रांची: सूबे में पहली बार बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करने वाली सत्तारूढ़ बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव 2019 को लेकर मौजूदा मंत्रियों की उम्मीदवारी पर फिलहाल संशय है. दरअसल, हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद झारखंड में भी इस बात को लेकर अंदरखाने चर्चा शुरू हो गई है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के कैबिनेट मंत्रियों पर दांव खेला जाए या नहीं.
जिस तरह हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव 2019 में वहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत 8 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. उसके बाद झारखंड में बीजेपी हर कदम फूंक-फूंककर रखने के मूड में है. हरियाणा से झारखंड की तुलना इसलिए वाजिब है क्योंकि दोनों प्रदेशों में विधानसभा के आकार में बड़ा अंतर नहीं है. हरियाणा विधानसभा में जहां 90 विधायक हैं, वहीं झारखंड विधानसभा में 81 इलेक्टेड सदस्य हैं.
उम्मीदवारों के नाम पर मंथन
वहीं, दूसरी ओर 2014 में हरियाणा में सरकार चलाने के लिए मुख्यमंत्री समेत 10 लोगों को कैबिनेट में जगह दी गई. वहीं, झारखंड में मुख्यमंत्री समेत 11 सदस्यों की कैबिनेट बनी. प्रशासनिक दृष्टिकोण से हरियाणा 4 प्रमंडलों के 22 जिलों में फैला है. जबकि झारखंड में 5 प्रमंडल के तहत 24 जिले आते हैं. चर्चा में है कि प्रदेश के जिन मंत्रियों के नाम पर विचार और पुनर्विचार चल रहा है उनमें रामचंद्र चंद्रवंशी, रणधीर सिंह, लुईस मरांडी, नीरा यादव और सीपी सिंह के नाम शामिल हैं.
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वोटरों में उम्मीदवार की पकड़ को लेकर मंथन
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें, तो मुख्यमंत्री को छोड़कर सभी 10 मंत्रियों के काम और वोटर में पकड़ को लेकर मंथन किया गया है. राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय दूसरी बार विधायक बने हैं, लेकिन लंबे समय से वह कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. दरअसल, राय राज्य सरकार के कुछ फैसलों को लेकर सरयू राय लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. इस वजह से मौजूदा सरकार उनको लेकर बहुत 'कंफर्टेबल' नहीं है. वहीं, राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा लोकसभा चुनाव के बाद रडार पर हैं. खूंटी संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाला मुंडा का विधानसभा इलाका ऐसा था जहां बीजेपी को बढ़त नहीं मिल पाई.
तकनीकी संस्थानों को लेकर विवादों में रामचंद्र चंद्रवंशी
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी पलामू में अपने बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा चलाए जा रहे तकनीकी संस्थानों को लेकर हमेशा विवादों में रहे हैं. इतना ही नहीं उनके वायरल हुए वीडियो और ऑडियो क्लिप को लेकर भी काफी विवाद हुआ है. यही हाल संथाल परगना की सारठ विधानसभा इलाके से आने वाले रणधीर सिंह का है. उनके बड़बोलेपन के किस्से आम हैं. इतना ही नहीं उनके एक वायरल वीडियो में बीजेपी और संघ के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग का मामला भी उठा था.
लुईस मरांडी और राज पालिवार से संगठन असंतुष्ट
इसके साथ ही संथाल के बाकी दोनों मंत्री लुईस मरांडी और राज पालिवार को लेकर भी सरकार और संगठन में संतोष का भाव नहीं है. दरअसल, मरांडी स्थानीय तौर पर बीजेपी नेताओं के साथ सहज समीकरण बनाने में सफल नहीं हो पाई. वहीं, राज पालिवार भी बहुत कंफर्टेबल नहीं माने जा रहे हैं. रांची से विधायक और शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं.
कई सीटों पर उम्मीदवारी पर संशय
एक तरफ राजधानी में पड़ने वाली इस विधानसभा सीट के लिए युवा चेहरे की तलाश की जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ सीपी सिंह के नाम पर भी पुनर्विचार की चर्चा है. हालांकि टूरिज्म मिनिस्टर अमर बाउरी को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है, लेकिन चंदनकियारी विधानसभा से चुनकर आने वाले बाउरी की इस सीट पर आजसू का कड़ा दावा है. ऐसे में बीजेपी उनको लेकर भी गंभीर चिंतन कर रही है.
'झारखंड में हैं परफॉर्मिंग मिनिस्टर'
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि हरियाणा और झारखंड के लोकल फैक्टर में अंतर है. वहां मंत्रियों की हार किस वजह से हुई इस पर मंथन चल रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में परफॉर्मिंग मिनिस्टर हैं. हालांकि टिकट को लेकर फैसला केंद्रीय नेतृत्व करता है. वहीं, विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साफ कहा कि हरियाणा में जनता ने बीजेपी को पूरी तरह नकार दिया है. यह साफ हो गया कि बीजेपी जो दावे करती है लोग उससे सहमत नहीं हैं. साथ ही कई मंत्रियों का वीडियो और ऑडियो भी वायरल हुआ है.