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संविदा पर चल रहा झारखंड का सिस्टम! सचिवालय से लेकर प्रखंडों तक लाखों संविदाकर्मी चला रहे कामकाज - recruitment process

झारखंड में संविदाकर्मियों (Contract Workers) के भरोसे सरकारी कामकाज चल रहा है. सचिवालय (Secretariat) से लेकर सरकार के प्रखंड कार्यालयों (Block Offices) तक में बड़ी संख्या में संविदाकर्मी कार्यरत हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 4:02 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 8:28 PM IST

रांचीः झारखंड का सरकारी सिस्टम संविदाकर्मियों के हवाले है. राज्य गठन के बाद से जब जिसकी सरकारें रही उस दौरान जमकर संविदा पर चेहते लोगों को रखा गया. हालत यह है कि झारखंड सचिवालय (Jharkhand Secretariat) से लेकर सरकार के प्रखंड कार्यालयों तक में बड़ी संख्या में संविदाकर्मी कार्यरत है. आंकड़ों के अनुसार राज्य में ऐसे कर्मियों की संख्या लाखों में है.

इसे भी पढ़ें- संविदा पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों ने झारखंड हाई कोर्ट में दायर की याचिका, सेवा नियमित करने की मांग

इन संविदाकर्मियों की ओर से आए दिन सेवा स्थायी करने की मांग सड़क से लेकर न्यायालयों में होता रहता है. झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ (Jharkhand State Contract Employees Federation) के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मी इस तरह से हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
वर्षों से कार्यरत हैं संविदाकर्मी
सरकार के लिए गले की फांस बन चुके ये संविदाकर्मी कई वर्षों से सरकारी सिस्टम के तहत कार्यरत हैं. समय-समय पर मानदेय वृद्धि बढ़ाकर सरकार इनकी सेवा स्थायी की मांग को दबाने में सफल होती रही है. करीब 12 वर्षों से संविदा पर राज्य विधि आयोग (State Law Commission) में काम कर रहे मुन्ना कुमार आज भी आस लगाये हुए हैं कि उनकी सेवा जरूर स्थायी हो जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की ओर से साल 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किए जाने से आशान्वित मुन्ना कुमार का मानना है कि सरकार जरूर उनकी फरियाद सुनेगी.
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नाम और संविदाकर्मियों की लिस्ट


सुप्रीम कोर्ट का भी आ चुका है आदेश
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने दस वर्ष से अधिक समय से कार्यरत अस्थायी कर्मियों की सेवा स्थायी करने का आदेश दे चूका है.समय समय पर इस संबंध में अलग अलग फैसला भी आ चूका है जिसका लाभ संविदाकर्मियों को मिला है.कानूनविद अविनाश कुमार पांडे (Lawyer Avinash Kumar Pandey) की मानें तो ऐसे संविदाकर्मियों को स्थायी करने में बिहार और झारखंड सरकार (Government of Bihar and Jharkhand) ने ईमानदारी अब तक नहीं बरती है, जिसके कारण ये संविदाकर्मी आज भी वैसे के वैसे हैं.

इसे भी पढ़ें- रांचीः संविदाकर्मियों ने मंत्री आलमगीर आलम के आवास का किया घेराव


संविदाकर्मियों की नियुक्ति विवादों में

राज्य के सरकारी कार्यालय में इतनी बड़ी संख्या में कार्यरत संविदाकर्मियों की नियुक्ति (Recruitment of Contract Workers) पर सवाल उठते रहे हैं. मनमाने ढंग से नियुक्त इन संविदाकर्मियों की नियुक्ति के समय आरक्षण प्रावधानों का उल्लंघन (Violation of Reservation Provisions) का आरोप लगते रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता एस अली (Social Activist S. Ali) के अनुसार सरकार को अवैध रुप से कार्यरत संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया (Recruitment Process) शुरू करने की मांग की है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13668673_system-infogfx-2.jpg
नाम और संविदाकर्मियों की लिस्ट

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) संविदाकर्मियों को लेकर पशोपेश में है. विभागों से संविदा पर कार्यरत कर्मियों की सूची मंगाई जा रही है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम (Rural Development and Panchayati Raj Minister Alamgir Alam) की मानें तो सरकार संविदाकर्मियों को लेकर भी विचार कर रही है. सेवा स्थायी को लेकर न्यायालय का आदेश और उनकी मांगों की समीक्षोपरांत सरकार निर्णय लेगी.


एक तरफ स्थायी कर्मचारी सेवानिवृत्त होते चले गए, दूसरी तरफ सरकार नियुक्ति करने के बजाए संविदाकर्मियों की नियुक्ति धड़ल्ले से करती चली गयी. ऐसे में संविदाकर्मियों की संख्या को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार का सिस्टम किस तरह संविदाकर्मियों के भरोसे चल रहा है.

रांचीः झारखंड का सरकारी सिस्टम संविदाकर्मियों के हवाले है. राज्य गठन के बाद से जब जिसकी सरकारें रही उस दौरान जमकर संविदा पर चेहते लोगों को रखा गया. हालत यह है कि झारखंड सचिवालय (Jharkhand Secretariat) से लेकर सरकार के प्रखंड कार्यालयों तक में बड़ी संख्या में संविदाकर्मी कार्यरत है. आंकड़ों के अनुसार राज्य में ऐसे कर्मियों की संख्या लाखों में है.

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इन संविदाकर्मियों की ओर से आए दिन सेवा स्थायी करने की मांग सड़क से लेकर न्यायालयों में होता रहता है. झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ (Jharkhand State Contract Employees Federation) के आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मी इस तरह से हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
वर्षों से कार्यरत हैं संविदाकर्मी
सरकार के लिए गले की फांस बन चुके ये संविदाकर्मी कई वर्षों से सरकारी सिस्टम के तहत कार्यरत हैं. समय-समय पर मानदेय वृद्धि बढ़ाकर सरकार इनकी सेवा स्थायी की मांग को दबाने में सफल होती रही है. करीब 12 वर्षों से संविदा पर राज्य विधि आयोग (State Law Commission) में काम कर रहे मुन्ना कुमार आज भी आस लगाये हुए हैं कि उनकी सेवा जरूर स्थायी हो जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की ओर से साल 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किए जाने से आशान्वित मुन्ना कुमार का मानना है कि सरकार जरूर उनकी फरियाद सुनेगी.
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नाम और संविदाकर्मियों की लिस्ट


सुप्रीम कोर्ट का भी आ चुका है आदेश
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने दस वर्ष से अधिक समय से कार्यरत अस्थायी कर्मियों की सेवा स्थायी करने का आदेश दे चूका है.समय समय पर इस संबंध में अलग अलग फैसला भी आ चूका है जिसका लाभ संविदाकर्मियों को मिला है.कानूनविद अविनाश कुमार पांडे (Lawyer Avinash Kumar Pandey) की मानें तो ऐसे संविदाकर्मियों को स्थायी करने में बिहार और झारखंड सरकार (Government of Bihar and Jharkhand) ने ईमानदारी अब तक नहीं बरती है, जिसके कारण ये संविदाकर्मी आज भी वैसे के वैसे हैं.

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संविदाकर्मियों की नियुक्ति विवादों में

राज्य के सरकारी कार्यालय में इतनी बड़ी संख्या में कार्यरत संविदाकर्मियों की नियुक्ति (Recruitment of Contract Workers) पर सवाल उठते रहे हैं. मनमाने ढंग से नियुक्त इन संविदाकर्मियों की नियुक्ति के समय आरक्षण प्रावधानों का उल्लंघन (Violation of Reservation Provisions) का आरोप लगते रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता एस अली (Social Activist S. Ali) के अनुसार सरकार को अवैध रुप से कार्यरत संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया (Recruitment Process) शुरू करने की मांग की है.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13668673_system-infogfx-2.jpg
नाम और संविदाकर्मियों की लिस्ट

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) संविदाकर्मियों को लेकर पशोपेश में है. विभागों से संविदा पर कार्यरत कर्मियों की सूची मंगाई जा रही है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम (Rural Development and Panchayati Raj Minister Alamgir Alam) की मानें तो सरकार संविदाकर्मियों को लेकर भी विचार कर रही है. सेवा स्थायी को लेकर न्यायालय का आदेश और उनकी मांगों की समीक्षोपरांत सरकार निर्णय लेगी.


एक तरफ स्थायी कर्मचारी सेवानिवृत्त होते चले गए, दूसरी तरफ सरकार नियुक्ति करने के बजाए संविदाकर्मियों की नियुक्ति धड़ल्ले से करती चली गयी. ऐसे में संविदाकर्मियों की संख्या को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार का सिस्टम किस तरह संविदाकर्मियों के भरोसे चल रहा है.

Last Updated : Nov 18, 2021, 8:28 PM IST
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