रांची: झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. इसको दूर किए बिना एक सशक्त समाज की कल्पना नहीं की जा सकती. झारखंड में स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ. मनीष रंजन ने 'जश्न परियोजना (ज्वाइंट एक्शन फॉर सस्टेनेबल हेल्थ एंड न्यूट्रीशन)' का ऑनलाइन शुभारंभ किया. डॉ मनीष रंजन ने जश्न कार्यक्रम को वक्त की जरुरत बताया. कोविड के बाद के चुनौतीपूर्ण समय में जश्न कार्यक्रम के जरिए गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य मानकों में सुधार की उम्मीद जताई गई है. डॉ मनीष रंजन ने कहा कि यह कार्यक्रम आने वाले दिनों में सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिल कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई कहानी लिखेगा.
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जश्न परियोजना का मकसद
ज्वाइंट एक्शन फॉर सस्टेनेबल हेल्थ एंड न्यूट्रीशन (जश्न) परियोजना दीन दयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के नवाचार फंड के तहत स्पेशल प्रोजेक्ट के रूप में राज्य में क्रियान्वित किया जाएगा. इसके जरिए राज्य के 14 जिलों के 31 प्रखंडों में कुपोषण और स्वास्थ्य की स्थिती में सुधार के लिए मिशन मोड में काम किया जाएगा. इस पहल के जरिए गर्भवती एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष फोकस रखा जाएगा. मातृत्व शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण पर सघन रूप से कार्य किया जाना है. सखी मंडल की महिलाएं इस परियोजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगी.
राज्य पोषण मिशन के डीजी डीके सक्सेना ने समुदाय के पोषण व्यवहार पर कार्य करने की जरुरत पर बल दिया और एनआरएलएम के जरिए इस पर व्यवहारिक बदलाव को संभव बताया. 'जश्न' कार्यक्रम के ई शुभारंभ के अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रतिनिधि के रूप में उषा रानी ने समूह एवं उच्चतर संस्थाओं के जरिए इस कार्यक्रम का लाभ सुदूर गांव के हर परिवार तक पहुंचाने की बात कही. निदेशक, समाज कल्याण ए डोड्डे ने कहा कि राज्य में कुपोषण और एनीमिया बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिए लंबी और प्रभावी स्ट्रैटेजी पर काम करने की जरूरत है. जेएसएलपीएस और महिला, बाल विकास विभाग मिलकर कुपोषण के लिए जागरुकता एवं अन्य कार्य को धरातल पर प्रभावी तरीके से उतार सकते हैं.