रांची: झारखंड में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच समन्वय बनाने के लिए 17 सदस्यीय समन्वय समिति की घोषणा की गई है. जिसमें कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय चेयरमेन , कांग्रेस सह प्रभारी उमंग सिंघार को-चेयरमैन बनाए गए हैं. राजेश ठाकुर को समिति का कन्वेनर बनाया गया है. 3 फरवरी को बनाए गए समिति में जिन नेताओं को सदस्य बनाया गया है उसमें से करीब 11 ऐसे नेता हैं जो कई दलों की सवारी कर कांग्रेस में आए हैं या दूसरे दलों से कांग्रेस में शामिल हुए हैं. ऐसे में राजनीतिकि विश्लेषक ये सवाल पूछ रहे हैं कि असली कांग्रेसी कहां हैं.
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दूसरे दलों की यात्रा करने वाले नेता: आईए हम आपको बताते हैं समन्वय समिति के वैसे चेहरों के बारे में जो अभी तो हैं कांग्रेसी, लेकिन कभी उनका नाता किसी दूसरे दल से था. सबसे पहले बात प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की करते हैं जो सूबे में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने में लगे हैं. ये पहले एनसीपी में हुआ करते थे. वहां से पलायन के बाद वे कांग्रेस में आए और फिर प्रदेश अध्यक्ष के पद तक पहुंचे. इसी कड़ी में कांग्रेस के वरीय नेता सुबोधकांत सहाय का नाम भी है जो चंद्रशेखर की पार्टी सजपा से कांग्रेस में आए और फिर पार्टी में अपनी अलग पहचान बनाई.
डॉ अजय कुमार झारखंड विकास मोर्चा और आम आदमी पार्टी का सफर कर चुके हैं. बन्ना गुप्ता कभी सपा के साइकिल पर सवार हुआ करते थे. प्रदीप बालमुचू का आजसू सुखदेव भगत का भाजपा,प्रदीप यादव का झारखंड विकास मोर्चा और उससे पहले भाजपा से नाता रहा है. वहीं बंधु तिर्की तो राजद,जनाधिकार मंच, तृणमूल कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा की सवारी कर कांग्रेस में आए और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ साथ समन्वय समिति के सदस्य भी बन गए. इसी तरह जलेश्वर महतो झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं तो शहजादा अनवर का नाता कभी राजद से रहा करता था ,गीता कोड़ा भी खांटी कांग्रेसी नहीं कहीं जा सकती क्योंकि वह अपने पति मधु कोड़ा की क्षेत्रीय पार्टी में शामिल थी.
कहां हैं ओरिजिनल कांग्रेसी: झारखंड कांग्रेस समन्वय समिति में ज्यादातर दल बदलुओं को तवज्जों दिए जाने पर वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्र कहते हैं कि रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम और बहुत हद तक सुबोधकांत सहाय को छोड़ दें तो गिनती के ऐसे नेता हैं जो खांटी कांग्रेसी कहे जा सकते हैं ,कई नेताओं का नाम लेकर वह सवाल करते हैं कि समन्वय समिति में ओरिजिनल कांग्रेसी कहां हैं.बैद्यनाथ मिश्र ने कहा कि दरअसल कांग्रेस ने कभी भी संगठन पर ध्यान ही नहीं दिया. ऊपर का नेतृत्व मजबूत तो कांग्रेस मजबूत, शीर्ष नेतृत्व कमजोर तो कांग्रेस भी कमजोर होती है.
बंटी और बबली की पार्टी है कांग्रेस: कांग्रेस के समन्वय समिति में दलबदलुओं का तवज्जो देने को कांग्रेस की अंदरूनी मसला बताते हुए भाजपा के नेता सीपी सिंह कहते हैं कि यह बंटी और बबली यानि राहुल और प्रियंका की पार्टी है. वह जैसा चाहेंगे वैसा करेंगे. ऐसे में कांग्रेस अब वह कांग्रेस नहीं है जैसा कभी हुआ करती थी.
विपक्ष के पास मुद्दा नहीं: समन्वय समिति में दलबदलुओं को तवज्जो दिए जाने को मुद्दा बनाने को लेकर कांग्रेस ने विपक्षी दलों की आलोचना की है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि नेतृत्व किसी भी नेता की सांगठनिक क्षमता देख कर ही उस पर विश्वास जताती है. कांग्रेस नेता की सफाई के बीच ये सवाल उठ रहा है कि पार्टी के लिए निष्ठावान नेताओं की मन स्थिति को कौन समझेगा. इस सवाल का जवाब शायद ही किसी के पास है.