बेंगलुरु: कर्नाटक के बेंगलुरु में झारखंड की आदिवासी महिला मजदूरों से यौन शोषण का मामला सामने आया है. दोनों महिलाएं दुमका जिले की रहने वाली हैं. वे बेंगलुरु के कुंभलगुडु पुलिस स्टेशन की सीमा में भारत केमिकल प्रोडक्ट्स में काम करती थीं. 5 मई को जब दोनों महिलाएं कुंभलगुडु पुलिस स्टेशन में झारखंड लौटने के लिए पंजीकरण कराने गई, तब जाकर शोषण का मामला सामने आया.
15 घंटे कराया जाता था काम
जानकारी के अनुसार इन महिलाओं को अक्टूबर 2019 में झारखंड से दिल्ली के रास्ते बेंगलुरु लाया गया था. इसके बाद उन्हें अगरबत्ती के कारखाने में ले जाया गया. एक महिला को 7000 रुपए और दूसरी महिला को 9000 रुपए मासिक वेतन देने का वादा कर काम करवाया गया. महिलाओं के अनुसार अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक उन्हें केवल प्रति सप्ताह 200 रुपए का भुगतान किया गया. इसके अलावा उन्हें दिन में तीन बार भोजन दिया जाता था. इस कारखाने में सैकड़ों मजदूर काम करते हैं. महिलाओं के अनुसार उनसे हर दिन 15 घंटे काम कराया जाता था और बीमार होने के बावजूद काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. मजदूरों को कारखाने में रखा जाता था और साबुन-तेल जैसी बुनियादी चीजों को खरीदने के लिए उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं थी.
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आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
शोषण से तंग आकर महिलाओं ने इसी साल जनवरी में कारखाने से भागने की कोशिश की थी लेकिन ठेकेदारों ने उन्हें रेलवे स्टेशन के पास से पकड़ लिया और वापस कारखाना ले गए. इसके बाद संजीव नाम के शख्स ने दोनों की बेरहमी से पिटाई की और दुष्कर्म की धमकी दी. इनका आधार कार्ड और फोन छीन लिया गया. महिलाओं के अनुसार संजय और किरण नाम के दो लोगों ने एक महिला के साथ कारखाना परिसर में ही दो बार यौन शोषण किया. इसी बीच संजीव मार्च में कारखाना छोड़कर बिहार लौट गया. महिलाओं की शिकायत के आधार पर दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
पत्रकार निकोलस मुर्मू ने की महिलाओं की मदद
महिलाओं ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि कारखाने के मालिक इन अत्याचारों के बारे में चुप रहे. मार्च में दोनों महिलाएं फिर से भाग निकलीं और पकड़े जाने के डर से कुंभकुडु के जंगल में छिप गई. उनके पास भीख मांगने के अलावा कोई चारा नहीं था. ऐसे में अली असगर नाम के एक ठेकेदार ने उन्हें रहने की जगह और खाना दिया. लेकिन इसके बदले में उसने भी एक महिला के साथ बलात्कार किया. लॉकडाउन के दौरान उसने भी इन्हें वहां से निकाल दिया इसके बाद ये महिलाएं किसी तरह एक अर्धनिर्मित भवन में पहुंची. जहां कुछ लोगों की नजर इन पर पड़ी, इसके बाद ये महिलाएं स्थानीय पत्रकार निकोलस मुर्मू से मिली. निकोलस के जरिए ये मामला सामने आया, तब इस मामले को कर्नाटक जनशक्ति के स्ट्रैंड्ड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) और माइग्रेंट वर्कर्स हेल्पलाइन ने उठाया. तब से कुंभलगुडु पुलिस स्टेशन और केंगेरी पुलिस स्टेशन में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं. कंपनी के मालिक देवेंद्रन के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.