिसंबर 2014 तक रहा हेमंत सोरेन का कार्यकाल
खास बात है कि साल 2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में हमेशा अस्थिर सरकार रही. 2014 के चुनाव से पहले तक झारखंड में 9 मुख्यमंत्री बने. इस दौरान बाबूलाल मरांडी एक बार, अर्जुन मुंडा तीन बार, शिबू सोरेन तीन बार और बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा मुख्यमंत्री रहे. जबकि 2014 के चुनाव परिणाम से पहले 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी हुई और इनका कार्यकाल 28 दिसंबर 2014 तक रहा.

ईटीवी भारत ने दिखाया सच

इन सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने कार्यकाल में कहीं ना कहीं वृक्षारोपण की कवायद की लेकिन यह सुनिश्चित कराना किसी ने मुनासिब नहीं समझा कि पौधारोपण के नाम पर जिस तरीके से लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए आखिर उसका नतीजा क्या निकला. ईटीवी भारत ने पिछले दिनों पौधारोपण के सच को आपके सामने लाया था. यह दिखाया गया था कि कैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 13 जनवरी 2019 को बायो डायवर्सिटी पार्क में एक पौधा लगाया था लेकिन वन विभाग ने उस पौधे की भी देखरेख नहीं की.

रांची: झारखंड में अगस्त माह के शुरू होने के बावजूद औसत से काफी कम बारिश ने किसानों के साथ-साथ सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. वर्षा जल को बर्बाद होने से बचाने के लिए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया है जिसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ओरमांझी प्रखंड के आरा और केरम गांव में ग्रामीणों की ओर से पहाड़ के पानी को रोकने के लिए उठाए गए कदम की सराहना की थी.

पौधारोपण अभियान की सच्चाई बताते वरिष्ठ सहयोगी राजेश सिंह

सरकार भी वर्षा जल को रोकने के लिए जगह-जगह जागरूकता अभियान चला रही है. इसके लिए जोर-शोर से वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. कुछ इसी तरह की मुहिम तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शुरू की थी. 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने रांची के नामकुम प्रखंड स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क के पास खाली पड़े एक बड़े वन क्षेत्र में 30 अगस्त 2013 को हजारों की संख्या में वृक्ष लगाने का अभियान शुरू किया था. इस इलाके में हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए थे और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी पास के ही गांव के सुमंत नायक और राजू नायक को दी गई थी.

ये भी पढ़ें- इस पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल, मान्यता पर लटकी AICTE की तलवार

20 से 25 पौधे ही ले पाए वृक्ष का रूप

वन विभाग की ओर से सुमंत और राजू को करीब एक साल तक 4100 रूपए प्रतिमाह दिए भी गए. लेकिन एक साल होते ही उनको पैसे देने बंद कर दिए गए. इसके बाद पौधारोपण अभियान की हवा निकल गई. हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने उस क्षेत्र का मुआयना किया और पौधों की देख-रेख के लिए तैनात सुमंत नायक से भी बात की. ये जानकर आश्चर्य होंगे कि जहां हजारों पौधे लगाए गए थे उनमें से महज 20 से 25 पौधे ही वृक्ष की शक्ल ले पाए हैं. शेष पौधों को देखरेख के अभाव में जानवर चट कर गए. इस लापरवाही के बाबत वन विभाग के कई अधिकारियों से संपर्क किया गया लेकिन सभी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

ये भी पढ़ें- आखिर क्यों एक कमरे में कैद हैं 'गौरी शंकर', पुरोहित भी नही उठाते इस रहस्य से पर्दा

28 दिसंबर 2014 तक रहा हेमंत सोरेन का कार्यकाल
खास बात है कि साल 2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में हमेशा अस्थिर सरकार रही. 2014 के चुनाव से पहले तक झारखंड में 9 मुख्यमंत्री बने. इस दौरान बाबूलाल मरांडी एक बार, अर्जुन मुंडा तीन बार, शिबू सोरेन तीन बार और बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा मुख्यमंत्री रहे. जबकि 2014 के चुनाव परिणाम से पहले 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी हुई और इनका कार्यकाल 28 दिसंबर 2014 तक रहा.

ईटीवी भारत ने दिखाया सच

इन सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने कार्यकाल में कहीं ना कहीं वृक्षारोपण की कवायद की लेकिन यह सुनिश्चित कराना किसी ने मुनासिब नहीं समझा कि पौधारोपण के नाम पर जिस तरीके से लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए आखिर उसका नतीजा क्या निकला. ईटीवी भारत ने पिछले दिनों पौधारोपण के सच को आपके सामने लाया था. यह दिखाया गया था कि कैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 13 जनवरी 2019 को बायो डायवर्सिटी पार्क में एक पौधा लगाया था लेकिन वन विभाग ने उस पौधे की भी देखरेख नहीं की.

Intro:नोट - Hemant plantation slug से लाइव यू के जरिए वृक्षारोपण की जमीनी हकीकत से जुड़ी तस्वीर वॉक थ्रू के साथ केयरटेकर की बाइट लेते हुए भेजी गई है।


झारखंड में पौधारोपण अभियान के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटाती रही हैं सरकारें, हेमंत सोरेन के कार्यकाल में पौधारोपण अभियान की पोल खोलती रिपोर्ट


रांची

झारखंड में अगस्त माह के शुरू होने के बावजूद औसत से काफी कम बारिश ने किसानों के साथ-साथ सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है । वर्षा जल को बर्बाद होने से बचाने के लिए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया है जिसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ओरमांझी प्रखंड के आराकेरम गांव में ग्रामीणों की ओर से पहाड़ के पानी को रोकने के लिए उठाए गए कदम की सराहना की थी। सरकार भी वर्षा जल को रोकने के लिए जगह-जगह जागरूकता अभियान चला रही है। इसके लिए जोर-शोर से वृक्षारोपण भी किया जा रहा है। कुछ इसी तरह की मुहिम तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शुरू की थी। 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने रांची के नामकुम प्रखंड स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क के पास खाली पड़े एक बड़े वन क्षेत्र में 30 अगस्त 2013 को हजारों की संख्या में वृक्ष लगाने का अभियान शुरू किया था। इस इलाके में हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए थे और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी पास के ही गांव के सुमंत नायक और राजू नायक को दी गई थी। वन विभाग की ओर से सुमंत और राजू को करीब 1 साल तक ₹4100 प्रतिमाह दिए भी गए। लेकिन 1 साल होते ही उनको पैसे देने बंद कर दिए गए। इसके बाद पौधारोपण अभियान की हवा निकल गई। हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने उस क्षेत्र का मुआयना किया और पौधों की देखरेख के लिए तैनात सुमंत नायक से भी बात की। अब जान कर आश्चर्य होंगे कि जहां हजारों पौधे लगाए गए थे उनमें से महज 20 से 25 पौधे ही वृक्ष की शक्ल ले पाए हैं। शेष पौधों को देखरेख के अभाव में जानवर चट कर गए। इस लापरवाही के बाबत वन विभाग के कई अधिकारियों से संपर्क किया गया लेकिन सभी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।




Body:खास बात है कि साल 2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में हमेशा अस्थिर सरकार रही। 2014 के चुनाव से पहले तक झारखंड में 9 मुख्यमंत्री बने। इस दौरान बाबूलाल मरांडी एक बार, अर्जुन मुंडा तीन बार, शिबू सोरेन तीन बार और बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा मुख्यमंत्री रहे। जबकि 2014 के चुनाव परिणाम से पहले 13 जुलाई 2013 को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी हुई और इनका कार्यकाल 28 दिसंबर 2014 तक रहा। इन सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने अपने कार्यकाल में कहीं ना कहीं वृक्षारोपण की कवायद की लेकिन यह सुनिश्चित कराना किसी ने मुनासिब नहीं समझा कि पौधारोपण के नाम पर जिस तरीके से लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए आखिर उसका नतीजा क्या निकला। ईटीवी भारत ने पिछले दिनों पौधारोपण के सच को आपके सामने लाया था। यह दिखाया गया था कि कैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 13 जनवरी 2019 को बायोडायवर्सिटी पार्क में एक पौधा लगाया था लेकिन वन विभाग ने उस पौधे की भी देखरेख नहीं की।


Conclusion:नो
Last Updated : Aug 1, 2019, 2:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.