रांची: झारखंड में हुए अल्पसंख्यक छात्रवृति घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम पूरी तरह से रेस हो गई है. प्रारंभिक जांच में एसीबी को किसी एक गिरोह की ओर से इस घोटाले को अंजाम दिए जाने के सबूत नहीं मिले हैं.
अलग अलग गिरोह शामिल
एसीबी ने चतरा, धनबाद, गढ़वा समेत अन्य जिलों में सामने आये मामलों की प्रारंभिक जांच के दौरान यह पाया कि सभी जिलों में अलग अलग गिरोह की ओर से घोटाले को अंजाम दिया गया है. एसीबी की जांच में किसी एक संगठित गिरोह की संलिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं. एसीबी की शुरूआती जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कई जिलों में स्कूल में लाख रुपये से कम की गड़बड़ी स्थानीय स्तर पर ही हुई है. एसीबी ने मामले की शुरूआती जांच के दौरान आए तथ्यों के आधार पर सभी जिलों से अब तय फार्मेट में जानकारी मांगी है. एसीबी ने जिलों से पूछा है कि उनके यहां कितने की गड़बड़ी हुई है, गड़बड़ी में कौन कौन से लोग शामिल हैं. साथ ही घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया.
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अलग अलग जिलों के लिए अलग अलग केस
एसीबी की शुरूआती जांच में संगठित गिरोह की संलिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं, ऐसे में एसीबी की ओर से जिन जिलों में घोटाले हुए हैं, वहां से जुड़े मामलों में अलग से केस किया जा सकता है. जिलेवार केस दर्ज किए जाने के बाद एसीबी के उस प्रमंडल को जांच का जिम्मा दिया जा सकता है. एसीबी के अधिकारियों के मुताबिक, हर जिले में अलग अलग तरीके से घोटाला हुआ है, ऐसे में एक साथ सारे मामले को जोड़ते हुए अनुसंधान नहीं किया जा सकता. यही वजह है कि अलग अलग जिलों से जुड़े मामलों में अलग अलग एफआईआर दर्ज की जा सकती है.
सीएम के आदेश पर हो रही जांच
अल्पसंख्यक छात्रवृति घोटाले को लेकर आयी मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले की एसीबी जांच के आदेश दिए थे. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद एसीबी के डीएसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में कई इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारियों की जांच टीम बनायी गई. एसीबी ने पीई दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है. पीई में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद एसीबी एफआईआर दर्ज करेगी.