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जहां लिया जाता है कोरोना टेस्ट का सैंपल, वहां संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा! जिम्मेदार कौन?

ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन के जरिए कोरोना का संक्रमण रोकने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. लेकिन रांची में कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर्स में अव्यवस्था ऐसी है कि संक्रमण के खतरे को बढ़ावा देता है.

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झारखंड में कोरोना
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Published : Jan 8, 2022, 5:01 PM IST

Updated : Jan 8, 2022, 6:51 PM IST

रांचीः झारखंड में कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार जारी है और हर दिन हजारों की संख्या में नए केस राज्यभर में मिल रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और सरकार महकमा अनुकूल व्यवहार के साथ-साथ ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन के बल पर संक्रमण को रोकने की कोशिश कर रही है. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

इसे भी पढ़ें- Corona Rahat Kit: रांची में कोरोना संक्रमितों को बांट दिया 'मौत का सामान', राहत किट में एक्सपायरी दवा, कहीं 'लेने के देने' न पड़ जाएं

पिछले एक पखवाड़े में राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो गयी है कि कोविड-19 इंडिकेटर में कई मामलों में झारखंड देश के औसत से भी आगे निकल गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद लापरवाही कहां हो रही है, जिससे कोरोना बेकाबू होता दिख रहा है, इसका जवाब है, हर जगह. यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां कोरोना जांच का सैंपल देने के लिए संदिग्ध सैंपल कलेक्शन सेंटर पहुंचते हैं. रांची सदर अस्पताल का सैंपल कलेक्शन सेंटर पर तो इंफेक्शन फैलाने की पूरी व्यवस्था मानो कर दी गयी है. सैंपल लेने वाले लैब टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ खौफ के साए में सैंपल लेते हैं. क्योंकि जिस निजी एजेंसी को सदर अस्पताल की साफ सफाई का जिम्मा दिया गया है शायद उसकी नजर इस पर नहीं है.

देखें पूरी खबर

सदर अस्पताल कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर के लैब टेकनीशियन संजय भुइयां ईटीवी भारत को बताया कि लोग इसलिए यहां आते हैं कि उन्हें पता चल सके कि वह कोरोना संक्रमित हैं या नहीं? लेकिन यहां से जाकर उन्हें कोरोना हो जाएगा, इसका उन्हें एहसास नहीं होता है. संजय कहते हैं कि वह और उनके सहयोगी खुद इस डर के साए में रहकर काम करते हैं कि कहीं उन्हें भी कोरोना ना हो जाए. लैब टेकनीशियन का कहना है कि प्रबंधन को कई बार कहने के बावजूद PPE किट और अन्य इस्तेमाल की हुई सामग्री यू हीं पड़ी रहती है, कोई इसे हटाने भी नहीं आता. राजधानी के सदर अस्पताल में यह हाल तब है जब कहा जा रहा है कि ओमीक्रोन का वैरिएंट कई गुणा तेजी से फैल रहा है.

mismanagement in corona sample collection centres in ranchi
कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर में जमा कचरा

क्या कहते हैं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक

रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एके खेतान से जब ईटीवी भारत की टीम ने इस मुद्दे के बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल प्रबंधन ने अब जहां कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया जा रहा है, उसकी जगह ही बदलने का फैसला लिया है. अब बगल के जिला टीबी सेंटर के प्रांगण में तंबू लगाकर कोरोना का सैंपल लिया जाएगा.

निजी एजेंसी के जिम्मे है अस्पताल की सफाई
सदर अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल की सफाई का जिम्मा PPP मोड पर जी-अलर्ट नाम की निजी एजेंसी को दिया है. जिस पर अस्पताल हर महीने लाखों रुपये खर्च करती है फिर भी रांची सदर अस्पातल में गंदगी पसरी है. ऐसे में सवाल यह कि आखिर वह एजेंसी क्या करती है और क्या जब तक नई व्यवस्था नहीं जो जाती तब तक स्वास्थ्यकर्मी और आम लोग यूं कि खतरा मोल लेते रहेंगे.

रांचीः झारखंड में कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार जारी है और हर दिन हजारों की संख्या में नए केस राज्यभर में मिल रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और सरकार महकमा अनुकूल व्यवहार के साथ-साथ ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन के बल पर संक्रमण को रोकने की कोशिश कर रही है. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

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पिछले एक पखवाड़े में राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो गयी है कि कोविड-19 इंडिकेटर में कई मामलों में झारखंड देश के औसत से भी आगे निकल गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद लापरवाही कहां हो रही है, जिससे कोरोना बेकाबू होता दिख रहा है, इसका जवाब है, हर जगह. यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां कोरोना जांच का सैंपल देने के लिए संदिग्ध सैंपल कलेक्शन सेंटर पहुंचते हैं. रांची सदर अस्पताल का सैंपल कलेक्शन सेंटर पर तो इंफेक्शन फैलाने की पूरी व्यवस्था मानो कर दी गयी है. सैंपल लेने वाले लैब टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ खौफ के साए में सैंपल लेते हैं. क्योंकि जिस निजी एजेंसी को सदर अस्पताल की साफ सफाई का जिम्मा दिया गया है शायद उसकी नजर इस पर नहीं है.

देखें पूरी खबर

सदर अस्पताल कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर के लैब टेकनीशियन संजय भुइयां ईटीवी भारत को बताया कि लोग इसलिए यहां आते हैं कि उन्हें पता चल सके कि वह कोरोना संक्रमित हैं या नहीं? लेकिन यहां से जाकर उन्हें कोरोना हो जाएगा, इसका उन्हें एहसास नहीं होता है. संजय कहते हैं कि वह और उनके सहयोगी खुद इस डर के साए में रहकर काम करते हैं कि कहीं उन्हें भी कोरोना ना हो जाए. लैब टेकनीशियन का कहना है कि प्रबंधन को कई बार कहने के बावजूद PPE किट और अन्य इस्तेमाल की हुई सामग्री यू हीं पड़ी रहती है, कोई इसे हटाने भी नहीं आता. राजधानी के सदर अस्पताल में यह हाल तब है जब कहा जा रहा है कि ओमीक्रोन का वैरिएंट कई गुणा तेजी से फैल रहा है.

mismanagement in corona sample collection centres in ranchi
कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर में जमा कचरा

क्या कहते हैं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक

रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एके खेतान से जब ईटीवी भारत की टीम ने इस मुद्दे के बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल प्रबंधन ने अब जहां कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया जा रहा है, उसकी जगह ही बदलने का फैसला लिया है. अब बगल के जिला टीबी सेंटर के प्रांगण में तंबू लगाकर कोरोना का सैंपल लिया जाएगा.

निजी एजेंसी के जिम्मे है अस्पताल की सफाई
सदर अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल की सफाई का जिम्मा PPP मोड पर जी-अलर्ट नाम की निजी एजेंसी को दिया है. जिस पर अस्पताल हर महीने लाखों रुपये खर्च करती है फिर भी रांची सदर अस्पातल में गंदगी पसरी है. ऐसे में सवाल यह कि आखिर वह एजेंसी क्या करती है और क्या जब तक नई व्यवस्था नहीं जो जाती तब तक स्वास्थ्यकर्मी और आम लोग यूं कि खतरा मोल लेते रहेंगे.

Last Updated : Jan 8, 2022, 6:51 PM IST
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