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आज है महाशिवरात्रि 2022, ऐसे करेंगे भगवान भोलेनाथ की पूजा तो होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है. आज के दिन भोलेनाथ को कैसे प्रसन्न करें जानने के लिए आगे पढ़ें..

HOW TO CELEBRATE MAHASHIVRATRI FESTIVAL
HOW TO CELEBRATE MAHASHIVRATRI FESTIVAL
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Published : Mar 1, 2022, 8:55 AM IST

पटना: आज महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. भोलेनाथ का पूरे विधि विधान के साथ जलाभिषेक किया जाता है. बेल पत्र, दूध, धतुरा ये सारी चीजें भगवान शिव को अति प्रिय हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ये भी पढ़ें- शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि पर बन रहा पंचग्रही योग, जानें पूजा का मुहूर्त

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त : भगवान महाकाल की आराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri Festival) के दिन 4 साल बाद शुभ मुहूर्त और संयोग के साथ ही पंचग्रही योग भी बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलेगा. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 03.16 मिनट से शुरू होकर बुधवार 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी. रात्रि में शिव जी के पूजन का शुभ समय शाम 06.22 मिनट से शुरू होकर रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगा.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिल पाया.

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा: मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है.

''इस दिन लड़कियों को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनको अच्छा वर मिलता है. जो महिलाएं भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगी उनके घरों में सुख, शांति, समृद्धि की प्राप्ति होगी. दूध, दही और पंचामृत भगवान शिव को तो चढ़ावे और जिन लोगों के पास दूध और दही उपलब्ध ना हो ऐसे में भगवान शिव को जल से जलाभिषेक कर फूल अक्षत चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें और हो सके तो महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखें.''- आचार्य रामा शंकर दुबे

पटना: आज महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. भोलेनाथ का पूरे विधि विधान के साथ जलाभिषेक किया जाता है. बेल पत्र, दूध, धतुरा ये सारी चीजें भगवान शिव को अति प्रिय हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ये भी पढ़ें- शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि पर बन रहा पंचग्रही योग, जानें पूजा का मुहूर्त

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त : भगवान महाकाल की आराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri Festival) के दिन 4 साल बाद शुभ मुहूर्त और संयोग के साथ ही पंचग्रही योग भी बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलेगा. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 03.16 मिनट से शुरू होकर बुधवार 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी. रात्रि में शिव जी के पूजन का शुभ समय शाम 06.22 मिनट से शुरू होकर रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगा.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिल पाया.

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा: मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है.

''इस दिन लड़कियों को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनको अच्छा वर मिलता है. जो महिलाएं भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगी उनके घरों में सुख, शांति, समृद्धि की प्राप्ति होगी. दूध, दही और पंचामृत भगवान शिव को तो चढ़ावे और जिन लोगों के पास दूध और दही उपलब्ध ना हो ऐसे में भगवान शिव को जल से जलाभिषेक कर फूल अक्षत चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें और हो सके तो महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखें.''- आचार्य रामा शंकर दुबे

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