रांचीः झारखंड के प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है. राज्य गठन के बाद से अब तक इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. स्थिति यह है कि आधा दर्जन विषयों में शिक्षकों की संख्या शून्य है. शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन ठप और छात्र-छात्रायें परेशान हैं.
यह भी पढ़ेंः रांची समेत 7 जिलों में मार्च से खुल सकते हैं जूनियर बच्चों के लिए स्कूल, शिक्षा मंत्री ने दिए संकेत
प्लस टू स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन शिक्षकों की संख्या लगातार घट रही है. साल 2016 में सूचना के अधिकार के तहत प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की संख्या मांग की गई थी, जिसका जवाब साल 2017 में दिया गया. राज्य सरकार की ओर से दिये गये आंकड़े चौकाने वाले है. राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानव शास्त्र, क्षेत्रीय जनजातीय भाषा, कंप्यूटर साइंस, उर्दू जैसे विषय में शिक्षक की संख्या शून्य है.
- राजनीति शास्त्र 1 लाख 51 हजार 405 विद्यार्थी, शिक्षकों की संख्या शून्य
- समाजशास्त्र 97 हजार 535 विद्यार्थी, शिक्षकों की संख्या शून्य
- जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा में विद्यार्थियों की संख्या 25 हजार 373, शिक्षकों की संख्या शून्य
- मनोविज्ञान में विद्यार्थियों की संख्या 30 हजार 306, शिक्षकों की संख्या शून्य
- दर्शनशास्त्र में 20 हजार 99 विद्यार्थी, शिक्षकों की संख्या शून्य
- मानव शास्त्र में 12 हजार 789 विद्यार्थी, शिक्षकों की संख्या शून्य
बता दें कि राज्य गठन के बाद झारखंड में अब तक एक बार भी प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. इस वजह से विद्यार्थियों के साथ साथ विद्यालय प्रबंधकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि स्कूल में पठन-पाठन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है और नहीं सब्जेक्ट की जानकारी विद्यार्थियों को मिल पा रही है. अब आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षक और पढ़ाई नहीं होने के बावजूद इन विषयों में विद्यार्थी बेहतर नंबर के साथ पास हो रहे हैं. हाल ही में जारी किए गए इंटरमीडिएट आर्ट्स के रिजल्ट को देख कर लगता है बिना शिक्षक के ही झारखंड के विद्यार्थी गुरु हो गये हैं. अब सवाल यह भी उठ रहा है कि इनके उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किस शिक्षक ने किया. क्योंकि इन विषयों के शिक्षक पढ़ाने के लिए ही नहीं है तो फिर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किन शिक्षकों से कराया गया है.
झारखंड के प्लस टू विद्यालयों के करीब 5 लाख विद्यार्थी हैं. लेकिन शिक्षक नहीं होने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित है. इसके बावजूद इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है. योग्य उम्मीदवार आंदोलन कर रहे हैं. शिक्षक बहाली की मांग कर रहे हैं. इन विषयों से पीएचडी और बीएड किए अभ्यर्थी धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन सुनने और देखने वाला कोई नहीं है. झारखंड हाई कोर्ट ने नवंबर 2018 तक शिक्षकों का पद सृजन करने के साथ साथ नियुक्ति का आदेश दिया था. इसके बावजूद शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावे शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार बयान देते रहे हैं. मुख्यमंत्री खुद संबंधित विभाग को त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया है. मंगलवार को ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई शिक्षा विभाग की बैठक के दौरान उन्होंने प्लस टू विद्यालयों में 5610 शिक्षक और 690 प्रयोगशाला सहायक के पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव जेएसएससी को भेजने की जानकारी दी है. हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए भी इस बैठक में बात उठाई गई. लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि इस ओर सरकार और विभाग का कब ध्यान जाता है.