रांची: कोरोना संक्रमण के कारण सरकारी और निजी स्कूलों में मार्च से ही पढ़ाई बंद है. हालांकि अब कोरोना संक्रमण की रफ्तार थोड़ी धीरे हुई है, लेकिन स्कूलों खोलने को लेकर राज्य सरकार ने अभी तक कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. ऐसे में स्कूल प्रबंधकों में एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. मौजूदा हालात को देखते हुए इस साल पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.
कोरोना काल में केंद्र की ओर से राज्य सरकारों को पहले ही कहा गया है कि वह अपने स्तर पर कोविड-19 के गाइडलाइन के तहत स्कूल खोल सकते हैं. हालांकि, प्रयोग के तौर पर कुछ राज्यों ने ऐसा किया भी लेकिन वहां की स्थिति काफी भयावह हो गई. फिलहाल झारखंड सरकार की ओर से स्कूल खोले जाने को लेकर कोई दिशानिर्देश जारी नहीं हुआ है. ऐसे में इस वर्ष पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद कम ही है. हालांकि, शिक्षा विभाग की ओर से नए साल में स्कूल खोलने की संभावनाएं तलाशने और इस पर काम शुरू करने को लेकर विभिन्न स्कूल प्रबंधकों के साथ-साथ शिक्षा विभाग को भी कहा गया है. विभाग की ओर से संकेत भी दिए गए हैं कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में प्रयोग के तौर पर कुछ स्कूल खोले जा सकते हैं. वैसे स्कूलों को शुरुआती दौर में खोला जा सकता है. हालांकि, उसके लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए सभी उपाय करने होंगे. जिसमें थर्मल स्क्रीनिंग के साथ सेनेटाइजेशन की व्यवस्था शामिल होगी. शहर के कई बड़े स्कूल इसके लिए तैयार भी है. वहीं, सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है. वहां न तो यहां साफ-सफाई की व्यवस्था है और न ही स्कूल खोले जाने को लेकर कोई तैयारी है.
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80 फीसदी अभिभावकों की राय वैक्सीन आने के बाद खुले स्कूल
झारखंड में फिलहाल स्कूल खोले जाने को लेकर दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिख रही है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से लगातार अभिभावकों से इस मामले को लेकर राय ली जा रही है. फिलहाल 80 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना ही नहीं चाहते हैं. झारखंड में शिक्षकों से स्कूल में जाकर परामर्श लेने के लिए विद्यार्थियों को अपने अभिभावकों से लिखित रूप से इजाजत लेनी होगी तभी उन्हें स्कूल में प्रवेश करने दिया जाएगा है. यह व्यवस्था फिलहाल सीनियर बच्चों के लिए विभाग की ओर से की गई है. अटेंडेंस की अनिवार्यता झारखंड के अधिकतर निजी स्कूलों ने समाप्त कर दी है. वहीं, सरकारी स्कूलों में भी अटेंडेंस को लेकर कोई बाध्यता नहीं है.
राज्य सरकार नहीं लेना चाहती है कोई रिक्स
अभिभावक संघ की यह भी राय है कि जिस तरह बड़े-बड़े प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन झारखंड में हुआ, राज्य के विश्वविद्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए ऑफलाइन परीक्षाएं आयोजित की. उसी तरीके से कुछ स्कूलों को फिलहाल खोला जा सकता है. हालांकि, यह प्रयोग के तौर पर होगा. ऑड इवन नंबर के आधार पर अगर स्कूल खुले तो परेशानियां शायद कम होंगी. लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से तमाम उपाय अपनाने होंगे. नहीं तो स्थिति समस्याओं से घिर सकती है. हालांकि इस दिशा में शिक्षा विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है. फिलहाल झारखंड में स्कूल खोले जाने की कोई आसार नहीं दिख रहा है. काफी लंबे समय से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से अभिभावक भी परेशान हैं. ऐसे में राज्य सरकार पर भी एक दबाव है.