रांचीः महात्मा गांधी ने रांची से रामगढ़ तक कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए जिस कार से सफर किया था, आज भी उस कार को संभाल कर रखा गया है. दरअसल, महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने रांची आए थे. इस दौरान उन्होंने कोकर डिस्टलरी के मालिक राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के घर से रामगढ़ तक का सफर 1922 मॉडल की फोर्ड कार में की थी. उस फोर्ड कार को आज भी राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के पोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने संभाल कर रखा है.
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रामगढ़ में रखी गई थी भारत छोड़ो आंदोलन की नींव
आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि 1940 में रामगढ़ कांग्रेस का अधिवेशन सिर्फ अधिवेशन नहीं था बल्कि एक ऐतिहासिक अधिवेशन था, क्योंकि उसी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी. उन्होंने बताया कि 1940 में जब महात्मा गांधी का रांची आगमन हुआ था तो बापू बिरला कोठी में रुके थे. उसी समय राय साहब लक्ष्मी नारायण को सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें रांची से रामगढ़ तक उनके साथ महात्मा गांधी ने सफर तय किया था. आदित्य कहते हैं कि गांधी जी ने जिस कार से सफर किया था उस कार की वो पूजा करते हैं.
यहां दिया था महात्मा गांधी ने पहला संबोधन
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 1940 के अधिवेशन में रामगढ़ के दामोदर नदी किनारे सैकड़ों टेंट लगाए गए थे और यहीं से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. उस समय राय बहादुर ठाकुरदास के साथ उन्होंने पहले हिंदपीढ़ी नदी ग्राउंड के लाह कोठी में पहला संबोधन दिया था. जिसके बाद वो रामगढ़ गए थे.
कार के मेंटनेंस में होती है परेशानियां
आदित्य बताते हैं कि जिस कार से बापू ने यात्रा की थी, उसके मेंटनेंस में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि उसे मेंटेन करने वाले सही मैकेनिक नहीं मिल पाते हैं. लेकिन फिर भी आदित्य पूरी तरह से इस ऐतिहासिक धरोहर को संजो कर रखने के प्रयास में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब ठीक रहा तो इस 2 अक्टूबर के दिन गाड़ी सड़क पर भी नजर आएगी.