रांची: कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों से फीस नहीं लेने का मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. हालांकि, इसको लेकर बयानबाजी जमकर हुई, लेकिन अभी तक सरकार के स्तर से न कोई निर्देश आया और न कोई कदम उठाए गए हैं.
दरअसल, राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से लेकर जून 2020 तक की फीस नहीं लेने संबंधी निर्देश देने की घोषणा की थी. हालांकि, उनकी यह घोषणा अभी तक अमलीजामा नहीं पहन पाई है. एक तरफ मार्च के बाद अब स्कूलों में नए एकेडमिक सेशन की शुरुआत हो गई है. वहीं, दूसरी तरफ निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के ऊपर फी जमा करने का दबाव बढ़ गया है. हैरत की बात यह है कि निजी स्कूल अब बच्चों के ऊपर न केवल ही जमा करने का दबाव डाल रहे हैं बल्कि उनसे ट्रांसपोर्टेशन सी भी वसूली जा रही है. इतना ही नहीं शहर के प्रतिष्ठित विद्यालयों में भी यही स्थिति है.
झारखंड सरकार का दावा
शिक्षा मंत्री की फीस माफी से जुड़ी घोषणा के बाद राज्य सरकार से इस मामले में एक कमिटी का गठन होना है. उस कमिटी की अध्यक्षता मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे. कमिटी में वित्त विभाग के अलावे आपदा विभाग के अधिकारी होंगे. आंकड़ों के अनुसार, राज्य में निजी स्कूलों की संख्या लगभग 18 हजार से अधिक है. वैसी हालत में उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 10 लाख से अधिक होगी. आधिकारिक सूत्रों का यकीन करें तो फीस माफी को लेकर बनाए जाने वाले कमेटी से जुड़ी फाइल फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दफ्तर में पड़ी है. हालांकि, इसको लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद ही इस बाबत आगे की कार्यवाही की जा सकेगी.
कुछ भी बोलने से बच रहे अधिकारी
वहीं, इस बाबत स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने साफ कहा कि इस बाबत अभी तक राज्य सरकार का कोई निर्णय नहीं आया. उन्होंने कहा कि विभाग से जुड़ी ऐसी कोई चिट्ठी नहीं जारी हुई है. सरकार का जब ऐसा कोई ऑर्डर आएगा तब फैसला लिया जाएगा.
ये भी पढे़ं: आम लोगों को तीन साल के लिए भर्ती करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही सेना
अभिभावक मंच ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र
झारखंड अभिभावक मंच के अजय राय ने कहा कि एसोसिएशन की ओर से केंद्रीय एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल को लेटर दिया है. उनसे मांग की गयी है कि पूरे देश के लिए एक आदेश पारित करें. एक यूनिफार्म आदेश निकाला जाए क्योंकि अलग-अलग प्रदेशों में लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग सरकारों ने कुछ आदेश दिए हैं. कहीं पर एनुअल फीस माफ करके मंथली फीस लिए जाने संबंधी आदेश दिए गए हैं तो कहीं 3 महीने की फीस माफ की गई है.