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रांची से रामगढ़ तक के सफर में महात्मा गांधी की हमसफर थी यह 'कार', आज भी है प्रेरणादायक - Jaiswal family's Ford car

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने झारखंड आए थे. इस दौरान उन्होंने रांची से रामगढ़ तक का सफर जिस कार से तय किया था. आज भी उस कार को संजो कर रखने का प्रयास रांची का जायसवाल परिवार कर रहा है. उनके लिए यह कार किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं है.

जायसवाल परिवार की फोर्ड कार
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Published : Oct 1, 2019, 4:17 PM IST

रांचीः महात्मा गांधी ने रांची से रामगढ़ तक कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए जिस कार से सफर किया था, आज भी उस कार को संभाल कर रखा गया है. दरअसल, महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने रांची आए थे. इस दौरान उन्होंने कोकर डिस्टलरी के मालिक राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के घर से रामगढ़ तक का सफर 1922 मॉडल की फोर्ड कार में की थी. उस फोर्ड कार को आज भी राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के पोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने संभाल कर रखा है.

देखें पूरी खबर

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रामगढ़ में रखी गई थी भारत छोड़ो आंदोलन की नींव

आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि 1940 में रामगढ़ कांग्रेस का अधिवेशन सिर्फ अधिवेशन नहीं था बल्कि एक ऐतिहासिक अधिवेशन था, क्योंकि उसी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी. उन्होंने बताया कि 1940 में जब महात्मा गांधी का रांची आगमन हुआ था तो बापू बिरला कोठी में रुके थे. उसी समय राय साहब लक्ष्मी नारायण को सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें रांची से रामगढ़ तक उनके साथ महात्मा गांधी ने सफर तय किया था. आदित्य कहते हैं कि गांधी जी ने जिस कार से सफर किया था उस कार की वो पूजा करते हैं.

यहां दिया था महात्मा गांधी ने पहला संबोधन

उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 1940 के अधिवेशन में रामगढ़ के दामोदर नदी किनारे सैकड़ों टेंट लगाए गए थे और यहीं से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. उस समय राय बहादुर ठाकुरदास के साथ उन्होंने पहले हिंदपीढ़ी नदी ग्राउंड के लाह कोठी में पहला संबोधन दिया था. जिसके बाद वो रामगढ़ गए थे.

कार के मेंटनेंस में होती है परेशानियां

आदित्य बताते हैं कि जिस कार से बापू ने यात्रा की थी, उसके मेंटनेंस में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि उसे मेंटेन करने वाले सही मैकेनिक नहीं मिल पाते हैं. लेकिन फिर भी आदित्य पूरी तरह से इस ऐतिहासिक धरोहर को संजो कर रखने के प्रयास में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब ठीक रहा तो इस 2 अक्टूबर के दिन गाड़ी सड़क पर भी नजर आएगी.

रांचीः महात्मा गांधी ने रांची से रामगढ़ तक कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए जिस कार से सफर किया था, आज भी उस कार को संभाल कर रखा गया है. दरअसल, महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने रांची आए थे. इस दौरान उन्होंने कोकर डिस्टलरी के मालिक राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के घर से रामगढ़ तक का सफर 1922 मॉडल की फोर्ड कार में की थी. उस फोर्ड कार को आज भी राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के पोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने संभाल कर रखा है.

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रामगढ़ में रखी गई थी भारत छोड़ो आंदोलन की नींव

आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि 1940 में रामगढ़ कांग्रेस का अधिवेशन सिर्फ अधिवेशन नहीं था बल्कि एक ऐतिहासिक अधिवेशन था, क्योंकि उसी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी. उन्होंने बताया कि 1940 में जब महात्मा गांधी का रांची आगमन हुआ था तो बापू बिरला कोठी में रुके थे. उसी समय राय साहब लक्ष्मी नारायण को सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें रांची से रामगढ़ तक उनके साथ महात्मा गांधी ने सफर तय किया था. आदित्य कहते हैं कि गांधी जी ने जिस कार से सफर किया था उस कार की वो पूजा करते हैं.

यहां दिया था महात्मा गांधी ने पहला संबोधन

उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 1940 के अधिवेशन में रामगढ़ के दामोदर नदी किनारे सैकड़ों टेंट लगाए गए थे और यहीं से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. उस समय राय बहादुर ठाकुरदास के साथ उन्होंने पहले हिंदपीढ़ी नदी ग्राउंड के लाह कोठी में पहला संबोधन दिया था. जिसके बाद वो रामगढ़ गए थे.

कार के मेंटनेंस में होती है परेशानियां

आदित्य बताते हैं कि जिस कार से बापू ने यात्रा की थी, उसके मेंटनेंस में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि उसे मेंटेन करने वाले सही मैकेनिक नहीं मिल पाते हैं. लेकिन फिर भी आदित्य पूरी तरह से इस ऐतिहासिक धरोहर को संजो कर रखने के प्रयास में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब ठीक रहा तो इस 2 अक्टूबर के दिन गाड़ी सड़क पर भी नजर आएगी.

Intro:नोट-विजुअल बाइट लाइव यू से गई है।


रांची.राष्ट्रपिता महात्मा गांधी वर्ष 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए रांची से रामगढ़ तक का सफर जिस कार से किया था। आज भी उस कार को संजो कर रखने का प्रयास आदित्य विक्रम जसवाल कर रहे हैं और इसके साथ ही अपनी पीढ़ियों की यादों का भी संजोए हुए है। उनका कहना है कि कई मायनों में यह कर ऐतिहासिक है। क्योंकि इसी से सफर कर गांधीजी रामगढ़ गए थे और वहां से भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी थी।


Body:महात्मा गांधी ने रांची से रामगढ़ तक कांग्रेस के अधिवेशन में 1940 में जिस फोर्ड कार से सफर किया था। आज भी उस कार को संभाल कर रखा गया है। दरअसल महात्मा गांधी 1940 में कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने रांची आए थे। उस दौरान उन्होंने कोकर डिस्लरी के मालिक राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के घर से रामगढ़ तक का सफर 1922 मॉडल की फोर्ड कार में किया था। उस फोर्ड कार को आज भी राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल के पोते आदित्य विक्रम जायसवाल संभाल कर रख-रखाव कर रहे हैं और पीढ़ियों की यादों को संजो कर रखा है।


आदित्य विक्रम जयसवाल बताते हैं कि 1940 में रामगढ़ कांग्रेस का अधिवेशन सिर्फ अधिवेशन नहीं था। बल्कि एक ऐतिहासिक अधिवेशन था। क्योंकि उसी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी। उन्होंने बताया कि 1940 में जब महात्मा गांधी का रांची आगमन हुआ था। तब वह बिरला कोठी में रुके थे। उसी समय मेरे परदादा को सौभाग्य प्राप्त हुआ हुआ था और रांची से रामगढ़ तक उनके साथ महात्मा गांधी ने सफर तय किया था। वह कहते हैं कि महात्मा गांधी ने जिस कार से सफर की थी।उस कार की हम पूजा करते हैं। क्योंकि महात्मा गांधी ने इसी गाड़ी में जाकर भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी थी।


Conclusion:उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 1940 के अधिवेशन में के रामगढ़ दामोदर नदी किनारे सैकड़ों टेंट लगाए गए थे और यहीं से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। उस समय रायबहादुर ठाकुरदास के साथ उन्होंने पहले हिंदपीढ़ी नदी ग्राउंड के लाह कोठी में महात्मा गांधी ने पहला संबोधन दिया था। जिसके बाद वो रामगढ़ गए थे।

आदित्य बताते हैं कि जिस कार से बापू ने यात्रा की थी। उसके मेंटेनेंस में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उसे मेंटेन करने वाले सही मैकेनिक नहीं मिलते हैं। लेकिन फिर भी उनके तरफ से पूरा प्रयास किया जाता है। ताकि गाड़ी को सही सलामत खड़ी रहे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ गाड़ी नहीं है बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर है और उम्मीद जताई है कि इस 2 अक्टूबर के दिन गाड़ी सड़क पर भी नजर आएगी।

-----------पीटीसी----------

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