रांची: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र समय से एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है (Jharkhand Assembly Adjourned Indefinitely). 29 जुलाई से शुरू हुई सदन की कार्यवाही 5 अगस्त तक चलना था, मगर विपक्ष के भारी हंगामा के कारण सदन समय से पूर्व स्थगित करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो (Assembly Speaker Rabindranath Mahto) ने की.
ये भी पढ़ें: Video: बीजेपी विधायक ने पकड़ा स्पीकर का पैर, कहा- रहम कीजिए हुजूर
झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र समय से एक दिन पहले 4 अगस्त को ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है. दूसरी पाली में कौशल विद्या उद्यमिता, डिजिटल एवं स्किल विश्वविद्यालय विधेयक 2022, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक, 2022 और झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 की स्वीकृति की प्रक्रिया के बीच झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने विपक्ष के आचरण का मसला उठाया.
झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि सोमवार से सदन चल रहा है लेकिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक असंसदीय आचरण किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस भाजपा की सरकार के दौरान ही 2007 में उर्दू स्कूलों में छुट्टी की परंपरा शुरू हुई थी, लेकिन इसे बेवजह मुद्दा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में गौ हत्या का कोई स्पेसिफिक मामला नहीं है फिर भी ऐसे मुद्दों को उठाकर सदन को चलने नहीं दिया जा रहा है. लिहाजा इसकी गंभीरता को देखते हुए सदन को संज्ञान लेना चाहिए. सुधीर कुमार के इस सुझाव के कुछ मिनट बाद झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 के स्वीकृत होते ही विधानसभा अध्यक्ष रबिंद्रनाथ महतो ने अपने संबोधन में कहा कि वह इस सत्र के दौरान विपक्ष के आचरण से आहत हैं. सदन की गरिमा का ख्याल रखते हुए कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करता हूं. हालांकि निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि चलते सत्र में बिना कार्यमंत्रणा के ऐसा फैसला लिया गया है.
ऐसा नहीं है कि पहली बार तय समय से पहले सदन की कार्यवाही स्थगित की गई हो. इससे पहले कोरोना की वजह से साल 2020 के बजट सत्र को समय से पहले स्थगित कर दिया गया था. इसके अलावा पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के समय 2018-19 के बजट के दौरान अनिश्चितकाल के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी. बजट पर चर्चा भी नहीं हुई थी. तब विपक्ष के रूख के कारण सदन में एक दिन पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घोषणा कर दी थी. इसपर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में फैसला लिया गया था. झारखंड बनने के बाद पहली बार मूल बजट और अन्य विभागों के बजट को बगैर किसी चर्चा के गिलोटिन लाकर पास कराया गया था. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा मुख्य विपक्षी दल था. उस साल 7 फरवरी के बजाए 30 जनवरी को ही सत्र समाप्त हो गया था.
सदन की कार्यवाही समय से पहले समाप्त होने पर उन्होंने दुख जाहिर किया. झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया (Jharkhand Assembly Adjourned Indefinitely). इस मामले पर दुख जताते हुए स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो (Assembly Speaker Rabindranath Mahto) ने कहा कि एक दल के सदस्यों के व्यवहार से आहत होकर उन्होंने सदन की कार्यवाही समय पूर्व स्थगित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि अल्प दिनों के इस मानसून सत्र में सुखाड़ जैसे जनहित के मुद्दे पर सदन उपयोगी साबित होगा. मगर जिस तरह से सदन में एक दल विशेष के सदस्यों का आचरण हुआ इससे वे बेहद आहत हैं.
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि उन्होंने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए चारों विधायक का निलंबन भी वापस लिया, मगर इसके बाबजूद सदस्यों का आचरण संसदीय प्रणाली के विपरीत हो रहा था. उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों के इस आचरण से लोग यही समझेंगे कि सदन कितना हास्यास्पद हो गया है. ये सदन हास्यास्पद बने ये वह नहीं चाहते. सदन में एक नई सदस्य का पहले दिन दिया गया स्पीच सदस्यों के लिए आत्मसात करनेवाला है.
स्पीकर ने कहा कि सदन को हल्का और हास्यास्पद कर देना यह कहीं से भी उचित नहीं है, इसलिए दुखी और आहत मन से उन्होंने एक दिन पहले ही सदन को स्थगित करने का निर्णय लिया है. भानू प्रताप शाही के द्वारा की गई टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा कि उनके ऊपर की गई टिप्पणी से ज्यादा उनके क्षेत्र की जनता पर की गई टिप्पणी से वे काफी मर्माहत हैं.