रांचीः कोरोना से आम लोगों की हो रही मौत को रोकना राज्य सरकार के लिए जहां चुनौती बनी हुई है. वहीं संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इन सबके बीच चौंकानेवाली बात यह है कि सरकार भले ही अपने आपको जनता के प्रति संकट की इस घड़ी में हमदर्द बताने में जुटी हो. मगर सच्चाई यह है कि कोरोना से आम नागरिकों को होनेवाली मौत का कुछ भी मुआवजा देने का प्रावधान झारखंड सरकार के पास नहीं है.
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कोरोना के इस जंग में लड़नेवाले फ्रंटलाइन वैरियर्स के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने 25 लाख मुआवजा देने का जरूर प्रावधान कर रखा है. स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ईटीवी भारत की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र ने भले ही 50 लाख का प्रावधान रखा है, मगर इसका लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं राज्य सरकार ने शवगृह में काम करनेवाले लोगों को भी फ्रंटलाइन वैरियर्स मानते हुए 25 लाख तक के मुआवजा का प्रावधान रखा है. उन्होंने आम नागरिकों को कोरोना से हो रहे मौत पर मुआवजा के लिए पॉलिसी बनाने की बात कहते हुए कहा कि अभी तक ऐसा कोई प्रावधान राज्य सरकार ने नहीं बनाया है.
कोरोना की विनाशलीला
6 मई तक राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या 3479 है, जिसमें सबसे ज्यादा राजधानी रांची में 1051 लोगों की मौत कोरोना से हुई है. जिलावार हुई मौतों पर नजर दौड़ाएं तो 6 मई तक बोकारो में 137, चतरा में 36, देवघर में 70 ,धनबाद में 281, दुमका में 35 पू. सिंहभूम में 726, गढ़वा में 51, गिरिडीह में 65, गोड्डा में 7, गुमला में 23, हजारीबाग में 99, जामताड़ा में 34, खूंटी में 101, कोडरमा में 39, लातेहार में 52, लोहरदगा में 7, पलामू में 65, रामगढ़ में 137, साहिबगंज में 32, सरायकेला में 42, सिमडेगा में 54 और पश्चिम सिंहभूम में 91 लोगों की मौत हो चुकी है.
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि झारखंड में मरनेवालों का प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है. झारखंड का मोरटेलिटी रेट 6 मई को 1.28% हो गया है, जबकि नेशनल लेवल पर यह आंकड़ा 1.10% है. वहीं रिकवरी रेट को देखें तो उसमें भी झारखंड की स्थिति चिंताजनक हो गई है. रिकवरी रेट झारखंड का 76.26% पर पहुंच गया है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर रिकवरी 82% है. ऐसी स्थिति में दिनप्रतिदिन खराब हो रहे हालात के बीच लोग सरकार से राहत सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं.