रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने के कारण पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों में मायूसी छा गई है. हालांकि झारखंड राज्य सरकार पंचायती राज व्यवस्था को वैकल्पिक तौर पर संचालित करने की तैयारी में जुट गई है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब तक पंचायतों के चुनाव नहीं होते हैं तब तक पंचायती राज व्यवस्था के लिए प्रत्येक पंचायत में समूह यह समिति के गठन पर विचार किया जा रहा है, जिसके बाद पंचायत प्रतिनिधियों में समय पर पंचायत चुनाव कराने को लेकर सरकार से गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अगर पंचायत चुनाव समय पर नहीं होते हैं तो इसको लेकर तमाम जनप्रतिनिधि विरोध प्रदर्शन करेंगे.
4 जनवरी को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल होगा समाप्त
पंचायती राज व्यवस्था के तहत कार्य कर चुके प्रतिनिधियों के तहत चुने गए जिला परिषद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड पार्षद के कार्यकाल की अवधि 4 जनवरी को समाप्त होने वाली है. ऐसे में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वैश्विक महामारी के कारण इस बार चुनाव का समय नहीं कराए जा सकते हैं.
झारखंड में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 4 जनवरी को समाप्त होने जा रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हुई परिस्थितियों के कारण इस वर्ष पंचायतों का त्रिस्तरीय चुनाव करना संभव नहीं हो पाया. इस साल 31 दिसंबर तक ग्राम पंचायतों का विघटन और पूर्ण गठन की प्रक्रिया पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया था लेकिन यह भी प्रक्रिया फिलहाल अटक गई है.
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झारखंड में दूसरी बार पंचायत चुनाव 2015 में हुए थे. 24 जिले में 263 प्रखंडों में 4402 ग्राम पंचायतों में मुखिया के लिए चुनाव संपन्न हुए थे. पंचायत समिति के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र की संख्या 5,423 और जिला परिषद क्षेत्र निर्वाचित की संख्या 545 थी. लगभग 10 हजार पंचायत प्रतिनिधि निर्वाचित होकर पहुंचे थे. इन्हीं के तीसरे चरण का चुनाव होना था. इसके अलावा छह नगर निकाय चुनाव की अवधि मई में ही समाप्त हो चुकी है. यह भी महामारी के कारण अटकी पड़ी हुई है.