रांची: सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (Office Of Profit Case) मामले में भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री की ओर से वरीय अधिवक्ता मेद्रीदत्ता ने चुनाव आयोग के समक्ष पक्ष रखा. मुख्यमंत्री की ओर से 12 अगस्त को फिर पक्ष रखा जायेगा.
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12 अगस्त को अगली सुनवाईः सीएम हेमंत सोरेन(cm hemant soren) से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में नई दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग में सोमवार को एक बार फिर सुनवाई हुई. इस दौरान चुनाव आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मेद्रीदत्ता ने चुनाव आयोग के समक्ष पक्ष रखा. करीब दो घंटे तक भारत निर्वाचन आयोग में चली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोप को निराधार बताया गया. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मेद्रीदत्ता ने आयोग को कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे पीपुल्स रिप्रेजेटेशन एक्ट 1951 की धारा 9A का आरोप निराधार है. मुख्यमंत्री की ओर से जवाब आज पूरा नहीं हो सका. उन्होंने सुनवाई की तारीख अगस्त के अंतिम सप्ताह में रखने का आग्रह किया. जिसे ठुकराते हुए चुनाव आयोग ने 12 अगस्त को अगली तारीख निर्धारित की. 12 अगस्त को मुख्यमंत्री की ओर से जवाब पूरा किया जायेगा.
लगातार चल रही है चुनाव आयोग में सुनवाईः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े इस मामले में चुनाव आयोग में लगातार सुनवाई चल रही है. इससे पहले आयोग में 14 जुलाई को सुनवाई हुई थी. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान लीज अपने नाम पर लेने का आरोप लगाते हुए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से लिखित शिकायत की थी. जिसके बाद राज्यपाल ने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत पत्र को भेजा था. निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब करने के बाद इसकी सुनवाई शुरू की है.
पूर्व सीएम रघुवर दास ने लगाया था आरोपः पूर्व सीएम रघुवर दास के नेतृत्व में 12 फरवरी को राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर भाजपा नेताओं का एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन पर पत्थर के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त कर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी. राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपते हुए भाजपा शिष्टमंडल ने हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने नाम से रांची के अनगड़ा मौजा थाना नंबर 26, खाता नंबर 187 प्लॉट नंबर 482 में पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति लेने का आरोप लगाया था.