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प्रेस क्लब में 1972 की रचना 'नागपुर कर कोरा' वीडियो एल्बम की हुई लॉन्चिंग, पद्मश्री मधु मंसूरी भी हुए शामिल - Padmashree Madhu Mansuri hansmukh

रांची के प्रेस क्लब में 'नागपुर कर कोरा' म्यूजिक एल्बम को लॉन्च किया गया. मुंबई के पार्श्व गायक अनिर्वाण ने इस गाने को फिर से एक नया स्वरूप देकर दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया है. इस मौके पर मधु मंसूरी हंसमुख ने आभार अनिर्वाण का आभार प्रकट किया.

Launching of 'Nagpur Kar Kora' music album at Press Club Ranchi
'नागपुर कर कोरा' वीडियो एल्बम की लॉन्चिंग
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Published : Feb 1, 2020, 8:53 PM IST

रांचीः नागपुरी के प्रसिद्ध गीतकार पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख की रचना को झारखंड के लोग कैसे भुला सकते हैं. नागपुरी गीतों में प्रसिद्धि हासिल कर चुके इस गीतकार ने 1972 में 'नागपुर कर कोरा' की रचना की थी और इस रचना को वीडियो एल्बम के जरिए मुंबई के पार्श्व गायक अनिर्वाण ने इसे एक बार फिर जीवंत कर दिया है. इस म्यूजिक एल्बम की लॉन्चिंग रांची के प्रेस क्लब में की गई. इस दौरान गीत के रचयिता पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख समेत महुआ माजी, शिक्षाविद अशोक नाग और कई गणमान्य भी शामिल रहे.

देखें पूरी खबर

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यह गीत अपनी रचना के समय से ही झारखंड की कला संस्कृति का परिचायक रहा है. इस गीत को एक बार फिर म्यूजिक एल्बम के जरिए लोगों के बीच लाया जा रहा है. वैसे तो यह गीत काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसे नए रूप में एक बार फिर दर्शकों के बीच परोस दिया गया है.

मुंबई के पार्श्व गायक अनिर्वाण जो झारखंड के ही रहने वाले हैं, उन्होंने इस गीत को अपनी टीम के साथ झारखंड की वादियों में शूट किया है और एक बेहतरीन म्यूजिक वीडियो एल्बम तैयार किया है. इस विशेष अवसर पर मधु मंसूरी हंसमुख ने इस गीत को तैयार करने वाले लोगों के प्रति आभार प्रकट किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि लगभग तीन हजार बार उन्होंने इस गीत को गाया है. यह गीत कई मायनों में झारखंड के संदर्भ में है और उनके दिल के करीब भी.

रांचीः नागपुरी के प्रसिद्ध गीतकार पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख की रचना को झारखंड के लोग कैसे भुला सकते हैं. नागपुरी गीतों में प्रसिद्धि हासिल कर चुके इस गीतकार ने 1972 में 'नागपुर कर कोरा' की रचना की थी और इस रचना को वीडियो एल्बम के जरिए मुंबई के पार्श्व गायक अनिर्वाण ने इसे एक बार फिर जीवंत कर दिया है. इस म्यूजिक एल्बम की लॉन्चिंग रांची के प्रेस क्लब में की गई. इस दौरान गीत के रचयिता पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख समेत महुआ माजी, शिक्षाविद अशोक नाग और कई गणमान्य भी शामिल रहे.

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यह गीत अपनी रचना के समय से ही झारखंड की कला संस्कृति का परिचायक रहा है. इस गीत को एक बार फिर म्यूजिक एल्बम के जरिए लोगों के बीच लाया जा रहा है. वैसे तो यह गीत काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसे नए रूप में एक बार फिर दर्शकों के बीच परोस दिया गया है.

मुंबई के पार्श्व गायक अनिर्वाण जो झारखंड के ही रहने वाले हैं, उन्होंने इस गीत को अपनी टीम के साथ झारखंड की वादियों में शूट किया है और एक बेहतरीन म्यूजिक वीडियो एल्बम तैयार किया है. इस विशेष अवसर पर मधु मंसूरी हंसमुख ने इस गीत को तैयार करने वाले लोगों के प्रति आभार प्रकट किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि लगभग तीन हजार बार उन्होंने इस गीत को गाया है. यह गीत कई मायनों में झारखंड के संदर्भ में है और उनके दिल के करीब भी.

Intro:रांची।

नागपुरी के प्रसिद्ध गीतकार पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख की रचना को झारखंड के लोग कैसे भुला सकते हैं .नागपुरी गीतों में प्रसिद्धि हासिल कर चुके .इस गीतकार ने 1972 में नागपुर कर कोरा की रचना किया था और इस रचना को वीडियो एल्बम के जरिए मुंबई के पार्ष गायक अनिर्बान ने इसे एक बार फिर जीवंत कर दिया है. इस म्यूजिक एल्बम की लॉन्चिंग रांची के प्रेस क्लब में किया गया. जहां गीत के रचयिता पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख भी शामिल हुए.


Body:लोकप्रिय गीत नागपुर कर कोरा की रचना 1972 में पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख के द्वारा की गई थी. अपने रचना के समय से ही यह गीत झारखंड की कला संस्कृति का परिचायक रहा है और इस गीत को एक बार फिर म्यूजिक एल्बम के जरिए लोगों के बीच लाया जा रहा है. वैसे तो यह गीत काफी लोकप्रिय है. लेकिन इसे नए रूप में एक बार फिर दर्शकों के बीच परोस दिया गया है. मुंबई के पार्ष गायक झारखंड के ही रहने वाला अनिर्वाण ने इस गीत को अपने टीम के साथ झारखंड के वादियों में शूट किया है और एक बेहतरीन म्यूजिक वीडियो एल्बम तैयार किया है. इस एल्बम की लॉन्चिंग राजधानी रांची के प्रेस क्लब में आयोजित एक समारोह के दौरान किया गया .इस अवसर पर गीत के रचयिता पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख भी शामिल हुए .साथ ही साहित्यकार झामुमो नेत्री महुआ मांझी और शिक्षाविद अशोक नाग के अलावे कई गणमान्य शामिल हुए.


Conclusion:इस विशेष अवसर पर एक बार फिर मधु मंसूरी हंसमुख ने इस गीत को तैयार करने वाले लोगों के प्रति आभार प्रकट किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि लगभग तीन हजार बार उन्होंने इस गीत को गाया है. यह गीत कई मायनों में झारखंड के संदर्भ में है और उनके दिल के करीब है.

बाइट- पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख , नागपुरी गीतकार
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