रांची: झारखंड में खेल विश्वविद्यालय का गठन अधर में है. हेमंत सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर फिलहाल कोई पहल नहीं कर रही है. हालांकि पिछली सरकार में इस योजना को दो कदम जरूर आगे बढ़ाया गया था.
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खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए झारखंड में कई पहल किए जा रहे हैं. लेकिन इस राज्य में खेल विश्वविद्यालय नहीं होने से खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. खेल से संबंधित विभिन्न कोर्स करने के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी ऐसे कई खेल संबंधित कोर्स हैं, जो नहीं करवाए जाते हैं और ना ही खिलाड़ियों को इन विश्वविद्यालय से कोई फायदा मिल रहा है. खिलाड़ियों और खेल जगत से जुड़े लोगों ने खेल विश्वविद्यालय के गठन को लेकर राज्य सरकार से कई बार मांग की है. लेकिन वर्तमान सरकार की ओर से इस और फिलहाल कोई ध्यान नहीं दिया गया है.
पूर्व की सरकार में विश्वविद्यालय के गठन को लेकर हुआ था एमओयू
पूर्व की रघुवर सरकार ने सीसीएल के बीच वर्ष 2018 -19 में खेल विश्वविद्यालय की गठन को लेकर एक एमओयू किया था. राज्यपाल के पास इसे लेकर एक बजट भी भेजा गया था. राज्यपाल ने मंजूरी भी दे दी थी. ऐसा कयास लगाए जा रहे थे कि बजट को मंजूरी मिलने के बाद खेल विश्वविद्यालय को जल्द ही मूर्त रूप दिया जाएगा. उम्मीद ये भी जताई गई थी कि सत्र 2018-19 से ही खेल विश्वविद्यालय धरातल पर उतर जाएगा. लेकिन वर्तमान सरकार में ऐसा नहीं हो पाया.
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वर्तमान सरकार से अपील
साल 2011 से ही खेल विश्वविद्यालय के गठन को लेकर रणनीति तैयार की गई थी. लेकिन सरकार बदलते ही यह योजना ठंडे बस्ते पर चला गया. राज्य के खेल प्रशासक और खेल जगत से जुड़े लोगों ने खेल विश्वविद्यालय के गठन नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर झारखंड में खेल विश्वविद्यालय का गठन हो जाता है तो यहां के खिलाड़ियों को फायदा होगा. बेवजह खिलाड़ियों को अन्य राज्य की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा.