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डॉ. विभूति के पास है 'बापू' की यादों की जमापूंजी, डाक टिकटों में समेटा है 175 साल का इतिहास - विभूति के पास की देशों के डाक टिकट हैं

रांची के बैंकर डॉ विभूति भूषण ने यादों और गुजरे वक्त को जमा करके रखा है. उन्होंने बापू से जुड़ी देश और दुनियाभर की दुर्लभ चीजों को संग्रहित कर रखा है. महात्मा गांधी से जुड़े वस्तुओं के कलेक्शन को लेकर इनका जुनून मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद रिजल्ट के इंतजार में बढ़ा और आज इनके पास महात्मा गांधी से जुड़े डाक टिकटों की एक से बढ़कर एक कलेक्शन हैं.

डॉ विभूति भूषण
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Published : Oct 2, 2020, 6:26 AM IST

रांची: राजधानी के रहने वाले डॉक्टर विभूति भूषण राय पेशे से एक बैंकर हैं. लेकिन इनके शौक ने सबको हैरान कर दिया है. बचपन से ही अद्भुत चीजों का कलेक्शन करना इनका शौक है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़े वस्तुओं के कलेक्शन को लेकर इनका जुनून मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद रिजल्ट के इंतजार में बढ़ा और आज इनके पास महात्मा गांधी से जुड़े डाक टिकटों की एक से बढ़कर एक कलेक्शन हैं. तो वहीं गांधी जी के हाथों से लिखा एक अद्भुत पोस्टकार्ड भी इनकी जमापूंजी में एक बेहतरीन कलेक्शन है.

देखें स्पेशल स्टोरी

गांधीजी पर पहला डाक टिकट 1948 को जारी हुआ था

डाक टिकट का विश्व इतिहास करीब 175 साल पुराना है. भारत में स्वतंत्रता के बाद पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी हुआ था. महात्मा गांधी वह पहले शख्सियत थे जिन पर भारत में पहला डाक टिकट 15 अगस्त 1948 को जारी किया गया था. तब से लेकर दुनिया भर में महात्मा गांधी पर 500 प्रकार के डाक टिकट जारी हो चुके हैं. भारत के बाद अमेरिका वह पहला विदेशी राष्ट्र था जिसने बापू पर 26 जनवरी 1961 को डाक टिकट जारी किया था. ऐसे ही कई देशों के डाक टिकट का कलेक्शन आज डॉक्टर विभूति भूषण के पास है और ऐसे स्टांप के कलेक्शन को लेकर विभूति भूषण इतने ज्यादा गंभीर है कि देखकर लोग अचंभित हो जाते हैं.

इनके पास गांधीजी के हाथों से लिखा दुर्लभ पोस्ट कार्ड है

गांधीजी से जुड़े कई देशों के डाक टिकट इनके पास संकलन के तौर पर हैं. इसके अलावा उनके पास एक दुर्लभ पोस्ट कार्ड भी है. जिसे गांधीजी ने अपने हाथों से छपरा के एक दोस्त को लिखा था और उसमें सिर्फ छपरा के उस दोस्त का नाम और पेशा लिखा था. यह दुर्लभ पोस्टकार्ड भी विभूति भूषण ने संकलन के तौर पर काफी संयोज कर रखा है. विभूति भूषण की मानें तो शुरूआत से आज तक गांधीजी से जुड़े जितने भी डाक टिकट जारी हुए हैं. उन सब का कलेक्शन इनके पास हैं, विभूति भूषण के पास फिलीपींस, सांडा, भूटान, नेपाल के अलावा विश्व के कई देशों के गांधीजी से जुड़े डाक टिकट का संकलन है. जिसे अब तक किसी ने देखा तक नहीं होगा.

ये भी पढ़ें- शिक्षा विभाग का कारनामा: लाखों खर्च कर बना मॉडल स्कूल, गांव के होनहार बच्चों को कर रहा शिक्षा से दूर

इनके पास नमक आंदोलन से जुड़े अद्भुत संकलन भी हैं

नमक आंदोलन कहां से शुरू हुई थी और कहां खत्म हुई इससे जुड़ी पूरी हिस्ट्री का कलेक्शन डिटेल्स विदाउट एनी राइटिंग विदाउट एनी साउंड के इनके पास है. जिसे लोग देखकर ही नमक आंदोलन का पूरा माजरा समझ सकते हैं. उनके पास एक पूरे बॉक्स में गांधीजी से जुड़े यादें संयोज कर रखा हुआ है.1959 में करीब 40 देशों ने बापू की जन्म शताब्दी मनाते हुए 70 प्रकार के डाक टिकट जारी किए थे. उन डाक टिकटों का कलेक्शन भी इनके पास है. दक्षिण अफ्रीका जहां से गांधी के महात्मा बनने की शुरुआत हुई उस दौरान भी तकरीबन दक्षिण अफ्रीका के सभी देशों ने बापू का डाक टिकट जारी किए.

कई अन्य देशों के डाक टिकट भी मौजूद हैं.

इसके अलावा उनके पास बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान, रूस, जर्मनी, फ्रांस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान जैसे गणराज देशों ने भी बापू के सम्मान में डाक टिकट जारी किए हैं. इन तमाम देशों के डाक टिकट रांची के रहने वाले डॉक्टर विभूति भूषण के पास मौजूद है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इनके परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की तो पता चला कि अद्भुत कलेक्शन के पीछे यह दीवाना है और इस दीवानगी को पूरा करने के लिए वह विदेशों में रहने वाले अपने मित्रों सगे-संबंधियों से भी इन सब चीजों को कलेक्ट करने के एवज में रुपए देते हैं. विभूति भूषण की पत्नी की माने तो इनका इन अद्भुत कलेक्शन के पीछे एक जुनून हमेशा ही देखा जाता रहा है और ऐसा कहीं नहीं देखा जो इनके पास है. बेटी अपने पिता के ऐसे कलेक्शन से काफी खुश और गौरवान्वित है. बेटी की मानें तो आने वाले समय में वह पिता का हाथ बंटाना चाहती है और उनके इस कलेक्शन को बढ़ाना चाहती है.

रांची: राजधानी के रहने वाले डॉक्टर विभूति भूषण राय पेशे से एक बैंकर हैं. लेकिन इनके शौक ने सबको हैरान कर दिया है. बचपन से ही अद्भुत चीजों का कलेक्शन करना इनका शौक है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़े वस्तुओं के कलेक्शन को लेकर इनका जुनून मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद रिजल्ट के इंतजार में बढ़ा और आज इनके पास महात्मा गांधी से जुड़े डाक टिकटों की एक से बढ़कर एक कलेक्शन हैं. तो वहीं गांधी जी के हाथों से लिखा एक अद्भुत पोस्टकार्ड भी इनकी जमापूंजी में एक बेहतरीन कलेक्शन है.

देखें स्पेशल स्टोरी

गांधीजी पर पहला डाक टिकट 1948 को जारी हुआ था

डाक टिकट का विश्व इतिहास करीब 175 साल पुराना है. भारत में स्वतंत्रता के बाद पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी हुआ था. महात्मा गांधी वह पहले शख्सियत थे जिन पर भारत में पहला डाक टिकट 15 अगस्त 1948 को जारी किया गया था. तब से लेकर दुनिया भर में महात्मा गांधी पर 500 प्रकार के डाक टिकट जारी हो चुके हैं. भारत के बाद अमेरिका वह पहला विदेशी राष्ट्र था जिसने बापू पर 26 जनवरी 1961 को डाक टिकट जारी किया था. ऐसे ही कई देशों के डाक टिकट का कलेक्शन आज डॉक्टर विभूति भूषण के पास है और ऐसे स्टांप के कलेक्शन को लेकर विभूति भूषण इतने ज्यादा गंभीर है कि देखकर लोग अचंभित हो जाते हैं.

इनके पास गांधीजी के हाथों से लिखा दुर्लभ पोस्ट कार्ड है

गांधीजी से जुड़े कई देशों के डाक टिकट इनके पास संकलन के तौर पर हैं. इसके अलावा उनके पास एक दुर्लभ पोस्ट कार्ड भी है. जिसे गांधीजी ने अपने हाथों से छपरा के एक दोस्त को लिखा था और उसमें सिर्फ छपरा के उस दोस्त का नाम और पेशा लिखा था. यह दुर्लभ पोस्टकार्ड भी विभूति भूषण ने संकलन के तौर पर काफी संयोज कर रखा है. विभूति भूषण की मानें तो शुरूआत से आज तक गांधीजी से जुड़े जितने भी डाक टिकट जारी हुए हैं. उन सब का कलेक्शन इनके पास हैं, विभूति भूषण के पास फिलीपींस, सांडा, भूटान, नेपाल के अलावा विश्व के कई देशों के गांधीजी से जुड़े डाक टिकट का संकलन है. जिसे अब तक किसी ने देखा तक नहीं होगा.

ये भी पढ़ें- शिक्षा विभाग का कारनामा: लाखों खर्च कर बना मॉडल स्कूल, गांव के होनहार बच्चों को कर रहा शिक्षा से दूर

इनके पास नमक आंदोलन से जुड़े अद्भुत संकलन भी हैं

नमक आंदोलन कहां से शुरू हुई थी और कहां खत्म हुई इससे जुड़ी पूरी हिस्ट्री का कलेक्शन डिटेल्स विदाउट एनी राइटिंग विदाउट एनी साउंड के इनके पास है. जिसे लोग देखकर ही नमक आंदोलन का पूरा माजरा समझ सकते हैं. उनके पास एक पूरे बॉक्स में गांधीजी से जुड़े यादें संयोज कर रखा हुआ है.1959 में करीब 40 देशों ने बापू की जन्म शताब्दी मनाते हुए 70 प्रकार के डाक टिकट जारी किए थे. उन डाक टिकटों का कलेक्शन भी इनके पास है. दक्षिण अफ्रीका जहां से गांधी के महात्मा बनने की शुरुआत हुई उस दौरान भी तकरीबन दक्षिण अफ्रीका के सभी देशों ने बापू का डाक टिकट जारी किए.

कई अन्य देशों के डाक टिकट भी मौजूद हैं.

इसके अलावा उनके पास बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान, रूस, जर्मनी, फ्रांस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान जैसे गणराज देशों ने भी बापू के सम्मान में डाक टिकट जारी किए हैं. इन तमाम देशों के डाक टिकट रांची के रहने वाले डॉक्टर विभूति भूषण के पास मौजूद है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इनके परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की तो पता चला कि अद्भुत कलेक्शन के पीछे यह दीवाना है और इस दीवानगी को पूरा करने के लिए वह विदेशों में रहने वाले अपने मित्रों सगे-संबंधियों से भी इन सब चीजों को कलेक्ट करने के एवज में रुपए देते हैं. विभूति भूषण की पत्नी की माने तो इनका इन अद्भुत कलेक्शन के पीछे एक जुनून हमेशा ही देखा जाता रहा है और ऐसा कहीं नहीं देखा जो इनके पास है. बेटी अपने पिता के ऐसे कलेक्शन से काफी खुश और गौरवान्वित है. बेटी की मानें तो आने वाले समय में वह पिता का हाथ बंटाना चाहती है और उनके इस कलेक्शन को बढ़ाना चाहती है.

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