रांची: कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन से पूरी दुनिया सहमी हुई है. कहा जा रहा है कि नए वैरिएंट ओमीक्रोन की वजह से तीसरी लहर आएगी. झारखंड में ओमीक्रोन का मामला नहीं आया है. सरकार भी दावा कर रही है कि वह स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से चुस्त दुरुस्त कर रही है. लेकिन अगर ओमीक्रोन के कारण तीसरी लहर आई तो एक बार फिर झारखंड के लोगों को वेंटिलेटर के लिए भटकना पड़ सकता है. क्योंकि झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में ही एक दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा वेंटिलेटर यूं ही धूल फांक रहे हैं और बाहर मरीज सांस के लिए तड़प रहे हैं. रिम्स की ये कुव्यवस्था सैकड़ों लोगों की जान ले सकता है.
झारखंड में सरकार और स्वास्थ्य महकमा रिम्स को मॉडल चिकित्सा संस्थान बताते नहीं अघाती है, तो कोई इसे रिसर्च संस्थान के रूप में देश दुनिया में ख्याति दिलाने की बात करता है. पर आज रिम्स के इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में जो तस्वीर दिखी वह न सिर्फ मानवता को शर्मसार करने के लिए काफी है बल्कि घुन लगी व्यवस्था से यह सवाल भी करती है कि लोकतंत्र और गणतंत्र में जिसके कल्याण और हितों को केंद्र में रख कर पूरी व्यवस्था चलती है वह आम इंसान किस हाल में है?
मरीज को घंटों एंबुलेंस में रहना पड़ा, बताया गया वेंटिलेटर नहीं है खाली
बेहोशी की हालत में गुमला के लौंगा गांव से परिजन बेहतर इलाज के लिए दुखु महतो को राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स एंबुलेंस से लाए गए. लेकिन यहां तत्काल इलाज शुरू करने की जगह करीब एक घंटे तक दुखु को एंबुलेंस में ही पड़ा रहना पड़ा और उसके बेटे विजय को इधर-उधर चक्कर लगाना पड़ा, क्योंकि रिम्स के इमरजेंसी में यह बताया गया कि अभी कोई भी वेंटिलेटर खाली नहीं है. दुखु को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत थी, ऐसे में एम्बुलेंस में ही दुखु के साथ आए परिजन अम्बो बैग या एयर बैग से उनके फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने की कवायद करता रहा.
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100 से ज्यादा वेंटिलेटर धूल फांक रहे
ऐसा नहीं है कि वास्तव में रिम्स में जितने वेंटिलेटर हैं सभी पर मरीज हैं. रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में ही एक-दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं. तो दूसरी ओर इमरजेंसी में दुखु जैसे गंभीर मरीज का जीवन बचाने के लिए वेंटिलेटर मयस्सर नहीं हो रहा है. दुखु के बेटे विजय महतो ने ईटीवी भारत से कहा कि उसके पिता अचानक बेहोश हो गए थे, फिर स्थिति बिगड़ने पर बेहतर इलाज के लिए एंबुलेंस से रिम्स ले पहुंचे तो यहां बताया जा रहा है कि वेंटिलेटर खाली नहीं है, अगर हाथ से घंटों कृत्रिम सांस देने को तैयार हो तो भर्ती कर लेंगे.
क्या कहते हैं रिम्स के जनसम्पर्क अधिकारी
पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने कैमरे में कैद करने लगी तो किसी तरह दुखु महतो को भर्ती किया गया. हालांकि अंदर में उसे वेंटिलेटर स्पोर्ट मिल रहा है या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है क्योंकि इमरजेंसी के अंदर जाने पर मीडियाकर्मियों पर रोक लगा दी गई है. इस अमानवीय और शर्मसार कर देने वाली स्थिति को जब ईटीवी भारत की टीम ने रिम्स के प्रभारी जनसम्पर्क पदाधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए, ट्रॉमा सेंटर का वेंटिलेटर किसी मरीज की जान बचाने के लिए है. कहीं भी दूसरे वार्ड में वेंटिलेटर ले जाया जा सकता है.