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राजधानी की फिजाओं में घुलता 'जहर', नशे की लत से जुर्म की दलदल में धंस रहे युवा

नशा कारोबारियों के निशाने पर राजधानी के युवा आ रहे हैं. इसकी जद में आकर युवा नशे के साथ-साथ अपराध की दलदल में भी धंसते जा रहे हैं. जिसकी वजह से ना सिर्फ उनका भविष्य खराब हो रहा बल्कि अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है.

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Published : Sep 24, 2021, 5:56 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 11:01 PM IST

रांचीः राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. समाज में फैली नशे की बुराई ना केवल युवाओं के शरीर को खोखला कर उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है, बल्कि अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रही है.

इसे भी पढ़ें- डंप अफीम को निकालने में लगे तस्कर, पुलिस भी नकेल कसने की तैयारी में जुटी

नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को अपना टारगेट बनाया है. ज्यादातर नशा का सामान स्कूल और कॉलेज गोइंग छात्रों और युवाओं को बेचा जाता हैं. साफ है कि नशे के धंधेबाज छात्रों और युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं. तस्कर नशीली दवाइयों के साथ चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसी हाई प्रोफाइल नशा तक मुहैया करवा रहे हैं. कुछ छात्रों को नशे के एवज में धंधा बढ़ाने की जिम्मेदारी तक दी जाती है. यही छात्र नशे के कारोबार को स्कूल और कॉलेज के अंदर फैलाते हैं. इन्हीं के माध्यम से अन्य छात्र नशे की गिरफ्त में आने लगते हैं. प्लांड तरीके से नशे का एक पूरा नेक्सेस काम करने लगता है.

देखें पूरी खबर

नशीली दवाइयों का कारोबार बढ़ रहा
झारखंड के जमशेदपुर, धनबाद, गुमला, रांची और हजारीबाग जैसे शहरों में ड्रग्स का कारोबार बहुत तेजी से पांव पसार रहा है. खासकर नशीली दवाओं का कारोबार बहुत ज्यादा बढ़ा है. पिछले साल ड्रग्स कंट्रोल ब्यूरो ने गुमला से ड्रग्स के साथ गिरफ्तार तीन लोगों की निशानदेही पर राजधानी रांची के रातू स्थित एक घर से दवाओं का जखीरा पकड़ा था.

इतनी बड़ी मात्रा में दवाइयों के मिलने से छापामारी करने वाले अधिकारी भी सन्न रह गए. उनके होश तब उड़ गए, जब पता चला कि इन दवाओं का इस्तेमाल ड्रग्स के रूप में करना था. 25 हजार लोगों को नशे का गुलाम बनाने के लिए ये दवाइयां मंगवायी गयी थी. जब्त दवाइयों में मादक पदार्थ अफीम का मिश्रण है, इसे गंभीर बीमारी होने पर ही डॉक्टर की सलाह के बाद मरीजों को दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- नशे के सौदागरों के चंगुल में रांची के युवा, नशाखोरी से बढ़ा अपराध

ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय के निर्देशन में हुई रेड के बाद पता चला है कि झारखंड की राजधानी रांची में भी ड्रग्स लेने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. पकड़ी गयी दवाइयों में टैबलेट, कफ सिरप और सीरिंज के रूप में थी. इसका सेवन करने के बाद कोई भी व्यक्ति सकारात्मक नहीं सोचता, उसका स्वभाव उग्र हो जाता है और वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है, सही और गलत का उसे कुछ भी पता नहीं रहता है.

हिमाचल प्रदेश के सोलन से मंगायी गयी इन दवाइयों (कोडीन फास्फेट, ऐन्टेन, ट्रामाडोल पेंटाजोसिन) का झारखंड में कोई सप्लायर नहीं है, यहां तक कि कोई स्टॉकिस्ट भी झारखंड में नहीं है. यह भी पता चला है कि इन ड्रग्स का अगर कोई लगातार 10 दिन तक सेवन कर ले तो इसका एडिक्ट यानी आदी हो जाता है. इस ड्रग्स को लेने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. पिछले 6 महीने के भीतर रांची के सुखदेव नगर, पंडरा और रातू इलाके से ऐसी दवाइयां की बड़ी खेप पकड़ी गई है.


रांची में कई जगहों पर सजती है महफिल
केवल राजधानी रांची में ही 1 दर्जन से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां हर शाम जमकर नशे का कारोबार होता है और वहां पर युवा पीढ़ी का जमघट लगा रहता है. पुलिस अक्सर इन इलाकों में कार्रवाई करती है, पर नतीजा कुछ खास नही निकलता, नशे की हालत में कई बार लोग पुलिस को ही टारगेट कर देते हैं.

इसे भी पढ़ें- नशे के सौदागरों के निशाने पर राजधानी, ऑनलाइन और महिलाओं के जरिए ड्रग्स की सप्लाई

मोरहाबादी सबसे ज्यादा बदनाम
राजधानी में नशे के कारोबार के लिए सबसे ज्यादा बदनाम रांची का मोराबादी मैदान है, दिन का समय हो या रात यहां पर जमावड़ा लगा रहता है. शाम ढलते ही मोरहाबादी मैदान में महंगी गाड़ियों से लेकर बाइक, स्कूटी में सवार लोगो का आना जाना शुरू हो जाता है. मैदान के किनारे वाहन लगाकर हर तरह के नशे का सेवन होता है. पुलिस जब पहुंचती है तब अचानक भगदड़ मच जाती है.

तकरीबन हर दिन का यही हाल है, पुलिस की लाख कोशिश के बावजूद मोरहाबादी मैदान नशे के कारोबारियों और नशा करने वाले दोनों के लिए सबसे मुफीद जगह है. मोरहाबादी के अलावा सदर थाना क्षेत्र का तिरिल तालाब, साधु मैदान के आसपास का इलाका, रिम्स के पीछे वाला मैदान, बरियातू में डीआईजी ग्राउंड, सुखदेव नगर में बिरला मैदान, मधुकम बस्ती, रातू और कांके स्थित रिंग रोड नशे के बड़े अड्डों के रूप में तब्दील हो चुका है.

तस्करी में महिलाएं भी शामिल
पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाएं अपने कपड़ों में छुपा कर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. खरीदार ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है, जहां वो पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंचकर आसानी से ड्रग्स खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है, यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं.

इसे भी पढ़ें- रांचीः वाहन चेकिंग के दौरान 31 किलो गांजा बरामद, सभी युवक फरार

100, 200 और 500 की करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं बल्कि नोटों में मोड़कर बेच रहे हैं. मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा कर रहे हैं. इससे ना तो इसकी तस्करी पुलिस की पकड़ में आ पा रही और ना ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो, पांच और दस के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं.

ऐसे नोटों में भी मोटी कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपये के नोट के लिए 120 से 150 रुपये तक की वसूली की जा रही है. ब्राइन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.


कार्रवाई के बाद भी नहीं थम नशा का कारोबार
ऐसा नहीं है कि नशे के इस कारोबार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही हो. विगत छह माह में एनडीपीएस एक्ट के तहत विभिन्न थानों में 300 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थानों में 250 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. वहीं नकली शराब, शराब बनाने की फैक्ट्री, नशीली गोलियां, इंजेक्शन, ब्राउन शूगर, अफीम, डोडा सहित कई अन्य नशीली पदार्थों के साथ 440 से ज्यादा आरोपी को भी पकड़ा गया है, इसके बावजूद नशे का कारोबार थम नहीं रहा है.

इसे भी पढ़ें- Drugs: 'नशा'- ना आदत छूटी और ना कारोबार! जेल से निकलने के बाद ड्रग्स के साथ फिर पकड़ी गई महिला

सप्लायर अपने एजेंट को बनाते हैं एडिक्टेड, फिर कराते हैं तस्करी
रांची में ड्रग्स तस्करों ने तेजी से अपना पांव पसारा है, हर कोने में नशीली पाउडर के एजेंट हैं. जिन्हें तस्करों ने पहले ब्राउन शुगर का आदी बनाया इसके बाद उनसे तस्करी कराई जा रही है. हाल में ही बरियातू, अरगोड़ा और चुटिया इलाके से हुई गिरफ्तारी से इसका खुलासा हुआ है. पकड़े गए छह अपराधियों में एक ऐसा अपराधी था जो थाना के पुलिसकर्मियों को बार-बार हाथ जोड़कर आग्रह करते हुए ब्राउन शुगर मांग रहा था. इसके लिए वह काफी परेशान था, पागलों जैसी हरकत कर रहा था, इससे थाना के पुलिसकर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

ऐसा देखा जा रहा है कि तस्कर अपने एजेंट को इस कारोबार में जोड़ने से पहले उसे ड्रग्स की लत लगवा देते हैं, जिससे वो इससे बाहर नहीं आ पाते. एजेंट ग्राहक की तलाश में स्कूलों और कॉलेजों के बाहर मंडराते रहते हैं. उनके निशाने पर कम उम्र के युवा होते हैं, जो सिगरेट के लिए दुकान में जाते हैं. राजधानी रांची में युवा तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं.

अपराध की मुख्य वजह है नशा
वहीं हाल के दिनों में राजधानी रांची में चोरी, छिनतई और छोटी-मोटी लूट के लिए भी फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. पत्रकार बैजनाथ पर जानलेवा हमला, कोतवाली इलाके में दवा दुकान में लूट के दौरान फायरिंग, बरियातू में हथियार के बल पर छिनतई, कोतवाली में ही मात्र 10 हजार रुपये की रंगदारी के लिए होटल कारोबारी पर फायरिंग, हिंदपीढ़ी में नशे की शिकायत पर हत्या जैसी घटनाएं नशे के दौरान ही अंजाम दिया गया.

इसे भी पढ़ें- बाप-बेटा कर रहा था नशे का कारोबार, पुलिस ने छापेमारी कर बरामद किया 15 पेटी नशीली दवा

पुलिस भी मानती है बड़ा खतरा
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल होमकर भी यह मानते है कि राज्य में आपराधिक वारदातों के पीछे नशा प्रमुख वजह है. आईजी होमकर के अनुसार आपराधिक वारदातों के बाद जब जांच होती है तो अक्सर उसकी वजह नशा आता है. आईजी होमकर के अनुसार पुलिस इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है, राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को कोई ऐसा आदेश जारी किया गया है कि वह हर हाल में नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करें. नशे के तस्करों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करें साथ ही वैसे नशे के सौदागर जो लगातार इन मामलों में पकड़े जा रहे हैं उन्हें स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलवाई जाए.


मुख्यालय स्तर से भेजी जाती है रिपोर्ट
आईजी के अनुसार पुलिस मुख्यालय में स्थित विशेष सेल और स्पेशल ब्रांच के द्वारा भी नशे के कारोबारियों पर नजर रखी जा रही है. मिलने वाली सूचनाओं को सभी जिलों के पुलिस पदाधिकारियों के बीच भेजा जाता है, इसमें सबसे प्रमुख काम नशे के सौदागरों, नशे का सामान बिकने वाले स्थान और उनके आवाजाही के रास्तों की जानकारी होती है.


राजधानी में लगातार कार्रवाई जारी
राजधानी रांची में नशे के सौदागरों के खिलाफ हर दिन कार्रवाई की जा रही है. रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा के अनुसार लगभग हर रोज नशे के कारोबारियों के ठिकानों पर रेड की जा रही है. हाल के दिनों में बड़ी मात्रा में नशे की खेप भी बरामद की गई . एसएसपी के अनुसार हाल के दिनों में सबसे अहम बात यह है कि अब आम लोगों के जरिए भी नशे के सौदागरों के खिलाफ जानकारी पुलिस को मिल रही है, जिसके आधार पर कार्रवाई लगातार जारी है. सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक अपने-अपने इलाकों के हॉटस्पॉट को भी चिन्हित कर रहे हैं ताकि वहां पर नशे के कारोबार को रोका जा सके.

रांचीः राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. समाज में फैली नशे की बुराई ना केवल युवाओं के शरीर को खोखला कर उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है, बल्कि अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रही है.

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नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को अपना टारगेट बनाया है. ज्यादातर नशा का सामान स्कूल और कॉलेज गोइंग छात्रों और युवाओं को बेचा जाता हैं. साफ है कि नशे के धंधेबाज छात्रों और युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं. तस्कर नशीली दवाइयों के साथ चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसी हाई प्रोफाइल नशा तक मुहैया करवा रहे हैं. कुछ छात्रों को नशे के एवज में धंधा बढ़ाने की जिम्मेदारी तक दी जाती है. यही छात्र नशे के कारोबार को स्कूल और कॉलेज के अंदर फैलाते हैं. इन्हीं के माध्यम से अन्य छात्र नशे की गिरफ्त में आने लगते हैं. प्लांड तरीके से नशे का एक पूरा नेक्सेस काम करने लगता है.

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नशीली दवाइयों का कारोबार बढ़ रहा
झारखंड के जमशेदपुर, धनबाद, गुमला, रांची और हजारीबाग जैसे शहरों में ड्रग्स का कारोबार बहुत तेजी से पांव पसार रहा है. खासकर नशीली दवाओं का कारोबार बहुत ज्यादा बढ़ा है. पिछले साल ड्रग्स कंट्रोल ब्यूरो ने गुमला से ड्रग्स के साथ गिरफ्तार तीन लोगों की निशानदेही पर राजधानी रांची के रातू स्थित एक घर से दवाओं का जखीरा पकड़ा था.

इतनी बड़ी मात्रा में दवाइयों के मिलने से छापामारी करने वाले अधिकारी भी सन्न रह गए. उनके होश तब उड़ गए, जब पता चला कि इन दवाओं का इस्तेमाल ड्रग्स के रूप में करना था. 25 हजार लोगों को नशे का गुलाम बनाने के लिए ये दवाइयां मंगवायी गयी थी. जब्त दवाइयों में मादक पदार्थ अफीम का मिश्रण है, इसे गंभीर बीमारी होने पर ही डॉक्टर की सलाह के बाद मरीजों को दिया जाता है.

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ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय के निर्देशन में हुई रेड के बाद पता चला है कि झारखंड की राजधानी रांची में भी ड्रग्स लेने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. पकड़ी गयी दवाइयों में टैबलेट, कफ सिरप और सीरिंज के रूप में थी. इसका सेवन करने के बाद कोई भी व्यक्ति सकारात्मक नहीं सोचता, उसका स्वभाव उग्र हो जाता है और वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है, सही और गलत का उसे कुछ भी पता नहीं रहता है.

हिमाचल प्रदेश के सोलन से मंगायी गयी इन दवाइयों (कोडीन फास्फेट, ऐन्टेन, ट्रामाडोल पेंटाजोसिन) का झारखंड में कोई सप्लायर नहीं है, यहां तक कि कोई स्टॉकिस्ट भी झारखंड में नहीं है. यह भी पता चला है कि इन ड्रग्स का अगर कोई लगातार 10 दिन तक सेवन कर ले तो इसका एडिक्ट यानी आदी हो जाता है. इस ड्रग्स को लेने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. पिछले 6 महीने के भीतर रांची के सुखदेव नगर, पंडरा और रातू इलाके से ऐसी दवाइयां की बड़ी खेप पकड़ी गई है.


रांची में कई जगहों पर सजती है महफिल
केवल राजधानी रांची में ही 1 दर्जन से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां हर शाम जमकर नशे का कारोबार होता है और वहां पर युवा पीढ़ी का जमघट लगा रहता है. पुलिस अक्सर इन इलाकों में कार्रवाई करती है, पर नतीजा कुछ खास नही निकलता, नशे की हालत में कई बार लोग पुलिस को ही टारगेट कर देते हैं.

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मोरहाबादी सबसे ज्यादा बदनाम
राजधानी में नशे के कारोबार के लिए सबसे ज्यादा बदनाम रांची का मोराबादी मैदान है, दिन का समय हो या रात यहां पर जमावड़ा लगा रहता है. शाम ढलते ही मोरहाबादी मैदान में महंगी गाड़ियों से लेकर बाइक, स्कूटी में सवार लोगो का आना जाना शुरू हो जाता है. मैदान के किनारे वाहन लगाकर हर तरह के नशे का सेवन होता है. पुलिस जब पहुंचती है तब अचानक भगदड़ मच जाती है.

तकरीबन हर दिन का यही हाल है, पुलिस की लाख कोशिश के बावजूद मोरहाबादी मैदान नशे के कारोबारियों और नशा करने वाले दोनों के लिए सबसे मुफीद जगह है. मोरहाबादी के अलावा सदर थाना क्षेत्र का तिरिल तालाब, साधु मैदान के आसपास का इलाका, रिम्स के पीछे वाला मैदान, बरियातू में डीआईजी ग्राउंड, सुखदेव नगर में बिरला मैदान, मधुकम बस्ती, रातू और कांके स्थित रिंग रोड नशे के बड़े अड्डों के रूप में तब्दील हो चुका है.

तस्करी में महिलाएं भी शामिल
पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाएं अपने कपड़ों में छुपा कर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. खरीदार ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है, जहां वो पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंचकर आसानी से ड्रग्स खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है, यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं.

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100, 200 और 500 की करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं बल्कि नोटों में मोड़कर बेच रहे हैं. मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा कर रहे हैं. इससे ना तो इसकी तस्करी पुलिस की पकड़ में आ पा रही और ना ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो, पांच और दस के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं.

ऐसे नोटों में भी मोटी कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपये के नोट के लिए 120 से 150 रुपये तक की वसूली की जा रही है. ब्राइन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.


कार्रवाई के बाद भी नहीं थम नशा का कारोबार
ऐसा नहीं है कि नशे के इस कारोबार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही हो. विगत छह माह में एनडीपीएस एक्ट के तहत विभिन्न थानों में 300 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थानों में 250 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. वहीं नकली शराब, शराब बनाने की फैक्ट्री, नशीली गोलियां, इंजेक्शन, ब्राउन शूगर, अफीम, डोडा सहित कई अन्य नशीली पदार्थों के साथ 440 से ज्यादा आरोपी को भी पकड़ा गया है, इसके बावजूद नशे का कारोबार थम नहीं रहा है.

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सप्लायर अपने एजेंट को बनाते हैं एडिक्टेड, फिर कराते हैं तस्करी
रांची में ड्रग्स तस्करों ने तेजी से अपना पांव पसारा है, हर कोने में नशीली पाउडर के एजेंट हैं. जिन्हें तस्करों ने पहले ब्राउन शुगर का आदी बनाया इसके बाद उनसे तस्करी कराई जा रही है. हाल में ही बरियातू, अरगोड़ा और चुटिया इलाके से हुई गिरफ्तारी से इसका खुलासा हुआ है. पकड़े गए छह अपराधियों में एक ऐसा अपराधी था जो थाना के पुलिसकर्मियों को बार-बार हाथ जोड़कर आग्रह करते हुए ब्राउन शुगर मांग रहा था. इसके लिए वह काफी परेशान था, पागलों जैसी हरकत कर रहा था, इससे थाना के पुलिसकर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

ऐसा देखा जा रहा है कि तस्कर अपने एजेंट को इस कारोबार में जोड़ने से पहले उसे ड्रग्स की लत लगवा देते हैं, जिससे वो इससे बाहर नहीं आ पाते. एजेंट ग्राहक की तलाश में स्कूलों और कॉलेजों के बाहर मंडराते रहते हैं. उनके निशाने पर कम उम्र के युवा होते हैं, जो सिगरेट के लिए दुकान में जाते हैं. राजधानी रांची में युवा तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं.

अपराध की मुख्य वजह है नशा
वहीं हाल के दिनों में राजधानी रांची में चोरी, छिनतई और छोटी-मोटी लूट के लिए भी फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. पत्रकार बैजनाथ पर जानलेवा हमला, कोतवाली इलाके में दवा दुकान में लूट के दौरान फायरिंग, बरियातू में हथियार के बल पर छिनतई, कोतवाली में ही मात्र 10 हजार रुपये की रंगदारी के लिए होटल कारोबारी पर फायरिंग, हिंदपीढ़ी में नशे की शिकायत पर हत्या जैसी घटनाएं नशे के दौरान ही अंजाम दिया गया.

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पुलिस भी मानती है बड़ा खतरा
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल होमकर भी यह मानते है कि राज्य में आपराधिक वारदातों के पीछे नशा प्रमुख वजह है. आईजी होमकर के अनुसार आपराधिक वारदातों के बाद जब जांच होती है तो अक्सर उसकी वजह नशा आता है. आईजी होमकर के अनुसार पुलिस इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है, राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को कोई ऐसा आदेश जारी किया गया है कि वह हर हाल में नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करें. नशे के तस्करों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करें साथ ही वैसे नशे के सौदागर जो लगातार इन मामलों में पकड़े जा रहे हैं उन्हें स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलवाई जाए.


मुख्यालय स्तर से भेजी जाती है रिपोर्ट
आईजी के अनुसार पुलिस मुख्यालय में स्थित विशेष सेल और स्पेशल ब्रांच के द्वारा भी नशे के कारोबारियों पर नजर रखी जा रही है. मिलने वाली सूचनाओं को सभी जिलों के पुलिस पदाधिकारियों के बीच भेजा जाता है, इसमें सबसे प्रमुख काम नशे के सौदागरों, नशे का सामान बिकने वाले स्थान और उनके आवाजाही के रास्तों की जानकारी होती है.


राजधानी में लगातार कार्रवाई जारी
राजधानी रांची में नशे के सौदागरों के खिलाफ हर दिन कार्रवाई की जा रही है. रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा के अनुसार लगभग हर रोज नशे के कारोबारियों के ठिकानों पर रेड की जा रही है. हाल के दिनों में बड़ी मात्रा में नशे की खेप भी बरामद की गई . एसएसपी के अनुसार हाल के दिनों में सबसे अहम बात यह है कि अब आम लोगों के जरिए भी नशे के सौदागरों के खिलाफ जानकारी पुलिस को मिल रही है, जिसके आधार पर कार्रवाई लगातार जारी है. सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक अपने-अपने इलाकों के हॉटस्पॉट को भी चिन्हित कर रहे हैं ताकि वहां पर नशे के कारोबार को रोका जा सके.

Last Updated : Sep 24, 2021, 11:01 PM IST
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