रांची: राजधानी में दुष्कर्म पीड़ित एक मां ने अपने जुड़वा बच्चों को गरीबी की वजह से अनाथालय भेज दिया. पति की मौत के सदमे में मानसिक संतुलन खो चुकी इस महिला को उसी दौरान एक दरिंदे ने अपनी हवस का शिकार बना लिया था. जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई थी. रिम्स में उसने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया था.
सीडब्ल्यूसी सदस्य तनुश्री का बयान गरीबी बनी वजह जानकारी के अनुसार, रिम्स अस्पताल में दुष्कर्म पीड़ित एक महिला ने 3 दिन पहले जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था. बच्चों के जन्म के बाद वह उनके भरण-पोषण को लेकर काफी चिंतित थी, जिसके बाद अपनी गरीबी को देखते हुए महिला ने अपने दोनों बच्चों को गोद देने वाली संस्था को सौंप दिया. इसी बीच जब महिला के रिश्तेदारों को यह बात पता चली, तो उन्होंने रांची में सीडब्ल्यूसी में इसकी सूचना दी. जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की एक टीम मौके पर पहुंची और पूरे मामले की जानकारी ली. सीडब्ल्यूसी से बातचीत के दौरान पीड़िता ने बताया कि वह अपने दोनों नवजातों का पालन-पोषण नहीं कर सकती है. उसके पास खुद पेट पालने का कोई साधन नहीं है तो वह इन बच्चों को कहां से पालेगी. मामला सामने आने के बाद सीडब्ल्यूसी की टीम ने सरकारी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजात को एडॉप्शन एजेंसी में सरेंडर करा दिया है. दोनों बच्चों की मेडिकल जांच करने के बाद करुणा आश्रम में रखा गया है.
दुख भरी है कहानीपीड़िता ने सीडब्ल्यूसी को बताया है कि उसके पति की मौत 7 साल पहले ही हो गई थी. उसकी दो बेटियां पहले से हैं. दोनों बेटियों को भी बड़ी मुश्किल से पाल रही है. अब ऐसे में जुड़वा बच्चों का पालन-पोषण करना उनके बस में नहीं है. दरअसल, पति की मौत के बाद महिला मानसिक संतुलन खो बैठी थी. उसके इसी स्थिति का फायदा उठाकर किसी हैवान ने उनकी अस्मत लूट ली. दुष्कर्म के परिणाम स्वरूप तीन दिन पहले महिला ने रांची के रिम्स अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया.
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सीडब्ल्यूसी की सदस्य तनुश्री ने बताया कि दोनों नवजातों को गोद लेने वाली संस्था को सरकारी प्रक्रिया के तहत सरेंडर कराया गया है. अब दो महीने के अंदर यदि बच्चे का जैविक पिता उन्हें लेने का दावा करता है तो पूरी जांच प्रक्रिया से गुजरने के बाद दोबारा उन्हें बच्चे को सौंपा जा सकता है. वहीं, अगर दो महीने के अंदर बच्चों को लेकर उनका जैविक पिता कोई हक नहीं जताता है तो उनका भरण-पोषण संस्था करेगी.