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99 वर्षीय हत्या के आरोपी को जमानत देने से झारखंड हाई कोर्ट का इनकार, याचिका खारिज

झारखंड हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. बताया जा रहा है कि आरोपी की उम्र 99 वर्ष है और इसी ग्राउंड पर जमानत की मांग की गयी थी.

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Published : Apr 11, 2022, 10:54 PM IST

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट ने 99 वर्षीय हत्या के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश सुभाष चंद्र की अदालत में 99 वर्षीय हत्या के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इस स्थिति में जमानत नहीं दी जा सकती है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें जमानत दी जाए. उन्होंने अदालत को जानकारी देते हुए कहा कि आरोपी की उम्र 99 वर्ष है. इस उम्र में उन्हें जमानत की सुविधा दी जानी चाहिए. वहीं, सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी ने हत्या की है. उन्होंने कहा कि एक बार जमानत दी गई तो 39 वर्षों तक फरार था. इस स्थिति में आरोपी को जमानत की सुविधा नहीं मिली चाहिए. सरकार के अधिवक्त की बात को स्वीकर करते हुए अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.


अभियुक्त अमारात मियां उर्फ अमारात हुसैन पर साल 1983 में एक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा था. जिसके बाद उसने निचली अदालत से अग्रिम जमानत ली थी. अग्रिम जमानत मिलने के बाद करीब 38 वर्षों तक अदालत की किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं हुआ. इस दौरान उसकी जमानत के लिए कोर्ट की ओर से निर्धारित गई शर्तों की भी अवहेलना की. पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर निचली अदालत ने अभियुक्त को साल 2013 में भगोड़ा घोषित कर दिया था. केस दर्ज होने के करीब 39 वर्षों बाद आरोपी ने सरेंडर किया और हाई कोर्ट में नियमित जमानत के लिए अर्जी दाखिल की. उसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दिया.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश सुभाष चंद्र की अदालत में 99 वर्षीय हत्या के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इस स्थिति में जमानत नहीं दी जा सकती है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें जमानत दी जाए. उन्होंने अदालत को जानकारी देते हुए कहा कि आरोपी की उम्र 99 वर्ष है. इस उम्र में उन्हें जमानत की सुविधा दी जानी चाहिए. वहीं, सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी ने हत्या की है. उन्होंने कहा कि एक बार जमानत दी गई तो 39 वर्षों तक फरार था. इस स्थिति में आरोपी को जमानत की सुविधा नहीं मिली चाहिए. सरकार के अधिवक्त की बात को स्वीकर करते हुए अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया.


अभियुक्त अमारात मियां उर्फ अमारात हुसैन पर साल 1983 में एक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा था. जिसके बाद उसने निचली अदालत से अग्रिम जमानत ली थी. अग्रिम जमानत मिलने के बाद करीब 38 वर्षों तक अदालत की किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं हुआ. इस दौरान उसकी जमानत के लिए कोर्ट की ओर से निर्धारित गई शर्तों की भी अवहेलना की. पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर निचली अदालत ने अभियुक्त को साल 2013 में भगोड़ा घोषित कर दिया था. केस दर्ज होने के करीब 39 वर्षों बाद आरोपी ने सरेंडर किया और हाई कोर्ट में नियमित जमानत के लिए अर्जी दाखिल की. उसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दिया.

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