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छठी जेपीएससी परीक्षा मामले पर हाई कोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित - छठी जेपीएससी

छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर डबल बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित कर दिया है.

sixth jpsc case jharkhand high court
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Published : Oct 20, 2021, 5:49 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 5:54 PM IST

रांची: छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को एकल पीठ के द्वारा रद्द कर फिर से नए मेरिट लिस्ट बनाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. डबल बेंच ने मामले में सभी पक्षों की दलील को सुना सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत फैसला को सुरक्षित रखा है. अदालत इस पर शीघ्र अपना फैसला सुनाएगी. छठी जेपीएससी के द्वारा राज्य में नियुक्त 326 अधिकारी की नजर फिलहाल डबल बेंच से आने वाला फैसला पर लगी रहेगी. झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच का यह अहम फैसला होगा.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा.

अमृतांश वत्स, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट

ये भी पढ़ें: छठी जेपीएससी में कितने आरोप लगे? कितनी बार रिजल्ट निकाले गए? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने जो रिजल्ट प्रकाशित किया है वह सही है. विज्ञापन के क्लाउड 13 में दिया गया है कि कुल प्राप्तांक 1050 होगा. लेकिन अगर एकल पीठ के आदेश के हिसाब से फिर से नया मेरिट लिस्ट निकाला जाए और उस दो विषय के प्राप्तांक को ना जोड़ा जाए, तब ऐसे में कुल प्राप्तांक 900 होगा और यह विज्ञापन में दिए गए शर्त का उल्लंघन हो जाएगा. इसलिए एकल पीठ के आदेश गलत है उसे रद्द कर दिया जाए. पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने भी मामले में पक्ष रखा इनके अलावे पूर्व महाधिवक्ता अनिल सिन्हा ने इंद्रजीत सिन्हा ने भी अपना पक्ष रखा.

वहीं, सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि हमारी कोई मांग नहीं है. हम एकल पीठ के आदेश के साथ हैं. झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार का जो पक्ष है वही झारखंड लोक सेवा आयोग का भी स्टैंड है. वे सरकार के साथ हैं. आयोग की कोई डिमांड नहीं है. परीक्षा में असफल अभ्यर्थियों की ओर से से भी अदालत में पक्ष रखा गया. एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए कहा की परीक्षा के परिणाम में कई खामियां हैं. एकल पीठ का आदेश सही है. उसे बरकरार रखने की मांग की.

छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को गलत बताते हुए झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. झारखंड हाईकोर्ट के एकल पीठ ने मामले में सुनवाई के बाद ये माना था कि परीक्षा परिणाम जारी करने में गड़बड़ी हुई है. एकल पीठ ने परीक्षा के परिणाम को रद्द कर फिर से नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. एकल पीठ के उसी आदेश को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद झारखंड हाई कोर्ट के युगल पीठ ने मामले की सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया है.

रांची: छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को एकल पीठ के द्वारा रद्द कर फिर से नए मेरिट लिस्ट बनाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. डबल बेंच ने मामले में सभी पक्षों की दलील को सुना सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत फैसला को सुरक्षित रखा है. अदालत इस पर शीघ्र अपना फैसला सुनाएगी. छठी जेपीएससी के द्वारा राज्य में नियुक्त 326 अधिकारी की नजर फिलहाल डबल बेंच से आने वाला फैसला पर लगी रहेगी. झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच का यह अहम फैसला होगा.

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता झारखंड लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा.

अमृतांश वत्स, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट

ये भी पढ़ें: छठी जेपीएससी में कितने आरोप लगे? कितनी बार रिजल्ट निकाले गए? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने जो रिजल्ट प्रकाशित किया है वह सही है. विज्ञापन के क्लाउड 13 में दिया गया है कि कुल प्राप्तांक 1050 होगा. लेकिन अगर एकल पीठ के आदेश के हिसाब से फिर से नया मेरिट लिस्ट निकाला जाए और उस दो विषय के प्राप्तांक को ना जोड़ा जाए, तब ऐसे में कुल प्राप्तांक 900 होगा और यह विज्ञापन में दिए गए शर्त का उल्लंघन हो जाएगा. इसलिए एकल पीठ के आदेश गलत है उसे रद्द कर दिया जाए. पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने भी मामले में पक्ष रखा इनके अलावे पूर्व महाधिवक्ता अनिल सिन्हा ने इंद्रजीत सिन्हा ने भी अपना पक्ष रखा.

वहीं, सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि हमारी कोई मांग नहीं है. हम एकल पीठ के आदेश के साथ हैं. झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार का जो पक्ष है वही झारखंड लोक सेवा आयोग का भी स्टैंड है. वे सरकार के साथ हैं. आयोग की कोई डिमांड नहीं है. परीक्षा में असफल अभ्यर्थियों की ओर से से भी अदालत में पक्ष रखा गया. एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए कहा की परीक्षा के परिणाम में कई खामियां हैं. एकल पीठ का आदेश सही है. उसे बरकरार रखने की मांग की.

छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को गलत बताते हुए झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. झारखंड हाईकोर्ट के एकल पीठ ने मामले में सुनवाई के बाद ये माना था कि परीक्षा परिणाम जारी करने में गड़बड़ी हुई है. एकल पीठ ने परीक्षा के परिणाम को रद्द कर फिर से नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. एकल पीठ के उसी आदेश को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. उस याचिका पर सुनवाई के बाद झारखंड हाई कोर्ट के युगल पीठ ने मामले की सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया है.

Last Updated : Oct 20, 2021, 5:54 PM IST
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