रांचीः राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने शुक्रवार को कहा कि अब झारखंड से लोगों का दूसरे प्रदेशों में जाना आना शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास के बाद शुरू किया गया है. मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में हिस्सा लेने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में पहुंचे आलम ने कहा कि बैठक के दौरान यह तय हुआ कि प्रवासी मजदूरों के वापस आने पर उन्हें कम से कम डेढ़ सौ दिनों का कार्य दिवस मनरेगा के तहत मिले.
मनरेगा के तहत कम से कम 150 दिन का मिलेगा काम
मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि फिलहाल 150 दिनों के कार्य दिवस का प्रावधान मनरेगा में है. मजदूरों को ज्यादा दिनों तक काम मिले इसके लिए सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि जब प्रवासी मजदूर अपने गांव में लौटेंगे तो ऐसी स्थिति में उन्हें रोजगार देना सरकार के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा. उन्होंने साफ कहा कि जॉब कार्ड उन्हें दिया जाएगा और जो लोग चाहेंगे उन्हें उनका भी जॉब कार्ड बनाया जाएगा. आलम ने कहा कि हर मुखिया को 1-1 लाख रुपये दिए गए हैं ताकि वह अपने स्तर से व्यवस्था कर सके. हालांकि तेलंगाना से रांची आ रही ट्रेन के संबंध में उन्होंने कहा इस बात की जानकारी उन्हें शुक्रवार की सुबह ही मिली है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयासों का नतीजा है कि ट्रेन से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए ट्रेन भेजने वाले लोगों को भी धन्यवाद देना चाहिए.
कृषि मंत्री ने किए दावा 5000 करोड़ का फंड होगा जमा
मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक के संबंध में कृषि मंत्री बादल ने कहा कि अपने-अपने विभागों को लेकर सभी मंत्रियों ने रिव्यू किया है. वहीं बैठक में सदस्यों ने लोगों के लौटने के बाद की व्यवस्था को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से कम से कम 5000 करोड़ रूपया प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत काम के मध्य में जमा करना होगा. उन्होंने कहा इन सब की प्लानिंग की जा रही है उन्होंने कहा इतना बजट इसलिए रखा जा रहा है ताकि लोगों को हर सेक्टर में काम मिल सके.
कोरोना संक्रमित लोगों के आंकड़े हैं संतोषजनक
आलमगीर आलम ने कहा कि हर हाल लोगों को रोजगार मुहैया कराएंगे ताकि सबको रोजी-रोटी महसूस हो सके. वहीं उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित लोगों का डाटा संतोषजनक है. पिछले 48 घंटे में जो आंकड़े आए हैं उससे लगता है कि सरकार इस पर काबू पाने में सफल होंगी. उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर भी दूसरे राज्यों के लोग जो फंसे हैं. उन्हें भी उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद सारी चीजों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिया जा रहा है.
विशेष ट्रेन चलेगी, पड़ोसी राज्यों में फंसे मजदूरों को लाया जाएगा
पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के कोटा में झारखंड के 2883 विद्यार्थी अभी फंसे हुए हैं. उनके लिए विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गई है. एक ट्रेन शुक्रवार की रात को चलेगी जो रांची आएगी जबकि दूसरी ट्रेन अगले दिन चलेगी. वहीं पहले चरण में पड़ोसी राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने पर चर्चा हुई है. उनमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश में फंसे मजदूर शामिल हैं जिनकी संख्या लगभग 34000 है.
इंटर स्टेट और इंटर डिस्ट्रिक्ट मूवमेंट पर हुई चर्चा
वहीं अंतर राज्य और अंतर जिला आवागमन के लिए भी दिशा निर्देश दिए गए हैं. राज्य के बाहर जो फंसे हैं वे संबंधित जिलों के उपायुक्तों के पास अपना आवेदन देंगे. अगर कोई दिक्कत आती है तो उसके लिए राज्य सरकार से संपर्क कर सकते हैं. वहीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी उद्योग धंधों का आकलन किया जा रहा है. उद्योग धंधों में लगभग 75% स्थानीय लोगों को रोजगार मिले इसके लिए सरकार कदम उठाएगी. वहीं मनरेगा का बजट भी बढ़ाया जाएगा.
निजी अस्पतालों को दी गयी है चेतावनी
मुख्यमंत्री ने निजी अस्पताल खोलने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल के संचालकों को चेतावनी दी गई है कि वे अपने पताल खोलें वरना उनका निबंधन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. बता दें कि राज्य में 34 कंटेनमेंट जोन चिन्हित किए गए हैं. इनमें इसके अलावा रांची अभी रेड जोन में है. वहीं 10 जिले ऑरेंज जोन में हैं जबकि बाकी के 13 जिले ग्रीन जोन में है. राज्य में फिलहाल 800 से 900 सैंपल का टेस्ट हर दिन किया जा रहा है.