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170 करोड़ रुपए का अनियमितता मामला: निरंजन के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा, ACB की रडार पर कई और अधिकारी - झारखंड एंटी करप्शन ब्यूरो

जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एंटी करप्शन ब्यूरो ने कर दी है. एसीबी ने पूरे मामले में जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को भेजी है.

former Jareda director Niranjan Kumar
170 करोड़ अनियमितता मामला
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Published : Jun 10, 2020, 1:48 AM IST

रांची: जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एंटी करप्शन ब्यूरो ने कर दी है. एसीबी ने पूरे मामले में जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को भेजी है. विभाग को भेजी रिपोर्ट में 170 करोड़ की अनियमितता मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा की है.

आदेश का इंतजार
मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के आदेश मिलते ही इस मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. गौरतलब है कि बीते हफ्ते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद निरंजन कुमार खिलाफ एसीबी ने 170 करोड़ रुपए की अनियमितता संबंधित पीई दर्ज की थी. शुरुआती जांच में जरेडा के राम सिंह, अरविंद कुमार जैसे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है.

किस तरह की अनियमितता आई सामने
इंडियन पोस्ट एंड पीसी अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के दफ्तर में पिछले सफ्ताह छापेमारी की गई थी. निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने, सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपए का भुगतान करने, सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति के विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा के शर्तों को बदलने का आरोप है.

झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं हैं निरंजन
बता दें कि निरंजन कुमार झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है बल्कि आईपीटीएएफएस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को 1 दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए थे. निरंजन कुमार अपने पहुंच के बल पर जेयूएसएनएल और जरेडा के निदेशक बन गए, जबकि इन पदों के लिए उन्होंने कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं की. 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी निरंजन कुमार अपने पद पर बने रहें, जबकि निरंजन कुमार की प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार या डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब तत्कालीन सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

ये भी पढ़ें: जी 7 में भागीदारी के लिए अमेरिका ने भारत को दिया न्योता : तरनजीत संधू

जांच में कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
एसीबी के जांच में निरंजन कुमार के अलावा राम सिंह अरविंद कुमार सहित कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने निरंजन कुमार के विरुद्ध छापेमारी के दौरान राम सिंह के फाइलों को जब्त किया है. इनकी गहनता से जांच की जा रही है. फाइलों पर जांच के दौरान ही अरविंद कुमार का भी नाम घोटालों में सामने आया है. एसीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निरंजन कुमार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी आगे की जांच में जैसे-जैसे नए तथ्य मिलेंगे दूसरे अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा.

रांची: जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एंटी करप्शन ब्यूरो ने कर दी है. एसीबी ने पूरे मामले में जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को भेजी है. विभाग को भेजी रिपोर्ट में 170 करोड़ की अनियमितता मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा की है.

आदेश का इंतजार
मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के आदेश मिलते ही इस मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. गौरतलब है कि बीते हफ्ते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद निरंजन कुमार खिलाफ एसीबी ने 170 करोड़ रुपए की अनियमितता संबंधित पीई दर्ज की थी. शुरुआती जांच में जरेडा के राम सिंह, अरविंद कुमार जैसे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है.

किस तरह की अनियमितता आई सामने
इंडियन पोस्ट एंड पीसी अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के दफ्तर में पिछले सफ्ताह छापेमारी की गई थी. निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने, सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपए का भुगतान करने, सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति के विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा के शर्तों को बदलने का आरोप है.

झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं हैं निरंजन
बता दें कि निरंजन कुमार झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है बल्कि आईपीटीएएफएस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को 1 दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए थे. निरंजन कुमार अपने पहुंच के बल पर जेयूएसएनएल और जरेडा के निदेशक बन गए, जबकि इन पदों के लिए उन्होंने कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं की. 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी निरंजन कुमार अपने पद पर बने रहें, जबकि निरंजन कुमार की प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार या डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब तत्कालीन सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

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जांच में कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
एसीबी के जांच में निरंजन कुमार के अलावा राम सिंह अरविंद कुमार सहित कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने निरंजन कुमार के विरुद्ध छापेमारी के दौरान राम सिंह के फाइलों को जब्त किया है. इनकी गहनता से जांच की जा रही है. फाइलों पर जांच के दौरान ही अरविंद कुमार का भी नाम घोटालों में सामने आया है. एसीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निरंजन कुमार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी आगे की जांच में जैसे-जैसे नए तथ्य मिलेंगे दूसरे अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा.

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