ETV Bharat / city

विधानसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र और चंडीगढ़ के नतीजों ने दूसरे दल से बीजेपी में शामिल विधायकों की बढ़ाई मुश्किल, दावेदारी के बीच भविष्य को लेकर संशय - assembly elections 2019

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए विधायकों की उम्मीदवारी पर संशय बरकरार है. बीजेपी का दावा है कि राज्य में उसके 43 लाख सदस्य हैं और अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कैडर काफी एक्टिव हैं.

भाजपा में शामिल विधायकों की दावेदारी के बीच भविष्य को लेकर संशय
author img

By

Published : Oct 27, 2019, 6:48 AM IST

रांची: प्रदेश की पहली बहुमत वाली सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दूसरे दलों से बीजेपी में आए विधायकों के माथे पर परेशानी की लकीर नजर आने लगी है. दरअसल, यह परेशानी महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद साफ देखने को मिल रही है. हरियाणा में बीजेपी ने 75 प्लस का नारा दिया था. उसी तरह झारखंड में भी 65 प्लस का नारा दिया गया है. बीजेपी का दावा है कि राज्य में उसके 43 लाख सदस्य हैं और अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कैडर काफी एक्टिव हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, पार्टी ने जिताऊ कैंडिडेट को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. हालांकि जिताऊ कैंडिडेट की परिभाषा क्या होगी इसको लेकर अभी भी संशय है. 2014 में कांग्रेस का दामन त्यागने वाले फिलहाल बीजेपी के नेता देव कुमार धान साफ तौर पर कहते हैं कि खिलाड़ी का काम मैदान में खेलते रहना है. बीजेपी एक राष्ट्रीय दल है और यहां का संसदीय बोर्ड तय करता है कि उम्मीदवार कौन होगा. अगर पार्टी को लगेगा कि वह एक उम्मीदवार है, तो उन्हें मौका मिलेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी से हमेशा जुड़े रहेंगे.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: जामा सीट से जेएमएम विधायक सीता सोरेन का रिपोर्ट कार्ड

वहीं, कोडरमा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके प्रणव कुमार वर्मा ने कहा कि जिताऊ उम्मीदवार किसे कहा जाए यह परिभाषित करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार फिल्म से जुड़े लोग भी राजनीति में आते हैं. हालांकि वह कभी जमीनी तौर पर बहुत सक्रिय नहीं होते. पार्टी का दावा ज्यादा सीटों का लक्ष्य इसलिए ज्यादा उम्मीदवार करिश्माई व्यक्तित्व वाले भी राजनीति में आते हैं और उन्हें मौका मिल जाता है. बीजेपी में वैसे जो लोग भी पार्टी के नीति सिद्धांत को लेकर चलेंगे और जनता में जिनकी पैठ होगी उसे ही मौका मिलेगा. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करनी है. यही वजह है कि दूसरे दलों से भी नेता बीजेपी में आ रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
दरअसल जैसे ही दिसंबर 2014 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पद की शपथ ली, उसके 2 महीने बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक बीजेपी के हो गए. मौजूदा सरकार में हाल तक उनके ऊपर दलबदल का मामला चलता रहा. बाद में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में यह 6 विधायक ऐसे थे जिन्होंने बीजेपी को बहुमत वाली सरकार बनाए रखने और साबित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. मौजूदा सरकार के कार्यकाल समाप्त होने के पहले झाविमो के एक और विधायक ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
लातेहार से झाविमो विधायक प्रकाश राम बीजेपी के रंग में रंग गए. इतना ही नहीं झामुमो के दो कुणाल षाड़ंगी और जयप्रकाश पटेल और कांग्रेस के दो मनोज यादव और सुखदेव भगत समेत निर्दलीय भानु प्रताप शाही भी बीजेपी के हो गए. 23 अक्टूबर को रांची में मुख्यमंत्री के सामने इन पांचों विधायक ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.

रांची: प्रदेश की पहली बहुमत वाली सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दूसरे दलों से बीजेपी में आए विधायकों के माथे पर परेशानी की लकीर नजर आने लगी है. दरअसल, यह परेशानी महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद साफ देखने को मिल रही है. हरियाणा में बीजेपी ने 75 प्लस का नारा दिया था. उसी तरह झारखंड में भी 65 प्लस का नारा दिया गया है. बीजेपी का दावा है कि राज्य में उसके 43 लाख सदस्य हैं और अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कैडर काफी एक्टिव हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, पार्टी ने जिताऊ कैंडिडेट को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. हालांकि जिताऊ कैंडिडेट की परिभाषा क्या होगी इसको लेकर अभी भी संशय है. 2014 में कांग्रेस का दामन त्यागने वाले फिलहाल बीजेपी के नेता देव कुमार धान साफ तौर पर कहते हैं कि खिलाड़ी का काम मैदान में खेलते रहना है. बीजेपी एक राष्ट्रीय दल है और यहां का संसदीय बोर्ड तय करता है कि उम्मीदवार कौन होगा. अगर पार्टी को लगेगा कि वह एक उम्मीदवार है, तो उन्हें मौका मिलेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी से हमेशा जुड़े रहेंगे.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: जामा सीट से जेएमएम विधायक सीता सोरेन का रिपोर्ट कार्ड

वहीं, कोडरमा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके प्रणव कुमार वर्मा ने कहा कि जिताऊ उम्मीदवार किसे कहा जाए यह परिभाषित करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार फिल्म से जुड़े लोग भी राजनीति में आते हैं. हालांकि वह कभी जमीनी तौर पर बहुत सक्रिय नहीं होते. पार्टी का दावा ज्यादा सीटों का लक्ष्य इसलिए ज्यादा उम्मीदवार करिश्माई व्यक्तित्व वाले भी राजनीति में आते हैं और उन्हें मौका मिल जाता है. बीजेपी में वैसे जो लोग भी पार्टी के नीति सिद्धांत को लेकर चलेंगे और जनता में जिनकी पैठ होगी उसे ही मौका मिलेगा. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करनी है. यही वजह है कि दूसरे दलों से भी नेता बीजेपी में आ रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
दरअसल जैसे ही दिसंबर 2014 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पद की शपथ ली, उसके 2 महीने बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक बीजेपी के हो गए. मौजूदा सरकार में हाल तक उनके ऊपर दलबदल का मामला चलता रहा. बाद में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में यह 6 विधायक ऐसे थे जिन्होंने बीजेपी को बहुमत वाली सरकार बनाए रखने और साबित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. मौजूदा सरकार के कार्यकाल समाप्त होने के पहले झाविमो के एक और विधायक ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
लातेहार से झाविमो विधायक प्रकाश राम बीजेपी के रंग में रंग गए. इतना ही नहीं झामुमो के दो कुणाल षाड़ंगी और जयप्रकाश पटेल और कांग्रेस के दो मनोज यादव और सुखदेव भगत समेत निर्दलीय भानु प्रताप शाही भी बीजेपी के हो गए. 23 अक्टूबर को रांची में मुख्यमंत्री के सामने इन पांचों विधायक ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.

Intro:बाइट 1 देव कुमार धान पूर्व विधायक बाइट 2 प्रणव कुमार वर्मा बीजेपी नेता बाइट 3 दीनदयाल बरनवाल प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी रांची। प्रदेश की पहली बहुमत वाली सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दूसरे दलों से बीजेपी में आए विधायकों के माथे पर परेशानी की लकीर है नजर आने लगी हैं। दरअसल यह परेशानी महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद साफ देखने को मिल रही है। हरियाणा में बीजेपी ने 75 प्लस का नारा दिया था। उसी तरह झारखंड में भी 65 प्लस का नारा दिया गया है। बीजेपी का दावा है कि राज्य में उसके 43 लाख सदस्य हैं और अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कैडर काफी एक्टिव है। वैसी स्थिति में दूसरे दलों से आए इन एक दर्जन विधायकों समेत अन्य नेताओं की वजह से समर्पित बीजेपी कार्यकर्ताओं के चेहरे की मुस्कान कथित तौर पर उड़ने लगी है।


Body:दरअसल पार्टी ने जिताऊ कैंडिडेट को मैदान में उतारने का फैसला लिया है। हालांकि जिताऊ कैंडिडेट की परिभाषा क्या होगी इसको लेकर अभी भी संशय है। क्या कहते हैं बीजेपी नेता 2014 में कांग्रेस का दामन त्यागने वाले फिलहाल बीजेपी के नेता देव कुमार धान साफ तौर पर कहते हैं कि खिलाड़ी का काम मैदान में खेलते रहना है बीजेपी एक राष्ट्रीय दल है और यहां का संसदीय बोर्ड तय करता है कि उम्मीदवार कौन होगा अगर पार्टी को लगेगा कि वह एक उम्मीदवार हैं तो उन्हें मौका मिलेगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी से हमेशा जुड़े रहेंगे वही कोडरमा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके प्रणव कुमार वर्मा ने काकी जिताऊ उम्मीदवार किसे कहा जाए यह परिभाषित करना संभव नहीं है उन्होंने कहा कि कई बार फिल्म से जुड़े लोग भी राजनीति में आते हैं हालांकि वह कभी जमीनी तौर पर बहुत सक्रिय नहीं होते लेकिन उनके फूल पर होते हैं इस वजह से भी उन्हें मौका मिलता है। पार्टी का दावा ज्यादा सीटों का लक्ष्य इसलिए ज्यादा उम्मीदवार करिश्माई व्यक्तित्व वाले भी राजनीति में आते हैं और उन्हें मौका मिल जाता है। बीजेपी में वैसे जो लोग भी पार्टी के नीति सिद्धांत को लेकर चलेंगे और जनता में जिनकी पैठ होगी उसे ही मौका मिलेगा। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करनी है। यही वजह है कि दूसरे दलों से भी नेता बीजेपी में आ रहे हैं।


Conclusion:क्या कहते हैं आंकड़े दरअसल जैसे ही दिसंबर 2014 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पद की शपथ ली। उसके 2 महीने बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक बीजेपी के हो गए। मौजूदा सरकार में हाल तक उनके ऊपर दलबदल का मामला झारखंड विधानसभा के स्पीकर दिनेश उरांव की अदालत में चलता रहा। बाद में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में यह छह विधायक ऐसे थे जिन्होंने बीजेपी को बहुमत वाली सरकार बनाए रखने और साबित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मौजूदा सरकार के कार्यकाल समाप्त होने के पहले झाविमो के एक और विधायक ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया। लातेहार से झाविमो विधायक प्रकाश राम बीजेपी के रंग में रंग गए। इतना ही नहीं झामुमो के दो कुणाल सारंगी और जयप्रकाश पटेल और कांग्रेस के दो मनोज यादव और सुखदेव भगत समेत निर्दलीय भानु प्रताप शाही भी बीजेपी के हो गए। 23 अक्टूबर को रांची में मुख्यमंत्री के समक्ष इन पांचों विधायक ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। कुल मिलाकर देखें तो अलग-अलग दलों के 12 विधायकों समेत दूसरे विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने पिछले 4 साल में बीजेपी का दामन थामा है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.