नई दिल्लीः राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में मंगलवार को आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वालों को पद्म सम्मान से नवाजा. इसी कड़ी में झारखंड के सरायकेला की छुटनी देवी को पद्मश्री सम्मान दिया गया. छुटनी देवी को डायन-बिसाही के खिलाफ संघर्ष के लिए समाजसेवा के क्षेत्र में यह सम्मान दिया गया है.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2020 के लिए 141 और 2021 के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. पिछले साल कोरोना महामारी के कारण सम्मान समारोह टाल दिया गया था. छुटनी देवी सरायकेला की पहली महिला हैं, जिन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है. छुटनी देवी से पहले जिले के 7 लोगों को कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है.
डायन-बिसाही के खिलाफ लड़ी लंबी लड़ाई
डायन-बिसाही के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ छुटनी देवी ने मुहिम चला रखी है. छुटनी देवी को साल 2015 में डायन कह कर घर-गांव से निकाल दिया गया था. आठ महीने के बच्चे के साथ पेड़ के नीचे रही छुटनी आज अपनी जैसी असंख्य महिलाओं की ताकत बन गई हैं. अब डायन बिसाही के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने की सूचना जैसे ही छुटनी देवी को मिलती है, तो वह खुद मदद के लिए पहुंच जाती हैं.
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भोलाडीह स्थित परिवार परामर्श केंद्र शाखा कार्यालय की प्रमुख छुटनी देवी अपने केंद्र में आने वाली सभी महिलाओं को न सिर्फ बचाती हैं, बल्कि प्रताड़ित करने वाले लोगों को सजा भी दिलवाती हैं. डायन-बिसाही के खिलाफ लोगों को लगातार जागरूक करने के लिए छुटनी देवी ने कई अभियान चलाए हैं. समाजसेवी छुटनी देवी की ख्याति अब इतनी बढ़ गई है कि सरायकेला समेत आसपास क्षेत्र के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल से भी प्रताड़ित महिलाएं परामर्श केंद्र पहुंचती हैं.
पद्मश्री मिलने पर छुटनी देवी ने बताया कि सालों पहले जब उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित किया गया था, तब हिम्मत नहीं हारी और खुद को मजबूत करते हुए दूसरी महिलाओं को भी सशक्त करने का प्रयास किया. उन्होंने ये भी कहा कि महिलाओं को डायन कहकर प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ जब तक कठोर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक इस पर रोक लगाना कठिन होगा.
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मधु मंसूरी और शशधर आचार्य भी सम्मानित
इससे पहले सोमवार को हुए समारोह में झारखंड की दो और हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. गांव छोड़ब नहीं.. जंगल छोड़ब नहीं और नागपुर कर कोरा जैसे गीतों के जरिए सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना को जगाने वाले झारखंड के लोक कलाकार मधु मंसूरी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. इसके साथ ही प्रसिद्ध छऊ गुरु शशधर आचार्य को देश-विदेश में छऊ नृत्य को प्रसिद्धि दिलाने में अहम भूमिका निभाने के लिए ये सम्मान मिला है.