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संचार विभाग के सहायक निदेशक का मोबाइल हैक कर खाते से साइबर अपरधियों ने उड़ाए रूपए - साइबर अपराधियों ने ठगी की

झारखंड में साइबर अपराधी अब मोबाइल या कंप्यूटर डिवाइस को हैक कर रिमोटली एक्सेस के जरिए ठगी कर रहे हैं. इसी कड़ी में बीएसएनएल के झारखंड सहायक निदेशक सुभाष कुमार पंडित की मोबाइल हैक कर उनके खाते से एक लाख रुपये उड़ा लिया गया. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

Cyber criminals cheated
साइबर थाना
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Published : Nov 5, 2020, 10:08 PM IST

रांची: साइबर अपराधी अब मोबाइल या कंप्यूटर डिवाइस को हैक कर रिमोटली एक्सेस के जरिए ठगी कर रहे हैं. ऐसा ही मामला फिर सामने आया है, जिसमें बीएसएनएल के झारखंड सहायक निदेशक सुभाष कुमार पंडित की मोबाइल हैक कर उनके खाते से एक लाख रुपये उड़ा लिया गया.

हैक से पहले भेजा गया मैसेज
मोबाइल हैक करने के लिए सुभाष पंडित के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा गया. जिसमें उनके मोबाइल नंबर की केवाईसी एक्सपायर होने की बात कही गई थी. मैसेज मिलते ही साइबर अपराधी ने उन्हें कॉल किया. कॉल करने वाले ने क्विक सपोर्ट नाम की ऐप डाउनलोड करवाया, ऐप डाउनलोड करवाते ही खाते से पहले 90 हजार रुपये ट्रांसफर किया. इसके बाद दोबारा 6 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिया. खाते से लगातार ट्रांजेक्शन होने की जानकारी मिलते ही सहायक निदेशक ने सूझबूझ दिखाते हुए नजदीकी एसबीआई शाखा नेवरी पहुंचे और बैंक मैनेजर के सहयोग से अपना खाता ब्लॉक करवाया. इससे उनके खाते में जमा पांच लाख से ज्यादा की फिक्स डिपोजिट की रकम बच गई. इसके बाद वे बीआइटी ओपी पहुंचे और एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है.

फिक्स डिपोजिट को तोड़कर बनाया मेन बैलेंस
सहायक निदेशक के अनुसार उनके खाते में जमा रकम एक लाख छह हजार रुपये निकासी के बाद फिक्सड डिपोजिट को तोड़कर मेन बैलेंस बना दिया. इसके बाद निकासी की कोशिश की. हालांकि इससे पहले अपना अकाउंट बंद करवा रुपये बचा लिया.

रिमोट कंट्रोल ऐप से मोबाइल व कंप्यूटर पर जमा लेते हैं कब्जा
साइबर अपराधी किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर पर रिमोट कंट्रोल एप से कब्जा जमा लेते हैं. एनी डेस्क ऐप, क्विक सपोर्ट, क्विक व्यू, टीम विवर सहित कई ऐसे ऐप हैं जिनके जरिए मोबाइल या कंप्यूटर को रीमोटली एक्सेस किया जा सकता है. ऐसे ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद मोबाइल में मौजूद हर तरह का ऐप या डाटा हैक कर सकते हैं. ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं. कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में लेते हैं.



ये भी पढ़ें- झारखंड में सीबीआई की एंट्री पर रोक, जांच के लिए लेनी होगी राज्य सरकार की अनुमति

रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन टूल के लिए लिंक भेजते हैं फ्रॉड
साइबर अपराधी रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन टूल (आरएटी) के जरिए क्रिम्सन मालवेयर भेजते हैं. इसी टूल के जरिए लोगों के कंप्यूटर और मोबाइल को हैक किया जा रहा है, इस लिंक के जरिए कंप्यूटर व मोबाइल को बैकग्रउंड में रहकर साइबर अपराधी रिमोटली एक्सेस कर रहे.

फ्रॉड से ऐसे बचें

  1. फ्रॉड द्वारा पूछे जाने पर कतई किसी भी तरह का डिटेल शेयर न करें.
  2. कोडेड मैसेज शेयर करने पर आप तुरंत ठगी के शिकार हो सकते हैं.
  3. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए अपुष्ट स्रोतों से आने वाले कोडेड मैसेज को कतई फॉरवर्ड न करे, ऐसा करने से आप तुरंत ठगे जा सकते हैं, विशेष परिस्तिथि में तत्काल अपने बैंक शाखा से संपर्क कर इसकी जानकारी दें.
  4. साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कोई भी ऑनलाइन या मैसेज से प्राप्त लिंक या नंबर को कतई फॉरवर्ड न करें ऐसा करने से आप तुरंत ठगी के शिकार हो सकते हैं.

रांची: साइबर अपराधी अब मोबाइल या कंप्यूटर डिवाइस को हैक कर रिमोटली एक्सेस के जरिए ठगी कर रहे हैं. ऐसा ही मामला फिर सामने आया है, जिसमें बीएसएनएल के झारखंड सहायक निदेशक सुभाष कुमार पंडित की मोबाइल हैक कर उनके खाते से एक लाख रुपये उड़ा लिया गया.

हैक से पहले भेजा गया मैसेज
मोबाइल हैक करने के लिए सुभाष पंडित के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा गया. जिसमें उनके मोबाइल नंबर की केवाईसी एक्सपायर होने की बात कही गई थी. मैसेज मिलते ही साइबर अपराधी ने उन्हें कॉल किया. कॉल करने वाले ने क्विक सपोर्ट नाम की ऐप डाउनलोड करवाया, ऐप डाउनलोड करवाते ही खाते से पहले 90 हजार रुपये ट्रांसफर किया. इसके बाद दोबारा 6 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिया. खाते से लगातार ट्रांजेक्शन होने की जानकारी मिलते ही सहायक निदेशक ने सूझबूझ दिखाते हुए नजदीकी एसबीआई शाखा नेवरी पहुंचे और बैंक मैनेजर के सहयोग से अपना खाता ब्लॉक करवाया. इससे उनके खाते में जमा पांच लाख से ज्यादा की फिक्स डिपोजिट की रकम बच गई. इसके बाद वे बीआइटी ओपी पहुंचे और एफआईआर दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है.

फिक्स डिपोजिट को तोड़कर बनाया मेन बैलेंस
सहायक निदेशक के अनुसार उनके खाते में जमा रकम एक लाख छह हजार रुपये निकासी के बाद फिक्सड डिपोजिट को तोड़कर मेन बैलेंस बना दिया. इसके बाद निकासी की कोशिश की. हालांकि इससे पहले अपना अकाउंट बंद करवा रुपये बचा लिया.

रिमोट कंट्रोल ऐप से मोबाइल व कंप्यूटर पर जमा लेते हैं कब्जा
साइबर अपराधी किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर पर रिमोट कंट्रोल एप से कब्जा जमा लेते हैं. एनी डेस्क ऐप, क्विक सपोर्ट, क्विक व्यू, टीम विवर सहित कई ऐसे ऐप हैं जिनके जरिए मोबाइल या कंप्यूटर को रीमोटली एक्सेस किया जा सकता है. ऐसे ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल या कंप्यूटर साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद मोबाइल में मौजूद हर तरह का ऐप या डाटा हैक कर सकते हैं. ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं. कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में लेते हैं.



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रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन टूल के लिए लिंक भेजते हैं फ्रॉड
साइबर अपराधी रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन टूल (आरएटी) के जरिए क्रिम्सन मालवेयर भेजते हैं. इसी टूल के जरिए लोगों के कंप्यूटर और मोबाइल को हैक किया जा रहा है, इस लिंक के जरिए कंप्यूटर व मोबाइल को बैकग्रउंड में रहकर साइबर अपराधी रिमोटली एक्सेस कर रहे.

फ्रॉड से ऐसे बचें

  1. फ्रॉड द्वारा पूछे जाने पर कतई किसी भी तरह का डिटेल शेयर न करें.
  2. कोडेड मैसेज शेयर करने पर आप तुरंत ठगी के शिकार हो सकते हैं.
  3. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए अपुष्ट स्रोतों से आने वाले कोडेड मैसेज को कतई फॉरवर्ड न करे, ऐसा करने से आप तुरंत ठगे जा सकते हैं, विशेष परिस्तिथि में तत्काल अपने बैंक शाखा से संपर्क कर इसकी जानकारी दें.
  4. साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कोई भी ऑनलाइन या मैसेज से प्राप्त लिंक या नंबर को कतई फॉरवर्ड न करें ऐसा करने से आप तुरंत ठगी के शिकार हो सकते हैं.
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