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आज से शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

दुर्गा पूजा के पवित्र नौ दिनों की शुरुआत आज शारदीय नवरात्रि से हो चुकी है. रांची में लोग अपने घरों में कलश की स्थापना कर रहे हैं. आज से लेकर अगले आठ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाएगी और आखिर में दसवें दिन देवी दुर्गा की विदाई होगी.

मां दुर्गा की प्रतिमा
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Published : Sep 29, 2019, 4:28 PM IST

रांचीः शारदीय नवरात्रि की पूजा आज से शुरू हो गई है, लोग अपने-अपने घरों में पहली पूजा के दिन कलश स्थापना कर रहे हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है. इस अवसर पर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-जन आशीर्वाद यात्रा पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू, कांग्रेस ने कहा- नाकामी छुपाने के लिए सरकार कर रही यात्रा

कलश स्थापना की विधि एवं शुभ मुहूर्त का समय

पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि रविवार को पहली पूजा की जा रही है. इसी दिन माता के आगमन को लेकर लोग कलश स्थापना करेंगे. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है और कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है.

दुर्गा पूजा साल में दो बार आता है, यह पूजा पूरे 9 दिनों की होती है दसवें दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन होता है. वहीं, ज्योतिषाचार्य पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि पूरे 9 दिनों की पूजा के बाद दसवें दिन देवी की विदाई होगी यानी 29 सितंबर से आरंभ होकर 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 अक्टूबर को देवी का विसर्जन होगा.

नवरात्र में इन नौ देवियों का होता है पूजन

पहले दिन- शैलपुत्री

दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी

तीसरे दिन- चंद्रघंटा

चौथे दिन- कुष्मांडा

पांचवे दिन- स्कंद माता

छठे दिन- कात्यायनी देवी

सातवें दिन- कालरात्रि

आठवें दिन- महागौरी

नौवें दिन- सिद्धिदात्री

रांचीः शारदीय नवरात्रि की पूजा आज से शुरू हो गई है, लोग अपने-अपने घरों में पहली पूजा के दिन कलश स्थापना कर रहे हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है. इस अवसर पर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है.

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कलश स्थापना की विधि एवं शुभ मुहूर्त का समय

पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि रविवार को पहली पूजा की जा रही है. इसी दिन माता के आगमन को लेकर लोग कलश स्थापना करेंगे. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है और कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है.

दुर्गा पूजा साल में दो बार आता है, यह पूजा पूरे 9 दिनों की होती है दसवें दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन होता है. वहीं, ज्योतिषाचार्य पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि पूरे 9 दिनों की पूजा के बाद दसवें दिन देवी की विदाई होगी यानी 29 सितंबर से आरंभ होकर 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 अक्टूबर को देवी का विसर्जन होगा.

नवरात्र में इन नौ देवियों का होता है पूजन

पहले दिन- शैलपुत्री

दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी

तीसरे दिन- चंद्रघंटा

चौथे दिन- कुष्मांडा

पांचवे दिन- स्कंद माता

छठे दिन- कात्यायनी देवी

सातवें दिन- कालरात्रि

आठवें दिन- महागौरी

नौवें दिन- सिद्धिदात्री

Intro:शारदीय नवरात्र पूजा आज से शुरू हो गई है, लोग अपने-अपने घरों में पहली पूजा के दिन कलश स्थापना कर रहे हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है। इस अवसर पर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गे के सभी नौ रूपों की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है।

कलश स्थापना की विधि एवं शुभ मुहूर्त का समय।

पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि रविवार को पहली पूजा की जा रही है इसी दिन माता के आगमन को लेकर लोग कलश स्थापना करेंगे। नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है और कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है, साथ ही उन्होंने बताया कि सुबह के 11:36 बजे से 12:30 बजे तक कलश स्थापना को लेकर शुभ मुहूर्त माना गया है।


Body:दुर्गा पूजा साल में एक बार आता है, यह पूजा पूरे 9 दिनों का होता है दसवें दिन दुर्गा देवी की प्रतिमा का विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन होता है। वही ज्योतिषाचार्य एवं पंडित अरुण कुमार पांडे बताते हैं कि इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और दसवें दिन देवी की विदाई होगी यानी 29 सितंबर से आरंभ होकर 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 अक्टूबर को देवी का विसर्जन होगा।


Conclusion:नवरात्र में इन नौ देवियों का होता है पूजन।
पहले दिन- शैलपुत्री
दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी
तीसरे दिन- चंद्रघंटा
चौथे दिन- कूष्मांडा
पांचवे दिन- स्कंद माता
छठे दिन- कात्यानी देवी
सातवें दिन- कालरात्रि
आठवें दिन- महागौरी
नौवें दिन- सिद्धिदात्री।

वहीं पूरे पूजा में लोग माता रानी के मंदिरों में पहुंचकर अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए पूजा एवं आराधना कर रहे हैं।

बाइट- अरुण कुमार पांडेय, पुजारी।
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