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कोरोना में कुम्हारों की उम्मीद, दीये लाएंगे खुशहाली की दीपावली

लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कहर ने आम आदमी की आदतों से लेकर पर्व त्योहार का स्वरूप बाजार की चाल सब कुछ बदल कर रख दिया है. दीपों के पर्व दीपावली के दौरान भी लोगों के मन में कोरोना वायरस का डर जरूर है तो दूसरी और इस पर्व में खास भूमिका रखने वाले कुम्हार समाज के लोग इस त्योहार से कई उम्मीदें पाल रखे हैं, लेकिन क्या इस वर्ष उनकी आमदनी बढ़ेगी या फिर उन्हें आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ेगी. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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Published : Nov 4, 2020, 12:13 PM IST

Updated : Nov 4, 2020, 12:34 PM IST

रांची: कोरोना के कारण इस वर्ष पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी विभिन्न पर्व त्योहार फीका-फीका ही मनाया गया. वहीं, दीपों के पर्व दीपावली के दौरान भी लोगों के मन में कोरोना वायरस का डर जरूर है तो दूसरी और इस पर्व में खास भूमिका रखने वाले कुम्हार समाज के लोग इस त्योहार से कई उम्मीदें पाल रखे हैं, लेकिन क्या इस वर्ष उनकी आमदनी बढ़ेगी या फिर उन्हें आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ेगी. यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि, भारत और चीन के बीच तनाव के कारण चीन के आकर्षक इलेक्ट्रॉनिक दीये बाजार में कम है. इसे देखते हुए कुम्हारों को थोड़ी उम्मीद बढ़ी है.

देखिए पूरी खबर

दीपावली में भी कोरोना का खौफ

लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कहर ने आम आदमी की आदतों से लेकर पर्व त्योहार का स्वरूप बाजार की चाल सब कुछ बदल कर रख दिया है. इस बार बदलते माहौल में कुछ दिन पहले ही राजधानी रांची समेत झारखंड के लोग दुर्गोत्सव फीके तरीके से मनाया और अब कुछ दिन बाद ही दीपों का पर्व दीपोत्सव है. इसे लेकर भी लोगों के मन में असमंजस है. इस पर्व से सीधे जुड़े कुम्हारों को भी कई उम्मीदें हैं, लेकिन क्या दीपावली के मौके पर कुम्हार वर्ग के आंखों में चमक दिखेगी या फिर कोरोना महामारी का असर इस पर्व में भी देखने को मिलेगा. ये भय दीया और मिट्टी का बर्तन निर्माण में जुटे कुम्हार समाज के लोगों के मन में है.

दीपावली में दीपों का महत्व

दीपों के पर्व दीपावली के मौके पर दीयों का एक अलग ही महत्व है. मान्यता ऐसी है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण दीपोत्सव में भी ग्रहण दिख रहा है. राजधानी रांची के लोग कुछ दिन पहले ही फीके तरीके से दशहरा पर्व मनाया, लेकिन एक ऐसा वर्ग है जो दीपावली के मौके पर कई उम्मीदों के साथ दीयों का निर्माण करते हैं. कोरोना के कारण कई पर्व प्रभावित हुए हैं. अब दीपावली को लेकर भी लोगों के मन में एक डर है, लेकिन पर्व है मनाना है. इसे लेकर तैयारियां भी जोरों पर है. इस बार दीया और मिट्टी बर्तनों का बाजार सज कर तो तैयार है, लेकिन अब तक वह खरीदार नहीं मिले हैं जो प्रत्येक वर्ष मिला करते थे. कोरोना संक्रमण का असर हर क्षेत्र के कारोबार पर दिख रहा है. इससे कुम्हार वर्ग भी अछूते नहीं है. मिट्टी के दीये चाय के चुक्के, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के व्यवसायी को भी कोरोना महामारी ने चपेट में लिया है.

पटरी पर लौट सकती है व्यवसाय

हालांकि, दीपावली पर्व आने से व्यवसायी पटरी पर लौटने की उम्मीद जरूर है. साल भर मिट्टी के चुक्के बनानेवाले कुम्हारों की माने तो सिर्फ दशहरा और दीपावली में ही ऑर्डर आने पर दीये बनाते हैं. इस बार दशहरा में दीयों के ऑर्डर नहीं मिले. वहीं, दीपावली के मौके पर भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. राजधानी के कई क्षेत्रों से कुम्हारों को प्रत्येक वर्ष लाखों दीया बनाने का ऑर्डर मिला करता था, लेकिन इस वर्ष अब तक ऑर्डर नहीं मिलने से कुम्हारों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मिट्टी की कीमत आसमान छू रही है. मिट्टी लाने में भी काफी लागत लगता है. इसके बावजूद राजधानी के लोगों को मिट्टी के दीये और बर्तन की कमी ना हो और दीपावली पर्व में शहर जगमगा उठे. इस उम्मीद से वह दीयों का निर्माण जोर शोर से कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में भी एक भय जरूर है.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद के स्लम एरिया में लगी भीषण आग, दमकल की 15 गाड़ियां मौजूद

भारत-चीन तनाव के कारण दीयों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद

इसके अलावे इस बार एक उम्मीद यह है कि चीन के साथ भारत की तनाव के बीच आकर्षक और सस्ते चीनी दीयों को लेकर बाजारों में रौनक नहीं रहेगी और चीनी सामानों का बहिष्कार भी लोग करने के मूड में दिख रहे हैं. ऐसे में कुम्हारों के बनाए गए दीयों की बिक्री भी बढ़ सकती है. फिलहाल, बाजारों में खरीदार तो नहीं दिख रहे हैं. कोरोना का असर इस पर्व पर भी पड़ा है.

रांची: कोरोना के कारण इस वर्ष पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी विभिन्न पर्व त्योहार फीका-फीका ही मनाया गया. वहीं, दीपों के पर्व दीपावली के दौरान भी लोगों के मन में कोरोना वायरस का डर जरूर है तो दूसरी और इस पर्व में खास भूमिका रखने वाले कुम्हार समाज के लोग इस त्योहार से कई उम्मीदें पाल रखे हैं, लेकिन क्या इस वर्ष उनकी आमदनी बढ़ेगी या फिर उन्हें आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ेगी. यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि, भारत और चीन के बीच तनाव के कारण चीन के आकर्षक इलेक्ट्रॉनिक दीये बाजार में कम है. इसे देखते हुए कुम्हारों को थोड़ी उम्मीद बढ़ी है.

देखिए पूरी खबर

दीपावली में भी कोरोना का खौफ

लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कहर ने आम आदमी की आदतों से लेकर पर्व त्योहार का स्वरूप बाजार की चाल सब कुछ बदल कर रख दिया है. इस बार बदलते माहौल में कुछ दिन पहले ही राजधानी रांची समेत झारखंड के लोग दुर्गोत्सव फीके तरीके से मनाया और अब कुछ दिन बाद ही दीपों का पर्व दीपोत्सव है. इसे लेकर भी लोगों के मन में असमंजस है. इस पर्व से सीधे जुड़े कुम्हारों को भी कई उम्मीदें हैं, लेकिन क्या दीपावली के मौके पर कुम्हार वर्ग के आंखों में चमक दिखेगी या फिर कोरोना महामारी का असर इस पर्व में भी देखने को मिलेगा. ये भय दीया और मिट्टी का बर्तन निर्माण में जुटे कुम्हार समाज के लोगों के मन में है.

दीपावली में दीपों का महत्व

दीपों के पर्व दीपावली के मौके पर दीयों का एक अलग ही महत्व है. मान्यता ऐसी है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण दीपोत्सव में भी ग्रहण दिख रहा है. राजधानी रांची के लोग कुछ दिन पहले ही फीके तरीके से दशहरा पर्व मनाया, लेकिन एक ऐसा वर्ग है जो दीपावली के मौके पर कई उम्मीदों के साथ दीयों का निर्माण करते हैं. कोरोना के कारण कई पर्व प्रभावित हुए हैं. अब दीपावली को लेकर भी लोगों के मन में एक डर है, लेकिन पर्व है मनाना है. इसे लेकर तैयारियां भी जोरों पर है. इस बार दीया और मिट्टी बर्तनों का बाजार सज कर तो तैयार है, लेकिन अब तक वह खरीदार नहीं मिले हैं जो प्रत्येक वर्ष मिला करते थे. कोरोना संक्रमण का असर हर क्षेत्र के कारोबार पर दिख रहा है. इससे कुम्हार वर्ग भी अछूते नहीं है. मिट्टी के दीये चाय के चुक्के, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के व्यवसायी को भी कोरोना महामारी ने चपेट में लिया है.

पटरी पर लौट सकती है व्यवसाय

हालांकि, दीपावली पर्व आने से व्यवसायी पटरी पर लौटने की उम्मीद जरूर है. साल भर मिट्टी के चुक्के बनानेवाले कुम्हारों की माने तो सिर्फ दशहरा और दीपावली में ही ऑर्डर आने पर दीये बनाते हैं. इस बार दशहरा में दीयों के ऑर्डर नहीं मिले. वहीं, दीपावली के मौके पर भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. राजधानी के कई क्षेत्रों से कुम्हारों को प्रत्येक वर्ष लाखों दीया बनाने का ऑर्डर मिला करता था, लेकिन इस वर्ष अब तक ऑर्डर नहीं मिलने से कुम्हारों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मिट्टी की कीमत आसमान छू रही है. मिट्टी लाने में भी काफी लागत लगता है. इसके बावजूद राजधानी के लोगों को मिट्टी के दीये और बर्तन की कमी ना हो और दीपावली पर्व में शहर जगमगा उठे. इस उम्मीद से वह दीयों का निर्माण जोर शोर से कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में भी एक भय जरूर है.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद के स्लम एरिया में लगी भीषण आग, दमकल की 15 गाड़ियां मौजूद

भारत-चीन तनाव के कारण दीयों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद

इसके अलावे इस बार एक उम्मीद यह है कि चीन के साथ भारत की तनाव के बीच आकर्षक और सस्ते चीनी दीयों को लेकर बाजारों में रौनक नहीं रहेगी और चीनी सामानों का बहिष्कार भी लोग करने के मूड में दिख रहे हैं. ऐसे में कुम्हारों के बनाए गए दीयों की बिक्री भी बढ़ सकती है. फिलहाल, बाजारों में खरीदार तो नहीं दिख रहे हैं. कोरोना का असर इस पर्व पर भी पड़ा है.

Last Updated : Nov 4, 2020, 12:34 PM IST
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