रांची: आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैट पर कब्जे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और आवास बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि दोनों को अपनी संपत्ति का चिंता नहीं है. घर कब्जा कर लिया गया है लेकिन दोनों सो रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि साल 2011 में ही आवास बोर्ड को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई है.
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दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश: सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के शपथपत्र को खारिज करते हुए नगर विकास विभाग और आवास बोर्ड से यह बताने को कहा है कि कितनी जमीन अतिक्रमण मुक्त की गयी है. दो सप्ताह में दोनों को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश अदालत के द्वारा दिया गया है.
विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया जारी: बता दें कि इस संबंध में विदेंश्वरी झा और अन्य ने याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया. अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि आवास बोर्ड से जुड़े मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया की जा रही है. दस साल से जमीन पर काबिज व्यक्ति को ही उक्त प्लॉट देने का निर्णय लिया गया है. फिलहाल आवास बोर्ड की वेबसाइट बनाने की प्रक्रिया जारी है. लेकिन नगर विकास की वेबसाइट पर सारी जानकारी अपलोड कर दी गयी है. अदालत को बताया गया कि विजिलेंस कमिश्नर से स्पष्टीकरण मांगने के मामले को खंडपीठ में चुनौती दी गई है. खंडपीठ ने उक्त मामले में स्थगन आदेश पारित किया है. इसके बाद अदालत ने सरकार के शपथ पत्र को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि राज्य में आवास बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण की जानकारी मुख्य सचिव शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में दाखिल करें.