रांची: झारखंड में सरकार गठन के 3 साल पूरे होने वाले हैं. पिछले 3 सालों में सरकार के कार्यकलापों पर जहां विपक्षी दलों ने कई सवालिया निशान लगाए हैं, वही सरकार में शामिल सहयोगी दल भी कई मुद्दों पर सरकार के फैसलों से सहमत नहीं दिखे. इसी कड़ी में अब वामदल ने विस्थापन, पलायन और नियोजन के मुद्दे को लेकर अलग राग अलापना शुरू कर दिया है.
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वादों से पीछे हट रही है हेमंत सरकार
वाम दल नेता अजय कुमार सिंह के मुताबिक सरकार बनने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो भी वादे किए थे उसे पूरा करना उनका कर्तव्य है. ऐसे में जनहित के मुद्दे पर वामदल सीएम को उनका वादा याद दिला रहे हैं. वो बताते हैं कि सरकार बनने से पहले हेमंत सोरेन ने विस्थापन आयोग के गठन की बात की थी लेकिन अब उसे भूलती नजर आ रही है. सरकार वादा भूले नहीं इसके लिए वामदल एक सेमिनार करने जा रहे हैं.
लेबर कोड का विरोध
सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता प्रकाश विप्लव बताते हैं कि वर्तमान में सरकार को वामदल का राजनीतिक समर्थन है. लेकिन हमारी पार्टी और संगठन सरकार को सही मार्गदर्शन देने का काम भी करते रहत हैं. उन्होंने सरकार के श्रम मंत्रालय के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार के चार लेबर कोड को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड में लागू करने से मना कर दिया था. इसके बावजूद राज्य के श्रम मंत्रालय ने बिना किसी ट्रेड यूनियन से विचार विमर्श के भारत सरकार के चारों लेबर कोड को राज्य में लागू कर दिया है. जिसकी हमारी पार्टी साफ-साफ विरोध करती है.
नियोजन नीति भी ठीक नहीं
सीपीआई(एम) नेता प्रकाश विप्लव ने नियोजन नीति पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में यह वादा किया था कि लगभग 70% नौकरी स्थानीय लोगों को ही दी जाएगी लेकिन यह केवल घोषणा बनकर ही रह गई है और यह धरातल पर कितनी उतरती है इसको लेकर वाम दल सजग हैं.