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लॉकडाउन का साइड इफेक्ट, बढ़ सकती है मनोरोग की समस्या

कोरोना वायरस से संक्रमित या संदिग्धों के लिए जो मेडिकल गाइडलाइन है उसके अनुसार उन्हें 14 दिन तक एक तरह से एकांतवास में रहना पड़ रहा है. उनमें से कुछ सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में है, जबकि बड़ी संख्या में लोग होम क्वॉरेंटाइन किए जा रहे हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो यह एक ऐसी मनोदशा है जिसमें लोग नकारात्मक सोच के तरफ जल्दी मुड़ जाते हैं.

Psychiatric problem may increase after lockdown in jharkhand
कोरोना वायरस
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Published : Apr 10, 2020, 5:30 PM IST

रांची: कोरोना के उपचार क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन का असर आगे चलकर साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम में विकसित हो सकता है. ऐसे में क्वॉरेंटाइन और आइसोलेट होने वाले लोगों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की वकालत शुरू हो गई है.

देखिए पूरी खबर

दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित या संदिग्धों के लिए जो मेडिकल गाइडलाइन है उसके अनुसार उन्हें 14 दिन तक एक तरह से एकांतवास में रहना पड़ रहा है. उनमें से कुछ सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में है, जबकि बड़ी संख्या में लोग होम क्वॉरेंटाइन किए जा रहे हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो यह एक ऐसी मनोदशा है जिसमें लोग नकारात्मक सोच के तरफ जल्दी मुड़ जाते हैं. इस फेज का असर उम्रदराज लोगों और बच्चों में देखा जा सकता है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

रांची इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री (रिनपास) के मनोचिकित्सक सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं कि कोरोना का भय हर चेहरे पर नजर आ रहा है. लोगों के मन में सबसे पहली शंका खुद के संक्रमित होने को लेकर हैं. ऐसे में सीधे नकारात्मक सोच जेनरेट हो जा रही है. उन्होंने कहा कि अवसाद के डायग्नोसिस में भी 14 दिन का पीरियड देखा जाता है. ऐसे में कोरोना का पोस्ट इफेक्ट भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उम्रदराज लोग मन बहलाने के लिए रामायण और महाभारत जैसे टीवी सीरियल देख रहे हैं, लेकिन इससे सल्यूशन निकलने वाला नहीं है.

रोजगार और आमदनी की चिंता

उन्होंने साफ कहा कि घर के बड़े बुजुर्गों की सबसे बड़ी चिंता रोजगार और परिवार के आय को लेकर है. दरअसल, कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने व्यापार और निजी क्षेत्र की नौकरियों को प्रभावित कर दिया है. हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि जो मानसिक बीमारियों की दवाई खा रहे हैं उन्हें इस दौरान पूरी तरह से उन पर निर्भर होना पड़ेगा, लेकिन वैसे लोग जिन्हें अभी-अभी मानसिक अवसाद डायग्नोसिस हुआ है. उनके लिए यह लॉकडाउन का पीरियड काफी कष्टप्रद होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे सभी लोगों की मेडिकल काउंसलिंग जरूरी होगी क्योंकि कोरोना का एपिसोड जैसे समाप्त होगा उसके बाद अवसाद, एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्याएं सामने आ खड़ी हो जाएंगी.

सुझाए जा रहे हैं ऐसे उपाय

ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने साफ कहा कि लोग सकारात्मक किताबें पढ़ें. इसके साथ ही बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. उन्होंने कहा कि बड़े बूढ़ों के साथ घर के सदस्यों को ज्यादा इंटरेक्ट करना चाहिए. इसके साथ ही उनसे हंसी खुशी के क्षण के बारे में चर्चा की जानी चाहिए ताकि उनके मन में सकारात्मक सोच बनी रहे.

ये भी पढे़ं: प्रशासन चला रहा जागरूकता अभियान, लोकभाषा और लोकगीत के माध्यम से बता रहा कोरोना की भयावहता

सरकार ने जारी किया है कॉल सेंटर का नंबर

हालांकि, इन सबसे इतर राज्य सरकार भी इस चीज को भांप रही है. यही वजह है कि रांची जिला प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जिसमें मनोचिकित्सक से लोग राय ले सकते हैं. इतना ही नहीं, इस दौरान आम दिनों में सड़कों पर बैठे मानसिक विक्षिप्त को देख कर यूं ही छोड़ देने वाला जिला प्रशासन अब उन्हें बकायदा उठाकर रिनपास जैसे संस्थानों में भेज रहा है. जिले के अनगड़ा में एक विक्षिप्त महिला के संबंध में पुलिसकर्मी ने बताया कि उसे पिछले तीन-चार दिन से उस इलाके के गांव में देखा गया. कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर उसे उठाकर वहां से रिनपास शिफ्ट किया जा रहा है ताकि उसे प्रॉपर इलाज मिल सके.

ये हैं सरकारी आंकड़ें

सरकारी आंकड़ों पर यकीन करें तो राज्य में फिलहाल लगभग 1.41 लाख लोग होम क्वॉरेंटाइन में है, जबकि 14,000 से अधिक वैसे क्वॉरेंटाइन सेंटर में है, जिनकी मॉनिटरिंग सरकार कर रही है. अभी तक राज्य में कोरोना संक्रमण के 13 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. उनमें बोकारो में पांच, हजारीबाग में एक और रांची में 7 मामले शामिल हैं. अब तक 1439 लोगों की जांच की गई है, जिसमें से 1204 जांच रिपोर्ट नेगेटिव है, जबकि 222 लोगों की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.

रांची: कोरोना के उपचार क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन का असर आगे चलकर साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम में विकसित हो सकता है. ऐसे में क्वॉरेंटाइन और आइसोलेट होने वाले लोगों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की वकालत शुरू हो गई है.

देखिए पूरी खबर

दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित या संदिग्धों के लिए जो मेडिकल गाइडलाइन है उसके अनुसार उन्हें 14 दिन तक एक तरह से एकांतवास में रहना पड़ रहा है. उनमें से कुछ सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर में है, जबकि बड़ी संख्या में लोग होम क्वॉरेंटाइन किए जा रहे हैं. मनोचिकित्सकों की मानें तो यह एक ऐसी मनोदशा है जिसमें लोग नकारात्मक सोच के तरफ जल्दी मुड़ जाते हैं. इस फेज का असर उम्रदराज लोगों और बच्चों में देखा जा सकता है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

रांची इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री (रिनपास) के मनोचिकित्सक सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं कि कोरोना का भय हर चेहरे पर नजर आ रहा है. लोगों के मन में सबसे पहली शंका खुद के संक्रमित होने को लेकर हैं. ऐसे में सीधे नकारात्मक सोच जेनरेट हो जा रही है. उन्होंने कहा कि अवसाद के डायग्नोसिस में भी 14 दिन का पीरियड देखा जाता है. ऐसे में कोरोना का पोस्ट इफेक्ट भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उम्रदराज लोग मन बहलाने के लिए रामायण और महाभारत जैसे टीवी सीरियल देख रहे हैं, लेकिन इससे सल्यूशन निकलने वाला नहीं है.

रोजगार और आमदनी की चिंता

उन्होंने साफ कहा कि घर के बड़े बुजुर्गों की सबसे बड़ी चिंता रोजगार और परिवार के आय को लेकर है. दरअसल, कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने व्यापार और निजी क्षेत्र की नौकरियों को प्रभावित कर दिया है. हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि जो मानसिक बीमारियों की दवाई खा रहे हैं उन्हें इस दौरान पूरी तरह से उन पर निर्भर होना पड़ेगा, लेकिन वैसे लोग जिन्हें अभी-अभी मानसिक अवसाद डायग्नोसिस हुआ है. उनके लिए यह लॉकडाउन का पीरियड काफी कष्टप्रद होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे सभी लोगों की मेडिकल काउंसलिंग जरूरी होगी क्योंकि कोरोना का एपिसोड जैसे समाप्त होगा उसके बाद अवसाद, एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्याएं सामने आ खड़ी हो जाएंगी.

सुझाए जा रहे हैं ऐसे उपाय

ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने साफ कहा कि लोग सकारात्मक किताबें पढ़ें. इसके साथ ही बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. उन्होंने कहा कि बड़े बूढ़ों के साथ घर के सदस्यों को ज्यादा इंटरेक्ट करना चाहिए. इसके साथ ही उनसे हंसी खुशी के क्षण के बारे में चर्चा की जानी चाहिए ताकि उनके मन में सकारात्मक सोच बनी रहे.

ये भी पढे़ं: प्रशासन चला रहा जागरूकता अभियान, लोकभाषा और लोकगीत के माध्यम से बता रहा कोरोना की भयावहता

सरकार ने जारी किया है कॉल सेंटर का नंबर

हालांकि, इन सबसे इतर राज्य सरकार भी इस चीज को भांप रही है. यही वजह है कि रांची जिला प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जिसमें मनोचिकित्सक से लोग राय ले सकते हैं. इतना ही नहीं, इस दौरान आम दिनों में सड़कों पर बैठे मानसिक विक्षिप्त को देख कर यूं ही छोड़ देने वाला जिला प्रशासन अब उन्हें बकायदा उठाकर रिनपास जैसे संस्थानों में भेज रहा है. जिले के अनगड़ा में एक विक्षिप्त महिला के संबंध में पुलिसकर्मी ने बताया कि उसे पिछले तीन-चार दिन से उस इलाके के गांव में देखा गया. कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर उसे उठाकर वहां से रिनपास शिफ्ट किया जा रहा है ताकि उसे प्रॉपर इलाज मिल सके.

ये हैं सरकारी आंकड़ें

सरकारी आंकड़ों पर यकीन करें तो राज्य में फिलहाल लगभग 1.41 लाख लोग होम क्वॉरेंटाइन में है, जबकि 14,000 से अधिक वैसे क्वॉरेंटाइन सेंटर में है, जिनकी मॉनिटरिंग सरकार कर रही है. अभी तक राज्य में कोरोना संक्रमण के 13 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. उनमें बोकारो में पांच, हजारीबाग में एक और रांची में 7 मामले शामिल हैं. अब तक 1439 लोगों की जांच की गई है, जिसमें से 1204 जांच रिपोर्ट नेगेटिव है, जबकि 222 लोगों की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.

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