रांचीः कोरोना महामारी में हर दिन नए-नए स्ट्रेन, अधिक संख्या में संक्रमण और फिर ब्लैक फंगस का खतरा कम भी नहीं हुआ था कि अब व्हाइट फंगस चर्चा में आ गया है. दरअसल झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार की राजधानी में व्हाइट फंगस का केस मिला. जिसके बाद अब हर किसी के मन मे सवाल उठ रहा है कि यह एक और बला कहां से आ गया, इससे कैसे बचें? ये कितना खतरनाक है? ब्लैक फंगस से यह कितना अलग है? इन्हीं सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने रिम्स कोविड टास्क फोर्स के संयोजक डॉ. प्रभात कुमार से बात की है.
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क्या यह कोई नया फंगस है?
ईटीवी भारत से खास मुलाकात में डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि कैंडिडोसिस (व्हाइट फंगस) कोई नई बीमारी नहीं है. बल्कि इसके केस कोरोना काल से पहले भी बड़ी संख्या में मिलते रहे हैं. यह शरीर के कई अंगों को संक्रमित कर सकता है. जिसमें कुछ कॉमन है, जैसे महिलाओं में होने वाला सफेद प्रदर जिसे ल्यूकेरिया, मुंह में छाला, जीभ पर उजला-सा होना, फेफड़े का संक्रमण, किडनी को भी प्रभावित करना शामिल है.
कोरोना काल में क्यों चर्चा में है व्हाइट फंगसडॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि भले ही व्हाइट फंगस कोई नई बीमारी नहीं हो और पहले भी इसके केस मिलते रहे हों. लेकिन अभी यह अधिक सुर्खियों में इसलिए है कि पहले बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस का केस पोस्ट कोरोना पेशेंट में मिले हैं. क्योंकि गंभीर किस्म के मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे एक ओर जहां मरीजों के शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. वहीं दूसरी तरफ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है और ऐसे वक्त में ही यह खतरनाक हो जाता है.
किन-किन लोगों को ज्यादा खतरावैसे मरीज जो डायबेटिक हों, लंबे दिनों से एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हों, स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हों या फिर गंभीर किस्म की ऐसी बीमारी से जूझ रहे हों. ऐसे लोगों को व्हाइट फंगस का खतरा रहता है. इसके अलावा जो लंबे दिनों तक ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर रहे हों या फिर कोरोना के गंभीर किस्म के मरीजों में भी इसका खतरा बना हुआ रहता है.
फेफड़े या पेट तक पहुंच जाए, तो हो जाता है खतरनाकडॉ. प्रभात कुमार के अनुसार व्हाइट फंगस वैसे तो ब्लैक फंगस जैसा खतनाक नहीं होता. लेकिन यह फेफड़े या पेट तक पहुंच जाए तो खतरनाक हो जाता है.
ब्लैक फंगस से कितना अलगरिम्स कोरोना टास्क फोर्स के संयोजक डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि व्हाइट फंगस, ब्लैक फंगस से बिल्कुल अलग होता है और वह ज्यादा अटैकिंग होता है. ब्लैक फंगस जिस अंग को संक्रमित करता है, उसकी ब्लड सप्लाई रोक देता है. जबकि व्हाइट फंगस सिर्फ किडनी/फेफड़े में ही ऐसा करता है, अन्य अंगों में यह मारक प्रभाव नहीं डालता है.
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किस तरह रहें अलर्ट, क्या करें परहेज?
व्हाइट फंगस ओरल म्यूकोसा या जीभ पर सफेद सफेद कुछ जमा जैसा दिख जाता है. इस पर नजर रखें, बिना डॉक्टरी सलाह के स्टेरॉयड का इस्तेमाल से परहेज करें. मधुमेह को नियंत्रण में रखे और जब भी कोई परेशानी हो तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा खाएं. क्योंकि व्हाइट फंगस जिस-जिस पार्ट को संक्रमित करता है, उसके हिसाब से कई एंटीफंगल दवाएं उपलब्ध है.
क्या करें, किन चीजों से परहेज करें कोरोना के सेकंड वेब में क्यों खतरा ज्यादा?डॉ. प्रभात के अनुसार कोरोना संक्रमण के दूसरे वेब में कई बार ऐसा देखा गया कि कोरोना के किसी भी तरीके से किए जांच में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई. पर HRCT में फेफड़े में संक्रमण मिला, ये फंगस के चलते संक्रमित हो सकता है. ऐसे में बलगम की कल्चर जांच से पता चल सकता है कि क्या यह फंगस संक्रामक है. डॉ. प्रभात ने कहा कि फेफड़े में संक्रमण के चलते उभरने वाली परेशानियों का ही इलाज कोविड में भी होता है.