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रांची में जारी है नशे की पैदावार, 5 एकड़ में लगी मिली अफीम की फसल - रांची में अफीम की खेती

रांची में इन दिनों अफीम की खेती जोरों पर हो रही है. रांची के नजदीक नामकुम इलाके में इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती देखकर पुलिस वाले भी हैरान हो गए हैं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है कि उसे नष्ट करने में दो दिन का समय लगेगा.

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अफीम की खेती नष्ट करते जवान
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Published : Feb 13, 2020, 1:26 PM IST

रांची: नशे के सौदागर ग्रामीणों को लालच देकर अफीम की खेती करवाया जा रहा है. रांची एसएसपी को मिली सूचना के आधार पर नामकुम के सोगद के बीहड़ जंगलों में 5 एकड़ में लगी अफीम की फसल को गुरुवार को नष्ट किया गया.

देखें पूरी खबर

पुलिस हैरान

राजधानी रांची के नजदीक इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती देखकर पुलिस वाले भी हैरान हो गए. सुबह से अफीम की फसल नष्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ दोपहर तक चलता रहा. अफीम की फसल नष्ट करते-करते पुलिस के जवान थक गए, लेकिन फसल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था.

ये भी पढ़ें- एक साल से पत्थलगड़ी का मास्टरमाइंड युसूफ पूर्ति है गायब, ये है उसका दास्तान-ए-जुर्म

बड़े पैमाने पर अफीम की खेती

लगभग 5 घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की टीम 2 एकड़ में लगी अफीम की खेती को ही नष्ट कर पाई है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है कि उसे नष्ट करने में दो दिन का समय लगेगा.

नक्सली करवा रहे खेती

राजधानी रांची के आस पास के जंगलों में कई नक्सली संगठन अफीम की खेती करवाते हैं. सबसे ज्यादा अफीम की खेती नामकुम इलाके में ही हो रही है. पिछले एक महीने से इस इलाके से पुलिस अफीम की फसल खोज खोज कर नष्ट कर रही है, लेकिन अफीम खत्म नहीं हो रहा.

ये भी पढ़ें- बिना हेलमेट हादसे में हुए घायल या हुई मौत, तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी होंगे जिम्मेवार

दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ

दरअसल, नामकुम राजधानी रांची का वो इलाका है जहां नक्सलियों का हमेशा प्रभाव रहा है. नक्सली संगठन ग्रामीणों को पैसे और अफीम के बीज उपलब्ध करवाते हैं. अफीम के तैयार हो जाने के बाद उसे बाहर के राज्यों में पहुंचाने का काम भी नक्सली ही करते हैं. यूपी, पंजाब और दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ है.

अफीम की खेती से मिलते हैं करोड़ों

नक्सली सिर्फ अपनी देखरेख में खेती का काम पूरा करवाते हैं और फिर अफीम से मिले करोड़ों रुपए के बदौलत अपने सल्तनत को चलाते हैं. नारकोटिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार, प्रति किलो तैयार अफीम की कीमत बाजार में एक लाख रुपए है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों से तैयार अफीम को यूपी, पंजाब, पश्चिम बंगाल के बाजारों में नक्सली और नशे के सौदागरों के साठगांठ से पहुंचाया जाता है.

ये भी पढ़ें- हाईटेक: आधुनिक हुआ मत्स्य पालन, किसान 'इंटरनेट ऑफ थिंक' गैजेट की ले रहे मदद

जमीन मालिक पर कार्रवाई

नामकुम थाना प्रभारी प्रवीण कुमार ने बताया कि बड़े पैमाने पर सौगद में अफीम की खेती करवाने की सूचना मिली थी. जिसके बाद नक्सल अभियान में लगे जवानों के साथ अफीम की खेती खोजकर उसमें लगे अफीम की फसल को नष्ट करवाने का काम किया जा रहा है. रांची के दशम, तुपुदाना और नामकुम में जंगली इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही थी.

रांची: नशे के सौदागर ग्रामीणों को लालच देकर अफीम की खेती करवाया जा रहा है. रांची एसएसपी को मिली सूचना के आधार पर नामकुम के सोगद के बीहड़ जंगलों में 5 एकड़ में लगी अफीम की फसल को गुरुवार को नष्ट किया गया.

देखें पूरी खबर

पुलिस हैरान

राजधानी रांची के नजदीक इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती देखकर पुलिस वाले भी हैरान हो गए. सुबह से अफीम की फसल नष्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ दोपहर तक चलता रहा. अफीम की फसल नष्ट करते-करते पुलिस के जवान थक गए, लेकिन फसल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था.

ये भी पढ़ें- एक साल से पत्थलगड़ी का मास्टरमाइंड युसूफ पूर्ति है गायब, ये है उसका दास्तान-ए-जुर्म

बड़े पैमाने पर अफीम की खेती

लगभग 5 घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की टीम 2 एकड़ में लगी अफीम की खेती को ही नष्ट कर पाई है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है कि उसे नष्ट करने में दो दिन का समय लगेगा.

नक्सली करवा रहे खेती

राजधानी रांची के आस पास के जंगलों में कई नक्सली संगठन अफीम की खेती करवाते हैं. सबसे ज्यादा अफीम की खेती नामकुम इलाके में ही हो रही है. पिछले एक महीने से इस इलाके से पुलिस अफीम की फसल खोज खोज कर नष्ट कर रही है, लेकिन अफीम खत्म नहीं हो रहा.

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दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ

दरअसल, नामकुम राजधानी रांची का वो इलाका है जहां नक्सलियों का हमेशा प्रभाव रहा है. नक्सली संगठन ग्रामीणों को पैसे और अफीम के बीज उपलब्ध करवाते हैं. अफीम के तैयार हो जाने के बाद उसे बाहर के राज्यों में पहुंचाने का काम भी नक्सली ही करते हैं. यूपी, पंजाब और दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ है.

अफीम की खेती से मिलते हैं करोड़ों

नक्सली सिर्फ अपनी देखरेख में खेती का काम पूरा करवाते हैं और फिर अफीम से मिले करोड़ों रुपए के बदौलत अपने सल्तनत को चलाते हैं. नारकोटिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार, प्रति किलो तैयार अफीम की कीमत बाजार में एक लाख रुपए है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों से तैयार अफीम को यूपी, पंजाब, पश्चिम बंगाल के बाजारों में नक्सली और नशे के सौदागरों के साठगांठ से पहुंचाया जाता है.

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जमीन मालिक पर कार्रवाई

नामकुम थाना प्रभारी प्रवीण कुमार ने बताया कि बड़े पैमाने पर सौगद में अफीम की खेती करवाने की सूचना मिली थी. जिसके बाद नक्सल अभियान में लगे जवानों के साथ अफीम की खेती खोजकर उसमें लगे अफीम की फसल को नष्ट करवाने का काम किया जा रहा है. रांची के दशम, तुपुदाना और नामकुम में जंगली इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही थी.

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