रांची: टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन की टीम के साथ भारतीय महिला हॉकी टीम ने जिस तरह से मुकाबला किया उसे हमेशा याद किया जाएगा. एकबारगी तो लगा कि मेडल तक पहुंचना ही मुश्किल होगा लेकिन भारत की बेटियों ने शानदार तरीके से कम बैक करते हुए ग्रेट ब्रिटेन की टीम को नाकों चने चबवा दिया. लेकिन अंत में लक ने साथ नहीं दिया. कांस्य पदक आते-आते फिसल गया. टोक्यो से झारखंड लौटी निक्की प्रधान और सलीमा टेटे को पदक नहीं जीतने का मलाल तो है लेकिन उन्हें भरोसा है कि पेरिस ओलंपिक में सारी रही सही कसर पूरी होगी. दोनों खिलाड़ियों से बात की हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने.
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हमने दूसरे देशों की सोच बदल दी
निक्की ने कहा कि हमारी तैयारी जबरदस्त थी. भारत से रवाना होते वक्त ही हम सभी ने सोच रखा था कि इस बार भारतीय महिला हॉकी टीम को एक नई पहचान दिला कर ही लौटेंगे. हम सभी ने सोच रखा था कि इस बार इतिहास रचना है. हम सभी उस मुकाम तक पहुंचे भी लेकिन बस एक कदम दूर रह गए. निक्की ने कहा कि अब तक विकसित देशों की टीम भारतीय महिला हॉकी टीम को हल्के में लेती थी. सबको लगता था कि इस टीम को आसानी से हराया जा सकता है. लेकिन टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सबकी सोच बदल दी. भारत को हल्के में लेने वाली सभी टीमों को समझ आ गई कि अब पहले वाली बात नहीं रही.
निक्की ने कहा कि हम लोगों को अंत तक विश्वास ही नहीं हो रहा था कि हार जाएंगे. हम सभी ठान चुके थे कि कम से कम कांस्य तो लेकर ही लौटना है. लेकिन मुकाबला बराबरी का था. दोनों टीमें दमदार थी. जीत एक की ही होनी थी लेकिन बैड लक था कि हम हार गए. इसके बावजूद भारतीय महिला हॉकी टीम लाखों देशवासियों का दिल जीतने में सफल रही.
सलीमा बोली- पेरिस ओलंपिक में जान लगा देंगे
पहली बार ओलंपिक खेलने वाली सलीमा टेटे सिमडेगा जैसे एक पिछड़े जिले से आती हैं. उन्होंने कहा कि मैं एक गांव से हूं. एक गरीब परिवार से हूं. गांव से निकलकर ओलंपिक तक पहुंचना आसान नहीं होता. लेकिन विपरीत परिस्थिति के बाद भी मेरे मम्मी पापा ने हमेशा सपोर्ट किया. बेशक हम ओलंपिक में मेडल नहीं ला सके लेकिन अब हमारा टारगेट पेरिस ओलंपिक है. इसके लिए जी जान लगाकर प्रैक्टिस करना है. सलीमा ने कहा कि आगामी ओलंपिक में भारतीय महिला टीम जरूर जीतेगी.