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कोरोना का बहाना बनाकर इलाज करने से बच रहा अस्पताल, लापरवाही की वजह से मरीजों की जा रही जान - रिम्स चिकित्सकों पर परिजनों का आरोप

राजधानी रांची के अस्पतालों से लगातार लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, रिम्स में तो कुछ ज्यादा ही मामले सामने आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि लापरवाही इस कदर है कि मरीज जान गवां रहे हैं. वहीं, प्रबंधन मेन पावर की कमी बोलकर पल्ला झार रहा है.

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Published : Oct 5, 2020, 8:44 AM IST

रांची: कोरोना की वजह से मरीजों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. निजी अस्पताल हो या सरकारी अस्पताल सभी जगह पर मरीजों के साथ लापरवाही का मामला देखने को मिल रहा है. रिम्स अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल की लापरवाही के वजह से यहां पर मरीज अपनी जान गवां बैठते हैं.

देखिए पूरी खबर

बेरमो से आए मरीज के परिजन बुधई राम ने बताया कि लापरवाही का आलम रिम्स में इस कदर है कि पिछले 10 दिनों से वह अपनी कोरोना पॉजिटिव मरीज के इलाज को लेकर अस्पताल में भटक रहे हैं, लेकिन उनके मरीज को एडमिट नहीं लिया गया और जब काफी विनती आग्रह करने के बाद मरीज को एडमिट किया गया तो उसके इलाज में लापरवाही बरती गई, जिसका नतीजा यह निकला कि उनके मरीज की जान चली गई.

लापरवाही से गई जान

वहीं, रांची के मांडर से आए एक मरीज के परिजन सचेंद्र कुमार साहू ने बताया कि यहां के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसके पिता की जान चली गई. सचेंद्र कुमार साहू ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मांडर अस्पताल से उनके पिता का रिपोर्ट नेगेटिव आया था, लेकिन रिम्स अस्पताल आने के बाद डॉक्टरों ने उनके पिता को बिना दोबारा जांच किए ही कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया इस वजह से उनके पिता कोरोना संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई. एक मरीज के परिजन शंकर जायसवाल ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि पिछले कई दिनों से वह अपने मरीज का इलाज करा रहे हैं. उनके मरीज को सांस लेने में समस्या थी, लेकिन अचानक उनकी मौत की सूचना अस्पताल कर्मचारियों द्वारा दी जाती है. न तो मौत का कारण बताया जाता है और ना ही कोरोना रिपोर्ट दिया गया. पिछले दिनों प्रबंधन और निजी अस्पताल की लापरवाही की वजह से ही कोडरमा के एक मरीज राम कुमार यादव की भी मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें: बाबा मंदिर को लेकर 8 अक्टूबर को जारी होगी नई गाइडलाइन, पुरोहितों ने सरकार से की ये अपील

मोबाइल में व्यस्त रहते हैं चिकित्सक

रिम्स प्रबंधन की लापरवाही की मार झेल रहे राज्य भर से आए गरीब मरीजों का कहना है कि यहां के चिकित्सक न तो मरीज को सही समय पर देखते हैं और ना ही मरीज के परिजनों की बात सुनते हैं. इसके साथ ही कई परिजनों ने रिम्स के स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी चिकित्सक रिम्स में मौजूद है वह मरीजों को देखने के समय में अपने निजी कार्यों या फिर मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जिस वजह से गरीब मरीज अपनी जान गवां बैठते हैं.

मेन पावर की कमी से लापरवाही

इस मामले में प्रबंधन का कहना है कि रिम्स में जिस प्रकार से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में मेन पावर की घोर कमी आ गई है. इसिलिए कई बार कर्मचारियों की कमी की वजह से मरीजों क समुचित इलाज नहीं हो पाता है. कारण जो भी हो, लेकिन इस कमी का भुगतान आखिरी में सिर्फ और सिर्फ राज्य के गरीब मरीजों को ही भुगतना पड़ता है. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ विभाग गरीब मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए एक बेहतर पहल करें ताकि रिम्स आने वाले मरीज की उम्मीद बनी रहे.

रांची: कोरोना की वजह से मरीजों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. निजी अस्पताल हो या सरकारी अस्पताल सभी जगह पर मरीजों के साथ लापरवाही का मामला देखने को मिल रहा है. रिम्स अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल की लापरवाही के वजह से यहां पर मरीज अपनी जान गवां बैठते हैं.

देखिए पूरी खबर

बेरमो से आए मरीज के परिजन बुधई राम ने बताया कि लापरवाही का आलम रिम्स में इस कदर है कि पिछले 10 दिनों से वह अपनी कोरोना पॉजिटिव मरीज के इलाज को लेकर अस्पताल में भटक रहे हैं, लेकिन उनके मरीज को एडमिट नहीं लिया गया और जब काफी विनती आग्रह करने के बाद मरीज को एडमिट किया गया तो उसके इलाज में लापरवाही बरती गई, जिसका नतीजा यह निकला कि उनके मरीज की जान चली गई.

लापरवाही से गई जान

वहीं, रांची के मांडर से आए एक मरीज के परिजन सचेंद्र कुमार साहू ने बताया कि यहां के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसके पिता की जान चली गई. सचेंद्र कुमार साहू ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मांडर अस्पताल से उनके पिता का रिपोर्ट नेगेटिव आया था, लेकिन रिम्स अस्पताल आने के बाद डॉक्टरों ने उनके पिता को बिना दोबारा जांच किए ही कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया इस वजह से उनके पिता कोरोना संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई. एक मरीज के परिजन शंकर जायसवाल ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि पिछले कई दिनों से वह अपने मरीज का इलाज करा रहे हैं. उनके मरीज को सांस लेने में समस्या थी, लेकिन अचानक उनकी मौत की सूचना अस्पताल कर्मचारियों द्वारा दी जाती है. न तो मौत का कारण बताया जाता है और ना ही कोरोना रिपोर्ट दिया गया. पिछले दिनों प्रबंधन और निजी अस्पताल की लापरवाही की वजह से ही कोडरमा के एक मरीज राम कुमार यादव की भी मौत हो गई थी.

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मोबाइल में व्यस्त रहते हैं चिकित्सक

रिम्स प्रबंधन की लापरवाही की मार झेल रहे राज्य भर से आए गरीब मरीजों का कहना है कि यहां के चिकित्सक न तो मरीज को सही समय पर देखते हैं और ना ही मरीज के परिजनों की बात सुनते हैं. इसके साथ ही कई परिजनों ने रिम्स के स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी चिकित्सक रिम्स में मौजूद है वह मरीजों को देखने के समय में अपने निजी कार्यों या फिर मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जिस वजह से गरीब मरीज अपनी जान गवां बैठते हैं.

मेन पावर की कमी से लापरवाही

इस मामले में प्रबंधन का कहना है कि रिम्स में जिस प्रकार से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में मेन पावर की घोर कमी आ गई है. इसिलिए कई बार कर्मचारियों की कमी की वजह से मरीजों क समुचित इलाज नहीं हो पाता है. कारण जो भी हो, लेकिन इस कमी का भुगतान आखिरी में सिर्फ और सिर्फ राज्य के गरीब मरीजों को ही भुगतना पड़ता है. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ विभाग गरीब मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए एक बेहतर पहल करें ताकि रिम्स आने वाले मरीज की उम्मीद बनी रहे.

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