रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मानिर्भर भारत के विजन पर आधारित ग्रामीण उद्यमी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम (Rural Entrepreneurial Skill Training Program) के तहत प्रशिक्षित जनजातीय युवा ग्रामीण उद्यमियों को राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया. गुरुवार को आर्यभट्ट सभागार में संसदीय संस्कृत विकास परियोजना के तहत आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर सहित बड़ी संख्या में बीजेपी नेता उपस्थित थे.
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दीक्षांत समारोह में 165 प्रशिक्षुओं को राज्यपाल रमेश बैस ने प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस मौके पर राज्यपाल ने केंद्र सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम की सराहना की. उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य ग्रामीण युवाओं को विशिष्ट कौशल का अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है. हुनरमंद युवाओं के जरिये गांव और देश का विकास संभव है.
पायलट प्रोजेक्ट इस साल मई में मध्य प्रदेश के भोपाल में शुरू किया गया था. मध्य प्रदेश के अलावा पायलट प्रोजेक्ट के तहत छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट को इसमें शामिल किया गया. पहले चरण में 152 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था, जिनमें 132 ने सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूरा किया और उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किए गये थे. इसके बाद दूसरे चरण में चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा में पायलट प्रोजेक्ट कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसके तहत पांच विषयों बिजली और सौर ऊर्जा, कृषि मशीनीकरण, ई-गवर्नेंस, प्लंबिंग और चिनाई, दोपहिया वाहनों की मरम्मत और रखरखाव में प्रशिक्षण प्रदान किया गया. दूसरे चरण की शुरुआत 20 अगस्त को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने की थी.
अनगड़ा के जोन्हा गुडीडीह सेवा भारती सेवा धाम परिसर में इन युवाओं को 60 दिनों की ट्रेनिंग दी गई. यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय कौशल विकास निगम यानी NSDC द्वारा दिया गया. इसके अगले चरण में सिर्फ महिला समूहों के लिए अक्टूबर-नवंबर तक गुमला में कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा. इसको लेकर 153 महिलाओं का नामांकन किया गया है.
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड के जनजातीय क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव है. इन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है. शिक्षा से इन क्षेत्रों को विकसित किया जा सकता है. राज्यपाल ने गांव की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि शहर की ओर लोग भाग रहे हैं. हालत यह है कि गांव में एक छोटे काम के लिए शहर जाना पड़ता है. इस स्थिति में कौशल विकास के जरिए युवा प्रशिक्षित होकर अपने परिवार और समाज के बीच नौकरी पा सकेंगे. जिससे गांव के विकास के साथ साथ देश का विकास होगा.
केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और गांवों से पलायन के साथ साथ आजीविका के अवसरों के लिए शहरों पर निर्भरता कम करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर रोजगार/स्वरोजगार और उद्यमशीलता के नए अवसर पैदा करना है, ताकि आदिवासी युवा अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें. इस मौके पर पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, सांसद संजय सेठ, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र जी, भाजपा एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा उपस्थित थे.