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कोरोना मरीजों को ठीक करना चुनौती, डॉक्टरों ने कहा- हमने साकार किया

डॉक्टर्स धरती पर भगवान माने जाते हैं. कोरोना काल में मरीजों को ठीक करना डॉक्टर्स के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन उन्होंने चुनौती स्वीकार किया और कई मरीजों को नई जिंदगी दी.

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Published : May 22, 2021, 4:01 PM IST

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रांची: कोरोना महामारी के कारण आए इस संकट में जहां लोग लगातार अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. डॉक्टर्स को वो भगवान मान रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर के लिए भी मरीजों की जान बचाना एक चुनौती साबित हो रही है. कोरोना की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसमें कई ऐसे मरीज हैं जो गंभीर संक्रमित हैं और वो अन्य बीमारियां से भी ग्रसित हैं. ऐसे गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार कर ठीक करना कहीं ना कहीं डॉक्टरों के लिए एक चुनौती है.

इसे भी पढ़ें- सैन्य अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज की मुख्यमंत्री ने की सराहना

करीब 500 मरीज को ठीक किया

ऐसे गंभीर मरीजों को ठीक कर घर भेजने के अनुभव को साझा करते हुए रिम्स ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि पिछले 3 महीने में हजारों मरीजों का ट्रामा सेंटर में उपचार किया गया. उसमें लगभग 500 ऐसे मरीज हैं, जो गंभीर स्थिति में भर्ती हुए थे. उनका इलाज करना कहीं ना कहीं एक चुनौती थी. लेकिन इंटेंसिव केयर यूनिट की पूरी टीम के प्रयास से वैसे मरीजों को ठीक करके घर भेजा गया. जो निश्चित रूप से हमारे लिए बेहतर अनुभव रहा.

रिम्स ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज ने साझा किया अनुभव
संदीप को मिली बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

डॉक्टर एस. मंडल बताते हैं कि चुटिया के रहने वाले संदीप नाम के एक युवक जब अस्पताल में भर्ती हुए तो उस समय उन्हें सामान्य ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड पर एडमिट किया गया. जब उनकी स्थिति खराब होने लगी तो हम लोगों ने तुरंत ही उन्हें आईसीयू में एडमिट किया. जहां लगभग 12 दिनों तक मरीज का हमारे अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा की. जिसके बाद वह ठीक होकर अस्पताल से रिलीज हुए, जो कि हमारे लिए सुखद अनुभव रहा.

डॉ. एस. मंडल ने बताया मरीज का इलाज सुखद अनुभव था
परिजन मरीज को अस्पताल में छोड़ देते हैं

डॉक्टर उषा बताती हैं कि कोरोना काल में कई बार ऐसा देखा गया है कि परिजन अपने मरीज को अस्पताल में छोड़ कर चले जाते हैं. जिसके बाद मरीज की पूरी जिम्मेदारी हम डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के ऊपर होता है. उन्होंने पिछले दिनों एक बुजुर्ग महिला के बारे में बताया कि जब उनके परिजन उन्हें अस्पताल में छोड़कर चले गए. हम डॉक्टरों ने जी-जान से उनकी सेवा की और उन्हें स्वस्थ करके घर छोड़ा.

डॉ. ऊषा ने बांटा अनुभव

इसे भी पढ़ें- रांची के डीसी ने कोरोना सर्वे कार्य का लिया जायजा, ग्रामीणों को बताया वैक्सीन का फायदा

ब्लैग फंगस से पीड़ित को स्वस्थ करके घर भेजा
मेडिका अस्पताल के डॉ. अनुज बताते हैं कि ब्लैक फंगस के पहले मरीज जब उनके अस्पताल आए थे, तब उनका इलाज करना निश्चित रूप से एक चुनौती थी. लेकिन हम और हमारी टीम ने उस चुनौती को स्वीकार किया और मरीज का सफल ऑपरेशन कर उन्हें घर भेजा. जो हम चिकित्सकों को हमेशा ही एक बेहतर अनुभव का एहसास कराएगा.

मेडिका के डॉ. अनुज ने किया ब्लैग फंगस मरीज का इलाज
कोरोना काल में जिस तरह से मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ रही थी. डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही थी. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा मरीजों को ठीक कर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज करना डॉक्टरों के लिए चुनौती थी. लेकिन डॉक्टरों ने उस चुनौती को स्वीकारा और ऐसे कई मरीजों को ठीक कर के अस्पताल से घर भेजा जो जिंदगी की जंग हार रहे थे.

रांची: कोरोना महामारी के कारण आए इस संकट में जहां लोग लगातार अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. डॉक्टर्स को वो भगवान मान रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर के लिए भी मरीजों की जान बचाना एक चुनौती साबित हो रही है. कोरोना की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसमें कई ऐसे मरीज हैं जो गंभीर संक्रमित हैं और वो अन्य बीमारियां से भी ग्रसित हैं. ऐसे गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार कर ठीक करना कहीं ना कहीं डॉक्टरों के लिए एक चुनौती है.

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करीब 500 मरीज को ठीक किया

ऐसे गंभीर मरीजों को ठीक कर घर भेजने के अनुभव को साझा करते हुए रिम्स ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि पिछले 3 महीने में हजारों मरीजों का ट्रामा सेंटर में उपचार किया गया. उसमें लगभग 500 ऐसे मरीज हैं, जो गंभीर स्थिति में भर्ती हुए थे. उनका इलाज करना कहीं ना कहीं एक चुनौती थी. लेकिन इंटेंसिव केयर यूनिट की पूरी टीम के प्रयास से वैसे मरीजों को ठीक करके घर भेजा गया. जो निश्चित रूप से हमारे लिए बेहतर अनुभव रहा.

रिम्स ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज ने साझा किया अनुभव
संदीप को मिली बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

डॉक्टर एस. मंडल बताते हैं कि चुटिया के रहने वाले संदीप नाम के एक युवक जब अस्पताल में भर्ती हुए तो उस समय उन्हें सामान्य ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड पर एडमिट किया गया. जब उनकी स्थिति खराब होने लगी तो हम लोगों ने तुरंत ही उन्हें आईसीयू में एडमिट किया. जहां लगभग 12 दिनों तक मरीज का हमारे अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा की. जिसके बाद वह ठीक होकर अस्पताल से रिलीज हुए, जो कि हमारे लिए सुखद अनुभव रहा.

डॉ. एस. मंडल ने बताया मरीज का इलाज सुखद अनुभव था
परिजन मरीज को अस्पताल में छोड़ देते हैं

डॉक्टर उषा बताती हैं कि कोरोना काल में कई बार ऐसा देखा गया है कि परिजन अपने मरीज को अस्पताल में छोड़ कर चले जाते हैं. जिसके बाद मरीज की पूरी जिम्मेदारी हम डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के ऊपर होता है. उन्होंने पिछले दिनों एक बुजुर्ग महिला के बारे में बताया कि जब उनके परिजन उन्हें अस्पताल में छोड़कर चले गए. हम डॉक्टरों ने जी-जान से उनकी सेवा की और उन्हें स्वस्थ करके घर छोड़ा.

डॉ. ऊषा ने बांटा अनुभव

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ब्लैग फंगस से पीड़ित को स्वस्थ करके घर भेजा
मेडिका अस्पताल के डॉ. अनुज बताते हैं कि ब्लैक फंगस के पहले मरीज जब उनके अस्पताल आए थे, तब उनका इलाज करना निश्चित रूप से एक चुनौती थी. लेकिन हम और हमारी टीम ने उस चुनौती को स्वीकार किया और मरीज का सफल ऑपरेशन कर उन्हें घर भेजा. जो हम चिकित्सकों को हमेशा ही एक बेहतर अनुभव का एहसास कराएगा.

मेडिका के डॉ. अनुज ने किया ब्लैग फंगस मरीज का इलाज
कोरोना काल में जिस तरह से मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ रही थी. डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही थी. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा मरीजों को ठीक कर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज करना डॉक्टरों के लिए चुनौती थी. लेकिन डॉक्टरों ने उस चुनौती को स्वीकारा और ऐसे कई मरीजों को ठीक कर के अस्पताल से घर भेजा जो जिंदगी की जंग हार रहे थे.
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