रांची: राज्य के स्कूलों में निशक्त (मूक-बधिर) बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि जब हाई कोर्ट ने पूर्व में जवाब पेश करने को कहा था तो अब तक जवाब क्यों नहीं पेश किया गया. सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं देने पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सरकार को अंतिम मौका दिया है. सरकार को 8 जुलाई से पहले अदालत में जवाब पेश करना है. मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी.
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शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में निशक्त बच्चों के लिए स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और राज्य सरकार के अधिवक्ता भी अपने आवास से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि अब तक मामले में जवाब क्यों नहीं पेश की गई. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि विभाग के कर्मी कोविड-19 से ग्रसित हो जाने के कारण जवाब पेश नहीं किया जा सका. अदालत में अधिवक्ता के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अंतिम मौका देते हुए उन्हें 8 जुलाई से पूर्व जवाब पेश करने को कहा है.
छवि मंडल ने दायर की याचिका
याचिकाकर्ता छवि मंडल ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने अपने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि राज्य में निःशक्तता एक्ट लागू किया गया है. इस एक्ट में सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में विशेष बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करने का प्रावधान है, लेकिन राज्य में अभी तक किसी भी स्कूल में ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है.
राज्य में करीब 3 लाख हैं स्पेशल बच्चे
राज्य निशक्तता आयुक्त की रिपोर्ट और सूचना के अधिकारी के तहत मिली जानकारी के अनुसार राज्य में करीब 3 लाख स्पेशल बच्चे हैं. लेकिन इनके लिए स्कूलों में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए किसी प्रकार की सुविधा भी नहीं है, न तो रैंप बनाया गया है और न ही विशेष कक्षा की व्यवस्था की है. पूर्व में इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. लेकिन सरकार के जवाब दाखिल नहीं करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और सरकार को 8 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया.