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गढ़वा में विस्थापित और मजदूरों ने खोला मोर्चा, क्रशर प्लांट की नीलामी का कर रहे विरोध - ANGER AGAINST SAIL IN GARHWA

गढ़वा में लगे क्रशर प्लांट का ऑक्शन किए जाने से विस्थापित और मजदूरों में आक्रोश है. वो इसका विरोध कर रहे हैं.

ANGER AGAINST SAIL IN GARHWA
क्रशर प्लांट का ऑक्शन किये जाने से मजदूरों में आक्रोश (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 12 hours ago

Updated : 11 hours ago

गढ़वाः सेल के खिलाफ विस्थापित और मजदूरों ने मोर्चा खोल दिया है. क्रशर प्लांट के ऑक्शन का अब लोग विरोध कर रहे हैं. अरबों रुपए के प्लांट को महज दो करोड़ मे ऑक्शन किया गया है, जिसे लेकर विस्थापित और मजदूर आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

क्रशर प्लांट का ऑक्शन किये जाने से मजदूरों में आक्रोश (Etv Bharat)

बड़ी चुनौती के बाद ये बना था क्रशर प्लांट

1966 के दशक में तत्कालीन सरकार के द्वारा गढ़वा जिले के भवनाथपुर प्रखंड के टाउनशिप क्षेत्र में सेल के द्वारा एशिया का सबसे बड़ा क्रशर प्लांट लगाया गया था. उस दौरान भूमि अधिग्रहण को लेकर खूब लाठियां और गोलियां बरसी थीं, तब जाकर 1973 मे क्रशर पलांट खुला और इसके साथ दो अन्य घाघरा चूना खदान और तुलसी दामर के डोलोमाइट खदान को शुरू किया गया था.

1973 से लेकर 1993 तक यह प्लांट खूब चला. लोग इस क्षेत्र को मिनी मुंबई के नाम से जानते थे. इस क्षेत्र के पत्थर को बोकारो भेजा जाता था जो स्टील बनाने के काम में लाया जाता था. इस दौरान लगभग 20 हजार परिवारों से भूमि अधिग्रहण किया गया. दो हजार से अधिक परिवारों को नौकरी मिली, लेकिन आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है. अब विस्थापित और मजदूर इसे बचाने की मुहिम में लग गए हैं. इसे लेकर सैकड़ों की संख्या में मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए और सेल की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

ग्रामीणों ने कहा कि आज एशिया के सबसे बड़े क्रशर प्लांट का ऑक्शन हो गया है, परंतु हम इसे कतई नहीं बिकने देंगे. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इसमें सेल प्रबंधन और सेल पदाधिकारियों की सबसे बड़ी साजिश है क्योंकि इस क्रशर प्लांट का ऑक्शन जहां 38 करोड़ से ऊपर होना चाहिए उसे साजिश के तहत महज दो करोड़ 40 लाख में ही ऑक्शन कर दिया गया है.

विस्थापितों की मांग, जब प्लांट ही बेच दिया तो हमारी जमीन लौटा दो

सेल के अंदर लगभग 11 सौ हेक्टेयर भूमि है जो यहीं के लोगों से अधिग्रहण की गयी थी, जिसमें 20 हजार लोग प्रभावित हुए थे, लेकिन इस क्रशर प्लांट को बेच देने के बाद इस क्षेत्र के लिए कुछ भी नहीं बचेगा. इसलिए विस्थापितों का कहना है कि जब यहां कुछ रहेगा ही नहीं तो मेरी जमीन लौटा दी जाए.

रात के अंधेरे में काट कर बेचा जा रहा है प्लांट

कुछ मजदूर तो बड़ा आरोप भी लगा रहे हैं कि रात के अंधेरे मे चोरी से प्लांट को काटा जा रहा है और बाजारों में बेचा जा रहा है. अगर प्लांट का नामोनिशान मिट गया तो हम लोग क्या करेंगे. अब पलायन के सिवा कुछ नहीं बचेगा. काफी हंगामे के बाद भी सेल प्रबंधन न तो विस्थापितों से मिलने को तैयार है और न ही मीडिया से.

सेल प्रबंधन के पास कार्यालय पहुंचने पर सीआईएसएफ के द्वारा मीडिया को पहले तो रोक दिया गया. जब मिलने की बात कही तो सेल के डीजीएम ने मिलने से इनकार करते हुए कहा कि मैं इस मामले पर बयान देने का अधिकार नहीं रखता हूं. जबकि CISF के अधिकारी ने DGM से आग्रह किया है कि आप आ कर मिल लीजिए फिर भी वो तैयार नहीं हुए.
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क्रशर प्लांट का ऑक्शन किये जाने से मजदूरों में आक्रोश (Etv Bharat)

बड़ी चुनौती के बाद ये बना था क्रशर प्लांट

1966 के दशक में तत्कालीन सरकार के द्वारा गढ़वा जिले के भवनाथपुर प्रखंड के टाउनशिप क्षेत्र में सेल के द्वारा एशिया का सबसे बड़ा क्रशर प्लांट लगाया गया था. उस दौरान भूमि अधिग्रहण को लेकर खूब लाठियां और गोलियां बरसी थीं, तब जाकर 1973 मे क्रशर पलांट खुला और इसके साथ दो अन्य घाघरा चूना खदान और तुलसी दामर के डोलोमाइट खदान को शुरू किया गया था.

1973 से लेकर 1993 तक यह प्लांट खूब चला. लोग इस क्षेत्र को मिनी मुंबई के नाम से जानते थे. इस क्षेत्र के पत्थर को बोकारो भेजा जाता था जो स्टील बनाने के काम में लाया जाता था. इस दौरान लगभग 20 हजार परिवारों से भूमि अधिग्रहण किया गया. दो हजार से अधिक परिवारों को नौकरी मिली, लेकिन आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है. अब विस्थापित और मजदूर इसे बचाने की मुहिम में लग गए हैं. इसे लेकर सैकड़ों की संख्या में मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए और सेल की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

ग्रामीणों ने कहा कि आज एशिया के सबसे बड़े क्रशर प्लांट का ऑक्शन हो गया है, परंतु हम इसे कतई नहीं बिकने देंगे. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इसमें सेल प्रबंधन और सेल पदाधिकारियों की सबसे बड़ी साजिश है क्योंकि इस क्रशर प्लांट का ऑक्शन जहां 38 करोड़ से ऊपर होना चाहिए उसे साजिश के तहत महज दो करोड़ 40 लाख में ही ऑक्शन कर दिया गया है.

विस्थापितों की मांग, जब प्लांट ही बेच दिया तो हमारी जमीन लौटा दो

सेल के अंदर लगभग 11 सौ हेक्टेयर भूमि है जो यहीं के लोगों से अधिग्रहण की गयी थी, जिसमें 20 हजार लोग प्रभावित हुए थे, लेकिन इस क्रशर प्लांट को बेच देने के बाद इस क्षेत्र के लिए कुछ भी नहीं बचेगा. इसलिए विस्थापितों का कहना है कि जब यहां कुछ रहेगा ही नहीं तो मेरी जमीन लौटा दी जाए.

रात के अंधेरे में काट कर बेचा जा रहा है प्लांट

कुछ मजदूर तो बड़ा आरोप भी लगा रहे हैं कि रात के अंधेरे मे चोरी से प्लांट को काटा जा रहा है और बाजारों में बेचा जा रहा है. अगर प्लांट का नामोनिशान मिट गया तो हम लोग क्या करेंगे. अब पलायन के सिवा कुछ नहीं बचेगा. काफी हंगामे के बाद भी सेल प्रबंधन न तो विस्थापितों से मिलने को तैयार है और न ही मीडिया से.

सेल प्रबंधन के पास कार्यालय पहुंचने पर सीआईएसएफ के द्वारा मीडिया को पहले तो रोक दिया गया. जब मिलने की बात कही तो सेल के डीजीएम ने मिलने से इनकार करते हुए कहा कि मैं इस मामले पर बयान देने का अधिकार नहीं रखता हूं. जबकि CISF के अधिकारी ने DGM से आग्रह किया है कि आप आ कर मिल लीजिए फिर भी वो तैयार नहीं हुए.
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Last Updated : 11 hours ago
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