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झारखंड के किसान कैसे उठा सकते हैं आर्थिक पैकेज का लाभ, जानिए कृषि वैज्ञानिक की राय

केंद्र सरकार ने आर्थिक पैकेज में कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा ऐलान किया है. झारखंड के किसान इससे कैसे लाभांवित हो सकते हैं, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ आरएस कुरील से बातचीत की है.

How farmers of Jharkhand can avail benefits of the economic package
डॉ आरएस कुरील
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Published : May 16, 2020, 7:05 PM IST

रांचीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त की घोषणा की. इसके तहत सरकार कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये देगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य, क्लस्टर प्रणाली, फसल बीमा और अन्य योजनाओं के जरिए किसान लाभांवित हो सकते हैं. इससे झारखंड के किसानों को कैसे लाभ होगा, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रसार निदेशक डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत की है.

डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत- पार्ट 1

चना की खेती वरदान

डॉ आरएस कुरील ने बताया कि झारखंड में सब्जी का उत्पादन सरप्लस है. यहां के किसान सब्जी को दूसरे राज्यों में भेज सकते हैं. राज्य में शहद का उत्पादन भी हर जिले में होता है. यहां यूकेलिप्टस शहद, नीम शहद, तुलसी शहद और फॉरेस्ट शहद की किस्में मिलती हैं. शहद की मांग देशभर में है. चने की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. जुलाई-अगस्त के बीच परती खेत छोड़ने से बेहतर चने की खेती है.

डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत- पार्ट 2

ये भी पढ़ें-बेतला नेशनल पार्क में छाई है वीरानी, हो रहा है लाखों का नुकसान

पशुपालन से होगा फायदा

झारखंड में लोग बकरी पालन का ज्यादा रुझान रखते हैं. यहां मटन के साथ पोर्क की भी खपत है लिहाजा बकरी और सुअर पालन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही राज्य में रोजाना 60 से 65 हजार अंडे की खपत होती है लेकिन उत्पादन सिर्फ 50 हजार अंडे ही हैं. ऐसे में मुर्गी पालन, बत्तख पालन और मछली पालन पर फोकस करेंगे तो किसानों को बहुत फायदा होगा.

डॉ आरएस कुरील ने हर्बल खेती और लाह उत्पादन पर भी किसानों को ध्यान देने की सलाह दी है. टिंबर प्लांट , नीम के तेल की डिमांड के अनुसार नीम के पेड़ों का क्लस्टर बनाने की जरूरत है.

रांचीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त की घोषणा की. इसके तहत सरकार कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये देगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य, क्लस्टर प्रणाली, फसल बीमा और अन्य योजनाओं के जरिए किसान लाभांवित हो सकते हैं. इससे झारखंड के किसानों को कैसे लाभ होगा, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रसार निदेशक डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत की है.

डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत- पार्ट 1

चना की खेती वरदान

डॉ आरएस कुरील ने बताया कि झारखंड में सब्जी का उत्पादन सरप्लस है. यहां के किसान सब्जी को दूसरे राज्यों में भेज सकते हैं. राज्य में शहद का उत्पादन भी हर जिले में होता है. यहां यूकेलिप्टस शहद, नीम शहद, तुलसी शहद और फॉरेस्ट शहद की किस्में मिलती हैं. शहद की मांग देशभर में है. चने की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. जुलाई-अगस्त के बीच परती खेत छोड़ने से बेहतर चने की खेती है.

डॉ आरएस कुरील से खास बातचीत- पार्ट 2

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पशुपालन से होगा फायदा

झारखंड में लोग बकरी पालन का ज्यादा रुझान रखते हैं. यहां मटन के साथ पोर्क की भी खपत है लिहाजा बकरी और सुअर पालन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही राज्य में रोजाना 60 से 65 हजार अंडे की खपत होती है लेकिन उत्पादन सिर्फ 50 हजार अंडे ही हैं. ऐसे में मुर्गी पालन, बत्तख पालन और मछली पालन पर फोकस करेंगे तो किसानों को बहुत फायदा होगा.

डॉ आरएस कुरील ने हर्बल खेती और लाह उत्पादन पर भी किसानों को ध्यान देने की सलाह दी है. टिंबर प्लांट , नीम के तेल की डिमांड के अनुसार नीम के पेड़ों का क्लस्टर बनाने की जरूरत है.

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